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चायनीज मांझे के चलते हज़ारों पक्षियों की हो जाती है मौत, इंसानों के साथ भी होते हैं हादसे

पतंगबाजी

लखनऊ। मकर संक्रांति के आते ही दुकानों में रंग-बिंरगी पतंगें सज जाती हैं लेकिन क्या आपको पता है इन पतंगों को उड़ाने के लिए प्रयोग होने वाला चाइनीज मांझा हर साल हजारों बेजुबान पक्षियों की जान तो ले ही रहा साथ ही इस मांझे की वजह से हर साल कई लोगों की जानें भी जाती हैं।

वर्ष 2017 में हाईकोर्ट और नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने पूरे देश में चाइनीज मांझे पर प्रतिबंध लगा दिया था। इसके बावजूद भी बाजारों में खुलेआम पतंग की दुकानों में चाइनीज मांझा की बिक्री हो रही है। “पिछले साल जमघट के मेले सरकारी अस्पतालों में करीब ढाई हजार लोग ऐसे आए थे जो चाइनीज मांझे से घायल हुए। मकर संक्राति पर सबसे ज्यादा इस मांझे का प्रयोग होता है। एक दिन का त्यौहारों हजारों पक्षियों को मौत दे देता है।” ऐसा बताते हैं, गो ग्रीन सेव अर्थ फांउडेशन के संस्थापक विमलेश निगम।

बेजुबान पक्षियों को बचाने के लिए आठ जिलों में चल रहा अभियान

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बेजुबान पक्षियों को बचाने के लिए गैर सरकारी संगठन गो ग्रीन सेव अर्थ फांउडेशन पिछले चार वर्षों से काम कर रही है। विमलेश बताते हैं, “अभी रोजाना 40-50 पक्षी मर जाते है। लोगों को जागरुक करने के लिए हम नुक्कड़-नाटक चलाते हैं। उत्तर प्रदेश के लगभग आठ जिलों में यह जागरूकता अभियान चला रहे हैं। मकर संक्रांति के पहले ही लोगों को जागरूक करते हैं कि वे पतंग तो उड़ाए लेकिन चाइनीज मांझे का इस्तेमाल न करें।”

‘पर्यावरण संरक्षण अधिनियम-1986’ के प्रावधानों के मुताबिक, चाइनीज मांझा का प्रयोग दंडनीय अपराध है। इसकी बिक्री करने या दुकान पर रखने पर पांच साल की सजा का प्रावधान भी है। बावजूद इसके बाजारों में खुलेआम चाइनीज मांझा बिकता है।

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आलमनगर इलाके में रहने वाली सत्या सिंह (23 वर्ष) लखनऊ विश्वविद्यालय में पढ़ाई कर रही हैं। अपने साथ हुई दो दिन पहले की घटना के बारे में सत्या बताती हैं, स्कूटी से कॉलेज से घर जा रही थी, तभी मांझा गर्दन में लगा और गर्दन हल्की सी छिल गई। गले में दुपट्टा होने के कारण बड़ा हादसा नहीं हुआ।”

चाइनीज मांझा से घायल हुए पक्षी का इजाल करते पशुचिकित्सक।

इस खतरनाक मांझे की वजह से हर साल देश के अलग-अलग हिस्सों से भयावह हादसे की खबरें आती है। मध्य प्रदेश के भोपाल जिले में रहने वाले हेमंत पांडेय बताते हैं, लोगों की डिमांड होती है चाइनीज मांझा क्योंकि पंतग उससे जल्दी कटती नहीं है। ऐसे में सबसे पहले लोगों को जागरूक होना पड़ेगा। अगर डिमांड नहीं होगी तो दुकानदार बेचेगा नहीं।”

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चाइनीज मांझे के ज्यादा इस्तेमाल के बारे में विमलेश बताते हैं, “साधारण मांझे से आधे कीमत पर चाइनीज मांझा मिल जाता है। इसलिए ज्यादातर विक्रेता इसे सस्ते दामों में खरीद कर बेच देते हैं। बाजार में एक किलो मांझा करीब दो सौ रुपए में मिल जाता है।”

बेजुबान पक्षियों और इंसानों को घायल करने वाला यह चाइनीज मांझा कांच के बुरादे, धातु के बुरादे, अंडे की जर्दी में मिलाकर तैयार किया जाता है।” पिछले साल इसको प्रतिबंधित करने के लिए सरकार को पत्र लिखा तो बिक्री नहीं हु्ई। लेकिन इस बार फिर वहीं हालात है। हर दुकानों में यह मांझा आसानी से उपलब्ध हो जाएगा। हर रोज हम मांझे से घायल पक्षियों को रेस्क्यू कर रहे हैं।” विमलेश ने बताया।

एनजीटी ने इस मांझे पर प्रतिबंध लगाते हुए कहा था कि सभी राज्य व संघ शासित प्रदेशों के मुख्य सचिव तत्काल प्रभाव से खतरनाक नाइलॉन व सिंथेटिक मांझे के निर्माण, बिक्री, भंडारण, खरीद और इस्तेमाल पर पूर्ण प्रतिबंध लगाएं। पीठ ने कहा कि संबंधित राज्य सरकार, मुख्य सचिव, जिलाधिकारी इस फैसले को लागू कराने के लिए जिम्मेदार होंगे। अगर कोई फैसले का उल्लंघन करता है तो उसके खिलाफ उचित कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

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बिना परमिट नहीं उड़ा सकते पतंग

देश की बड़ी संख्या में लोगों को पता नहीं है लेकिन भारतीय एयरक्राफ्ट एक्ट 1934 के अनुसार, परमिट और लाइसेंस के बिना पतंग नहीं उड़ाई जा सकती। लोग भले ही पतंगों को हल्‍के में लेते हो लेकिन एक्‍ट के तहत ये भी वायुयान हैं। ऐसे में इन्‍हें भी उड़ाने के लि‍ए परमिट लेना जरूरी है।

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