हरियाणा के लाला लाजपत राय पशु-चिकित्सा एंव पशु विज्ञान विश्वविद्यालय (लुवास) के वैज्ञानिकों ने तीन नस्लों के मेल से तैयार की गाय की नई प्रजाति ‘हरधेनु’ को रिलीज कर दिया है। इस समय इस नस्ल की लगभग 250 गाय फार्म में हैं। जहां से इस नस्ल के सांड का सीमन ले सकते है।
उत्तरी-अमेरीकी (होल्स्टीन फ्रीजन), देसी हरियाणा और साहीवाल नस्ल की क्रॅास ब्रीड गाय हरधेनु लगभग 50 से 55 लीटर तक दूध देने की क्षमता रखती है। हरधेनू प्रजाति के अंदर 62.5 प्रतिशत खून उत्तरी-अमेरिका नस्ल और 37.5 प्रतिशत खून हरियाणा और साहीवाल का है।
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लुवास विश्वविद्यालय के पशु आनुवांशिकी एवं प्रजनन विभागाध्यक्ष और इस शोध के वैज्ञानिक डॉ. बी.एल.पांडर ने बताते हैं, ”हरधेनु गाय स्थानीय नस्ल की अपेक्षा हर मामले में बेहतर गाय है और इससे पशुपालकों को काफी लाभ मिलेगा क्योंकि यह जल्दी बढ़ने वाली नस्ल है।” अन्य नस्लों की तुलना करते हुए डा. पांडर बताते हैं,”स्थानीय नस्ल औसतन लगभग 5-6 लीटर दूध रोजाना देती है, जबकि हरधेनु गाय औसतन लगभग 15-16 लीटर दूध प्रतिदिन देती है।”
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1970 में हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय की स्थापना हुई। उस समय केंद्र सरकार की ओर से गाय की नस्ल सुधार के लिए ‘इवेलेशन ऑफ न्यू ब्रीड थ्रू क्रॉस ब्रीडिंग एंड सिलेक्शन’ को लेकर प्रोजेक्ट शुरु हुआ। 2010 में वेटनरी कॉलेज को अलग कर लुवास विश्वविद्यालय बनाया गया।
इस गाय की खुराक की जानकारी देते हुए पांडर बताते हैं,”एक दिन में लगभग 40-50 किलो हरा चारा और 4-5 किलो सूखा चारा खाती है।”
हरधेनु गाय के गुण
- 20 महीने में प्रजनन के लिए विकसित हो जाती है जबकि स्थानीय नस्ल इसके लिए 36 महीने का समय लेती है।
- हरधेनु 30 महीने की उम्र में ही बछड़े देना शुरू कर देती है, जबकि स्थानीय नस्ल 45 महीने में बछड़े देती है।
- दूध देने की क्षमता और उसमें फैट की मात्रा भी अधिक है।
- किसी भी तापमान में जीवित रह सकती है।
अगर आप इस गाय के नस्ल के सीमन को लेना चाहते है तो लाला लाजपत राय पशु विश्वविद्यालय में भी संपर्क कर सकते हैं–
- 0166- 2256101
- 0166- 2256065