लखनऊ। लगातार बढ़ते तापमान और गर्म हवाएं न सिर्फ इंसानों के लिए खतरा है बल्कि पशुओं को लिए हानिकारक है। इस मौसम में अगर पशुपालकों को ख्याल न रखा तो पशुओं का दूध उत्पादन भी घट सकता है।
लखनऊ की पशुचिकित्सक डॉ सीमा यादव ने बताया, “मौसम का प्रभाव पशुओं पर सीधे असर डालता है। पशुओं को लू न लगे इसके लिए उनको नहला देना चाहिए अगर आस-पास कोई नदी नहीं है तो घर में ही पाइप लगा के नहला लेना चाहिए और सुबह जल्दी और शाम को देर से दूध दोहे। और जिस जगह पर पशु बंधे है उस जगह को ठंडा रखे। इसका खासा ध्यान रखे।”
गर्मियों में तापमान के कारण पशुओं के शरीर में होने वाले बदलाव ‘हीट स्ट्रैस’ कहा जाता हैं । अगर तापमान विदेशी और संकर नस्ल के लिए 24-26 डिग्री सेल्सियस, देसी गायों के लिए 33 डिग्री सेल्सियस, भैसों के लिए 36 डिग्री सेल्सियस से अधिक हो, तो उनके शरीर में पसीने और हांफने द्वारा गर्मी कम करने की क्षमता अत्याधिक कम हो जाती है, जिसके कारण शरीर का तापमान अत्याधिक बढ़ जाता है ।
पशुओं में हीट स्ट्रेस की ऐसे करें पहचान
- शरीर का तापमान 39.22 या 102.6 डिग्री सेंटीग्रेड से अधिक हो जाता है।
- पशु के हांफने की दर 30 श्वास प्रति मिनट से अधिक हो जाता है।
- पशु की कार्य क्षमता में कमी और पशु सुस्त हो जाता है।
- खान-पान में लगभग 10-15 प्रतिशत की कमी आ जाती है।
- दुग्ध उत्पादन भी 10-20 प्रतिशत या अधिक कम हो जाता है।
- हीट स्ट्रैस के कारण पशुओ में कृत्रिम गर्भाधान द्वारा गर्भधारण की दर अत्याधिक कम हो जाती है।
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हीट स्ट्रैस से बचने के उपाय
- पशुओं पर पानी का छिड़काव।
- बाड़े में पंखों का प्रयोग।
- पशुओं को छाया में रखना।
- पशुओ को हवादार बाड़े में रखना।
- भूमि और छत पर पानी का छिड़काव।
- पशुओ को सुबह और शाम के समय ही चारा देना चाहिए।
- अच्छी गुणवत्ता का रेशे वाला भोजन रूमेन पशु के स्वास्थ्य को ठीक रखता है।
- गर्मी के दिनों में अधिक सान्द्र मिश्रण देना चाहिए और दिन में 5-6 बार ठण्डा पानी देना चाहिए।
- खाद्य प्रदार्थ में उर्जा बढ़ाने के लिए दानों और वसा युक्त पदार्थों का प्रयोग किया जाना चाहिए।
- मिनरल मिश्रण और विटामिन मिश्रण के प्रयोग द्वारा भी हीट स्ट्रेस के प्रभाव को कम किया जा सकता है।