लखनऊ। पशुपालकों को अपने पशुओं से ज्यादा दूध उत्पादन के लिए वर्ष भर हरा चारा देना चाहिए। इसके लिए समय-समय पर हरे चारे की बुवाई करते रहना चाहिए। दिसंबर में पशुपालक जई की बुवाई करके पशुओं के लिए हरा चारा उपलब्ध करा सकते हैं बल्कि इससे ‘हे’ व साइलेज भी बना सकते हैं।
जई, रबी मौसम की प्रमुख चारा फसल है। यह पशुओं के खाने के लिए सुपाच्य है और इसमें क्रूड प्रोटीन 10-12 प्रतिशत होती हैं। जई भूसा या सूखे चारे के रूप में भी प्रयोग में लाया जाता है।
जलवायु: यह एक ठंडी जलवायु में उगायी जाने वाली चारा फसल है। 15-25 सेंटीग्रेड तापमान इसकी खेती के लिए सर्वोत्तम माना जाता है। गर्म एवं शुष्क जलवायु का इसकी उपज पर विपरीत प्रभाव पड़ता है।
मिट्टी व उसकी तैयारी: अच्छी जल निकास वाली उपजाऊ दोमट या बलुई दोमट भूमि इसके लिए सर्वोत्तम मानी जातीहै। एक जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से और 2 जुताई देशी हल से करके पाटा लगाकर मिट्टी भुरभुरी कर खेत तैयार करना चाहिए।
बुवाई का समय: इसकी बुवाई दिसंबर से लेकर मार्च तक कर सकते हैं। इसके अलावा 20 अक्टूबर से 10 नवंबर में भी इसकी बुवाई कर सकते हैं।
उन्नत किस्में: कैंट, ओ.एस.7, यूपीओ-94, यूपीओ-212, बुंदेल जई-822 (एक कटाई), बुंदेल जई-851, बुदेंल जई-99-2, बुंदेल जई-2004 एवं आर.ओ.-19, ओ.एस-06 आदि जई की मुख्य प्रजातियां है।
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बुवाई विधि का समय: जई की बुवाई के लिए 75-80 किग्रा/हे. की दर से पर्याप्त होती है। बड़े व मोटे दाने की किस्मों के लिए 100-125 किग्रा/हे. बीजदर अनुशंसित है। हल के पीछे या सीड ड्रिल से 20-25 सेंटमीटर पंक्ति से पंक्ति की दूरी पर 3-4 सेमी गहराई पर बीज की बीजाई करनी चाहिए।
खाद व उर्वरक: बुवाई से 10-15 दिन पहले 10-15 टन सड़ी गोबर की खाद में जुताई के समय मिट्टी में मिला दें। बुवाई के समय 80 किग्रा नत्रजन, 40 किग्रा फॉस्फोरस, 40 किग्रा पोटाश डालें एवं प्रत्येक कटाई के बाद 20 किग्रा नत्रजन/हे. छिड़काव करें।
सिंचाई: जई की फसल में 6-8 सिंचाई 20-25 दिन के अंतराल पर करके इसकी भरपूर उपज प्राप्त की जा सकती हैं।
खरपतवार नियंत्रण: गुणवत्तायुक्त हरा चारा प्राप्त करने के लिए खरपतवार नियंत्रण करना जरुरी है। बुवाई के 20-25 दिन बाद मेटासफ्यूरॉन 6 ग्राम सक्रिय तत्व 500 लीटर पानी में मिलाकर प्रति हेक्टेयर की दर से खड़ी फसल में छिड़काव करके रासायनिक विधि से खरपतवारों का नियंत्रण कर सकते हैं।
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कटाई: बहु कटाई वाली किस्मों की पहली कटाई 50-55 दिनों पर और दूसरी कटाई पहली कटाई के 45 दिनों के बाद और तीसरी कटाई 50 प्रतिशत फूल आने की अवस्था पर करनी चाहिए। एकल कटाई वाली जई की भरपूर उपज प्राप्त करने के लिए 50 प्रतिशत फूल अवस्था पर कटाई करना लाभदायक रहता है। बीज पैदावार के लिए फसल को पहली कटाई के बाद छोड़ देना चाहिए।
उपज: अच्छा प्रंबधन होने पर 550-600 कु./हे. हरा चारा आसानी से प्राप्त किया जा सकता है। हरे चारे के साथ बीज प्राप्त करने की स्थिति में 250 कु./हे. हरा चारा, 20-25 कु./हे. बीज एवं 25-30 कु./हे. भूसा आसानी से प्राप्त किया जा सकता है।