औषधीय पौधों की खेती और पशुपालन से जुड़े किसानों को लाभ पहुंचाने के लिए पशुपालन और डेयरी विभाग ने आयुष मंत्रालय के साथ समझौता किया है। इससे पशु चिकित्सा विज्ञान में औषधीय पौधों के माध्यम से गुणवत्ता पूर्ण दवा के शोध को बढ़ावा मिलेगा।
पशु चिकित्सा विज्ञान में आयुर्वेद तथा इससे संबंधित विषयों को लागू करने के लिए सात अप्रैल को पशुपालन तथा डेयरी विभाग और आयुष मंत्रालय के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए। इसके तहत पशु चिकित्सा विज्ञान में औषधीय पौधों के माध्यम से गुणवत्ता संपन्न दवा के नए फॉर्मूलेशन पर शोध सहित अनुसंधान और विकास को बढ़ावा मिलेगा।
इस सहयोग से पशु स्वास्थ्य लाभ, पशुपालक और समाज के लाभ के लिए पशु चिकित्सा क्षेत्र में आयुर्वेद के उपयोग के इस्तेमाल के लिए नियामक व्यवस्था विकसित करने में मदद मिलेगी। इस सहयोग से प्रशिक्षण के माध्यम से संबंधित क्षेत्रों में क्षमता सृजन होगा, सतत आधार पर हर्बल दवाइयों के लिए बाजार तलाशने में मदद मिलेगी और कृषि व औषधीय पौधों के संरक्षण के लिए सेवाएं मिलेंगी।
Ministry of AYUSH, Dept of Animal Husbandry sign MoU for research on quality drugs for veterinary science https://t.co/LPZnnfPySC
— Shandilya Giriraj Singh (@girirajsinghbjp) April 9, 2021
इस सहयोग से हर्बल पशु चिकित्सा शिक्षा कार्यक्रम विकसित में मदद मिलेगी और डेयरी किसानों और अनाज उत्पादक किसानों में हर्बल औषधि के उपयोग और जड़ी-बूटी कृषि के बारे में जागरूकता आएगी।
आयुष मंत्रालय, पशुपालन विभाग को आयुष हर्बल पशु चिकित्सा शिक्षा कार्यक्रमों के लिए पाठ्यक्रम को विकसित करने में मदद करेगा। साथ ही पशु चिकित्सा में इस्तेमाल होने वाले संभावित औषधीय पौधों की प्रजातियों की पहचान करने, अच्छे कृषि अभ्यासों और उच्चतम मानकों पर बेहतर संग्रह अभ्यासों को अपनाने में भी दोनों मिलकर कार्य करेंगे।
आयुष/हर्बल पशु चिकित्सा दवाओं के निर्माण, कौशल विकास और क्षमता निर्माण के लिए गुड मैन्युफैक्चरिंग प्रैक्टिस का विकास, औषधीय पौधों के लिए वृक्षारोपण और नर्सरी विकास के लिए वित्तीय सहायता, सुविधा और औषधीय मानकीकरण के मानदंडों को सुविधाजनक बनाना भी इस समझौते के अहम पहलू हैं। योजना के दायरे के अनुसार अनुसंधान और परीक्षण केंद्र स्थापित करने में सहायता करना भी शामिल है।