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बकरी मांस के उत्पाद बनाने और मार्केटिंग में किसानों का मददगार होगा सीआईआरजी 

IVRI

गोकशी पर प्रतिबंध लगने के बाद देश में सबसे ज्यादा मांग बकरी के मांस की बढ़ी है। देश में बकरी पालन पर भी अधिक ध्यान दिया जा रहा है। बकरी पालन कम लागत और सामान्य देख-रेख में गरीब किसानों और खेतिहर मजदूरों के जीविकोपार्जन का एक अच्छा साधन बन रहा है।

अधिकतर किसान बकरियों को पालकर उसे बाजार में बेचकर कमाई करते हैं, लेकिन किसानों को ये नहीं पता होता है कि उसी बकरी से वो दोगुना लाभ भी उठा सकते हैं। 17 वर्षों से केंद्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान (सीआईआरजी) के गोट प्रोडेक्ट टेक्नोलॉजी लेबोरेटरी के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ वी. राजकुमार बकरी के मांस और दूध के उत्पादों पर काम कर रहे है। इन्होंने गोट मीट से कई ऐसे उत्पाद तैयार किए है जिनको अपनाकर किसान अधिक मुनाफा कमा सकता है।

डॉ वी. राजकुमार बताते हैं, “किसान सालभर बकरियों को पालते हैं फिर उन्हे बेच देते हैं जिससे उनको सालभर में एक बकरा/बकरी पर आया खर्च से थोड़ा ज्यादा पैसा मिल जाता है। इस तरह से किसानों को लागत के हिसाब से थोड़ा ही फायदा होता है। सीआईआरजी द्वारा तैयार किए गए गोट मीट प्रोडक्ट को किसान अपना ले तो वो बकरी से होने वाली अपनी आय दोगुनी कर सकते है।”

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19वीं पशुगणना के अनुसार पूरे भारत में बकरियों की कुल संख्या 135.17 मिलियन है, जिसमें से उत्तर प्रदेश में इनकी संख्या 42 लाख 42 हजार 904 है। एनडीडीबी 2016 के आंकड़ों के मुताबिक प्रतिवर्ष 5 मीट्रिक टन बकरी का दूध उत्पादन होता है, जिसका अधिकांश हिस्सा गरीब किसानों के पास है।

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डॉ वी. राजकुमार बताते है, “सीआईआरजी जी बकरी के मांस से अभी तक 20 तरह के उत्पादों को तैयार किया गया है। जिनमें एक फ्रेस गोट मीट है जो 500 ग्राम के पैकेट है। बाजार में गोट मीट 400 से 450 तक प्रति किलो मिलता है। जहां साफ-सफाई का ध्यान भी नहीं रखा जाता है। वहीं अगर किसान एक समूह बनाकर प्रोसेसिंग यूनिट लगा ले जिनमें वे अपनी बकरे/बकरियों को बाजार में न बेंच कर उसके मीट को 500 ग्राम के पैकेट बनाकर प्रोडक्ट तैयार कर सकते है। गोट मीट के तैयार प्रोडक्ट को शहरों के होटलों में बेचा जा सकता है। इस तरह से किसान एक बकरी से होने वाले लाभ को दोगुना कर सकता है। गोट मीट प्रोसेसिंग यूनिट लगाने में सीआईआरजी भी किसानों की मदद करता है। वह किसानों को प्रोडक्ट बनाने की ट्रेनिंग साथ ही प्रोडक्ट के रखरखाव की भी ट्रेनिंग देती है।”

19वीं पशुगणना के अनुसार पूरे भारत में बकरियों की कुल संख्या 135.17 मिलियन है, जिसमें से उत्तर प्रदेश में इनकी संख्या 42 लाख 42 हजार 904 है। एनडीडीबी 2016 के आंकड़ों के मुताबिक प्रतिवर्ष 5 मीट्रिक टन बकरी का दूध उत्पादन होता है, जिसका अधिकांश हिस्सा गरीब किसानों के पास है।

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ये भी बनते हैं गोट मीट से प्रोडक्ट

बकरी मांस से बना हुआ क्यूबस, नेग्गट्स, सोसेज, पेटीज़ है। इसके अलावा कुछ ऐसे उत्पाद भी तैयार किए है, जिनको किसान बनाकर सामान्य तापक्रम में लगभग दो महीने तक रख सकते है जैसे गोट मीट आचार, निमकी, बिस्किट । इसके अलावा गोट मिल्क से हर्बल गोट पनीर, चिप्स, गोट मिल्क वडा में वैल्यू एडीशन करके उत्पाद तैयार किए गए है।

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