देश में बढ़ा दूध का उत्पादन, हर व्यक्ति के लिए दूध उपलब्धता 355 ग्राम हुई

प्रति व्यक्ति दूध की उपलब्धता 2013-14 307 ग्राम से बढकर वर्ष 2016-17 में 355 ग्राम हो गई है जोकि15.6% की वृद्धि है। इसी प्रकार 2011-14. की तुलना में 2014-17 में डेयरी किसानों की आय में 23.77% की वृद्धि हुई।
#animal husbandry
नई दिल्ली/लखनऊ। भारत में पशुपालन और डेयरी उद्योग से जुड़े लोगों के लिए अच्छी ख़बर है। देश में न सिर्फ दूध उत्पादन बढ़ा है बल्कि प्रति व्यक्ति दूध की उपलब्धता भी बढ़ी है। पशुपालन, डेयरी और मत्स्यपालन विभाग, कृषि मंत्रालय के जारी रिपोर्ट के मुताबिक भारत में दूध की प्रति व्यक्ति उपलब्धता में 15.6% की बढ़त हुई जिससे ये दर 2013-14 में 307 ग्राम से बढ़ कर 2016-17 में 355 ग्राम हो गयी। 
सरकार वर्ष 2022 तक प्रति व्यक्ति दूध की उपलब्धता को 500 ग्राम करना चाहती हैं। केंद्रीय कृषि मंत्री ने आगे कहा,विगत 3 वर्षों मे दुग्ध उत्पादन 137.7 मिलियन टन से बढ़कर 165.4 मिलियन टन हो गया है। वर्ष 2014 से 2017 के बीच वृद्धि 20 % से भी अधिक रही है। इसी तरह प्रति व्यक्ति दूध की उपलब्धता 2013-14 307 ग्राम से बढकर वर्ष 2016-17 में 355 ग्राम हो गई है जोकि15.6% की वृद्धि है। इसी प्रकार 2011-14. की तुलना में 2014-17 में डेयरी किसानों की आय में 23.77% की वृद्धि हुई। 


उन्होंने आगे कहा, “भारत सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है कि देश के किसान ज्यादा से ज्यादा आय अर्जित करें, युवाओं को रोजगार मिले, आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों को उनका अपना हक मिले, बेहतर शिक्षा और स्वास्थ्य की सुविधा मिले।”
पशुपालन योजनाओं का लाभ सीधे किसानों के घर तक पहुँचे, इसके लिए सरकार द्वारा एक नई योजना ”नेशनल मिशन आन बोवाइन प्रोडक्टीविटी” अर्थात् ”गौपशु उत्पादकता राष्ट्रीय मिशन” को शुरू किया गया है। इस योजना में ब्रीडिंग इन्पुट के द्वारा मवेशियों और भैंसों की संख्या बढ़ाने हेतु आनुवांशिक अपग्रेडेशन के लिए सरकार द्वारा 825 करोड़ रूपये खर्च किए जा रहे हैं। दुग्ध उत्पादन और उत्पादकता में वृद्धि करके डेयरी कारोबार को लाभकारी बनाने के लिए यह योजना अपने उद्देश्य में काफी सफल रही है। सरकार द्वारा प्रजनकों (ब्रीडरों) के साथ दुग्ध उत्पादकों को जोड़ने के लिए पहली बार, ई-पशुहाट पोर्टल राष्ट्रीय गौपशु उत्पादकता मिशन के तहत बनाया गया। 
केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि इस बजट मेंसरकार द्वारा पशुपालन पर विशेष जोर दिया गया है। सरकार ने पिछले बजट में, नाबार्ड के साथ डेरी प्रसंस्करण और आधार संरचना विकास निधि को 10,881 करोड़ रूपये के कोष के साथ स्थापित किया था। इस वर्ष सरकार ने रूपये 2450करोड़ के प्रावधान के साथ पशुपालन क्षेत्र की बुनियादी आवश्यकताओं को फाइनेंस करने के लिए एक पशुपालन बुनियादी संरचना विकास निधि (ए.एच.आई.डी.एफ.) की स्थापना की है। 
केन्द्रीय कृषि मंत्री ने कहा, “सरकार ने देशी नस्लों के संरक्षण और विकास के लिए राष्ट्रीय गोकुल मिशन का शुभारंभ किया है। स्वदेशी नस्लों के विकास एवं एक उच्च आनुवांशिक प्रजनन की आपूर्ति के आश्रित स्रोत के केन्द्र के रूप में कार्य करने के लिए देश के 13 राज्यों में 20 गोकुलग्राम स्वीकृत किए गए हैं। स्वदेशी नस्लों के संरक्षण के लिए देश में दो राष्ट्रीय कामधेनु प्रजनन केन्द्र भी स्थापित किए गए हैं। राष्ट्रीय कामधेनु प्रजनन केन्द्र पहला दक्षिणी क्षेत्र में चिन्तलदेवी, नेल्लोर में और दूसरा उत्तरी क्षेत्र इटारसी, होशंगाबाद में है।  

Recent Posts



More Posts

popular Posts