ग्रामीण क्षेत्र में ज्यादातर नवजात बछड़े/बछिया जन्म लेने के कुछ ही महीनों के अंदर मर जाते हैं, जिससे पशु पालक को नुकसान होता है। इसलिए अच्छी देखभाल करके हम एक अच्छी गाय और भैंस बना सकते हैं।
कृषि विज्ञान केंद्र सीतापुर के पशुपालन विशेषज्ञ डॉ आंनद सिंह बता रहे हैं, कैसे इनकी देखभाल कर सकते हैं।
नवजात बछड़े पैदा होते ही गाय/भैंस अपने बच्चे को चाटती हैं और उनके शरीर पर चिपकी हुई झिल्ली व द्रव्य पदार्थ आदि साफ करती हैं, यदि वह ऐसा नहीं करती है तो आप बछड़े के शरीर पर थोड़ा सा नमक छिड़क देंगे तो अवश्य ही उसे चाट कर साफ कर देगी यदि इसके बाद भी नहीं करती है तो आप रूई की सहायता से भी उसके नाक, आंख व कान में लगी गंदगी को लगी साफ कर सकते हैं।
मुख्य रूप से नवजात बछड़े के साथ इन बातों का ध्यान रखना चाहिए-
1. नवजात बछड़े को पैदा होते ही उसकी नाभि को नाभि सूत्र से 5 से 6 इंच की दूरी पर नये ब्लेड से काट के अलग कर देना चाहिए और कटे हुए भाग में ऊपर से 5 से 6 सेंटीमीटर की दूरी पर कपड़े की पट्टी से बांध देना चाहिए तथा टिंचर आयोडीन सलूशन उसके नाभि पर लगाना चाहिए।
2. नवजात बछड़े को साफ-सुथरी तथा हवादार जगह पर रखनी चाहिए जहां पर उचित मात्रा में रोशनी आ रही हो वह स्थान नम , गंदा और सीलन भरा नहीं होना चाहिए।
3. बछड़े को ठंडी हवा या गर्म हवा से या खराब मौसम से बचाना चाहिए। बछड़े को रखने वाली जगह पर मोटी पुआल बिछा देनी चाहिए।
4. वजन के अनुसार बछड़ों को खींस पर्याप्त मात्रा में पिलाना चाहिए। नवजात बछड़े की पैदा होने के दो-तीन घंटे के अंदर ने खींस पिलाना लाभदायक होता है , दूध की मात्रा बच्चे की वजन का 1/10 भाग होना चाहिए।
5. बछड़ों को पैदा होने की 18 – 20 दिन बाद थोड़ा-थोड़ा हरा चारा डालने शुरू कर देना चाहिए ताकि उनको खाने की आदत हो जाये।
6. बछड़ों को 15 दिन से लेकर 45 दिन के अंदर उनका सींग रोधन करवा देना चाहिए।
7. बछड़ों को अंतः परजीवी व बाह- परजीवी से बचाव करना चाहिए। इसलिए अंतः परजीवी के लिए बछड़ों को पहले हफ्ते, 15 दिन, 1 महीने, 3 महीने और 6 महीने पर कृमि नाशक दवा देना चाहिए।
अधिक जानकारी के लिए कृषि विज्ञान केंद्र कटिया सीतापुर से संपर्क करें ।
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