मथुरा। उत्तर प्रदेश के मथुरा में एक गधे और एक घोड़े में लाइलाज बीमारी ग्लैण्डर्स की पुष्टि हुई है। जनवरी में दिल्ली में तीन दर्जन से अधिक घोड़ों में इस बीमारी की पुष्टि हुई थी। इन पशुओं के खून के नमूने एक माह पूर्व राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान संस्थान, हिसार भेजे गए थे, जहां से मिली रिपोर्ट के अनुसार कोसीकलां के पशुपालकों के दो पशुओं में ग्लैण्डर्स की पुष्टि हुई हैं।
जिले के मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डा. एसके मलिक ने बताया, गधे-घोड़े-खच्चरों के लिए काम करने वाली गैर सरकारी संस्था ब्रुक इण्डिया के माध्यम से हर माह परीक्षण के लिए राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान संस्थान में जांच के लिए भेजे जाने 20 नमूने में से कोसीकलां कस्बे के एक गधे और एक घोड़े में जानलेवा बीमारी ग्लैण्डर्स-फार्सी का बैक्टीरिया पाए जाने की पुष्टि हो गई है।
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राजकीय पशु चिकित्साधिकारी डॉ. आशीष शर्मा एवं डॉ. राजेश यादव के साथ ब्रुक इण्डिया संस्था के प्रतिनिधि रामखिलावन सिंह ने पशुपालक बदरुद्दीन और कुंवरपाल को उनके जानवरों के बारे में जानकारी दी और शनिवार को उन्हें इंजेक्शन देकर मारने तथा सावधानीपूर्वक दफनाने की जरूरत बताई है।
गौरतलब है कि दो वर्ष पूर्व फरह कस्बे में भी इसी प्रकार एक घोड़े में ग्लैण्डर्स रोग की पुष्टि होने के बाद उसे मारकर गहरे गड्ढे में दफना दिया गया था।
पशु विभाग के आंकड़ों के अनुसार, प्रदेश में कुल 2,51,118 अश्वप्रजाति के पशु मौजूद हैं। ग्लैण्डर्स बीमारी गधों में सबसे ज्यादा होती है। इसके अलावा घोड़ों और खच्चरों पर भी इसका प्रकोप पड़ सकता है। इस बीमारी में पशुओं के शरीर पर गांठें पड़ने लगती हैं और उन्हें सांस लेने में भी दिक्कत होने लगती है। बीमारी से ग्रस्त पशुओं को तेज बुखार हो सकता है। इसके साथ ही उनकी नाक से पानी आता है जो बाद में चाशनी की तरह गाढ़ा हो जाता है। बाद में यह पस बन जाता है जिसमें खून भी आ सकता है।
पशुपालकों को उनके पशुओं की मौत से हुए नुकसान की भरपाई के लिए मुआवजा दिया जाता है। इसमें अश्वपालकों को 25 हजार रुपए और गधा और खच्चरपालकों को 16 हजार रुपए दिए जाते हैं।
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इनपुट भाषा
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