महाराजगंज के गो-सदन में सैकड़ों गायों की मौत, ये कोई नई बात नहीं  

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लचर प्रंबधन और मूलभूत असुविधाओं के चलते गोरखपुर से करीब 70 किमी दूर बसे महाराजगंज जिले के मधवालिया गोसदन में करीब 100 गायों की मौत हो गई। ये कोई नई बात नहीं है ऐसी खबरें रोज अखबारों आप सभी को पढ़ने में मिलती है लेकिन इन पर कोई ध्यान नहीं देता।

महराजगंज जिले के निचलौल तहसील के मधवालिया में स्थित यह सरकारी गो सदन 400 एकड़ में फैला है। इसी गोसदन में इन गायों को गाड़ने के लिए जेसीबी मशीनें अब उनकी कब्र खोद रही है। प्रशासन का मानना हैं कि छह गायों की मौत शुक्रवार और एक की शनिवार को हुई। लेकिन प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार शनिवार की ही शाम कब्र खोदने के लिए छह मशीनें लगाई गई थीं।

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अभी कुछ समय पहले ही गोरखपुर जिले से कुछ गायों को इस गोसदन में लाया गया था, लेकिन पोषण की बदहाल व्यवस्था ने इतनी संख्या में गायों की कुर्बानी ले ली। आसपास के गाँवों में यह चर्चा है कि सप्ताह भर से मर रही गायों को पुआल के नीचे ढक दिया जा रहा था।

गाय के मरने का कारण बताते हुए निचलौल तहसील के एसडीएम देवेश गुप्ता कहते हैं कि “कड़ी ठंड के चलते मौतें हुईं । मरने वाली करीब आठ गायें बूढ़ी हो गई थीं।” महराजगंज न सिर्फ गोरखपुर का पड़ोसी जिला है बल्कि जिले के चौक में गोरखनाथ मन्दिर होने की वजह से यह स्थान मुख्यमंत्री के सघन सम्पर्क में भी रहता है।

पीलीभीत में बनी एक गोशाला का दृश्य। 

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पहले भी हुए हैं ऐसे मामले

यह हादसा महराजगंज मधवालिया गोसदन का नहीं बल्कि कई राज्यों में गोशालाओं की यही स्थिति है। पिछले वर्ष राजस्थान में जालौर की पचमेढ़ा गौशाला में सैकड़ों गायों की मौत हो गई। गायों की मौत बाढ़ के पानी से हुई, सबसे ज्यादा मौते उन गायों की हुई जो चलने फिरने में असमर्थ थीं और उन्हें उठाने के लिए कर्मचारियों की संख्या काफी कम थी। वर्ष 2016 में राजस्थान की हिंगोनिया गोशाला में भी कई गायों की मौत हो गई थी। इन गायों के मरने कारण भी गोशालाओं में लचर प्रंबधन को दर्शाता है।

19 वीं पशुगणना के मुताबिक देश के 51 करोड़ मवेशियों में से गोवंश (गाय-सांड, बैंड बछिया, बछड़ा) की संख्या 19 करोड़ है। उत्तर प्रदेश में दो करोड़ 95 लाख गोवंश हैं।

आंकड़ों के मुताबिक पूरे देश में रजिस्टर्ड गोशालाओं की संख्या 3500 है। 

हाल ही में यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राज्य के विभिन्न राजमार्गों तथा अन्य रास्तों पर छुट्टा गोवंशीय पशुओं के विचरण और उनके कारण होने वाले हादसों की समस्या के समाधान के लिये हर जिले में गोशालाएं खोलने के निर्देश दिये थे। उन्होंने कहा था कि शहरी क्षेत्रों में भी गोवंश की सुरक्षा के लिए ऐसे केंद्रों, गोशालाओं की स्थापना करनी होगी, जहां पर छुट्टा पशुओं को सुरक्षित रखा जा सके और उनके चारे-पानी इत्यादि की व्यवस्था हो सके। गोशालाओं के सुचारू संचालन की जिम्मेदारी गो समितियों की होगी। लेकिन गोशालाओं में हो रही ये मौतें कुछ और ही बयां कर रही हैं।

क्यों मरती हैं गोशालाओं में गायें

गोशालाओं में लचर प्रंबधन और अव्यवस्था का कारण गोशालाओं में गोसेवकों की कमी भी है। राजस्थान के झुंझुनूं शेखावटी क्षेत्र में श्रीगोपाल गोशाला के अध्यक्ष का कहना हैं कि, “गाय की कोई सेवा नहीं करना चाहता है। गोरक्षा के नाम पर लोग अपनी जेबें भरते हैं। इतने वर्षों से गोशाला चला रहे पर अभी तक ऐसा कोई व्यक्ति नहीं आया जो ये बोले की गाय की सेवा करनी है। हमारे पास पशु ज्यादा हैं कर्मचारी कम, ऐसे में सभी पशुओं की देखभाल मुश्किल हो जाती है।” पिछले 130 वर्षों से चल रही इस गोशाला में 1400 गोवंश है। इन गोवंश की सेवा करने के लिए गोशाला में सिर्फ 50 कर्मचारी ही है।

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आंकड़ों के मुताबिक पूरे देश में रजिस्टर्ड गोशालाओं की संख्या 3500 है। उत्तर प्रदेश में पंजीकृत गोशालाओं की संख्या 450 है। कुछ गोशालाओं को छोड़कर लगभग गोशालाओं में गायों के लिए उचित प्रंबधन नहीं है, जिस कारण गायों की मौत की खबरें अक्सर पढ़ने को मिलती है।

देश के 51 करोड़ मवेशियों में से गोवंश (गाय-सांड, बैंड बछिया, बछड़ा) की संख्या 19 करोड़ है।

दिसंबर 2017 में मध्य प्रदेश के आगर-मालवा जिले के सुसनेर में स्थित सालरिया गौ-अभ्यारण्य में खराब भूसा खिलाने से 58 गायों की मौत हो गई थी। आगर-मालवा के जिलाधिकारी अजय गुप्ता ने आईएएनएस को बताया कि एक से 28 दिसंबर के बीच 58 गायों की मौत हुई है। इनमें कई गाय बीमार थीं, मगर कुछ लोगों द्वारा भूसे के दूषित होने की आशंका के मद्देनजर आपूर्तिकर्ता की निविदा को निरस्त कर दिया गया। जितनी गायों की मौत हुई है, सभी के पोस्टमार्टम कराए गए हैं।

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ताकि गायें रहें सुरक्षित

गो-अभ्यारण्य में गायों की संख्या 4309 हैं। गायों को रखने के लिए रोशनी, पेयजल, चारा-खली, साफ-सफाई आदि की अच्छी व्यवस्था है। पानी की नियमित आपूर्ति के लिए चार सोलर पंप लगाए गए हैं, जो कि बोरिंग से पानी खींच कर शेड तक पहुंचाते हैं। निकलने वाले गोबर से वहां एक 10 किलोवॉट क्षमता का गोबर गैस प्लांट भी लगाया गया है। लेकिन लापरवाही के चलते 58 गायों की मौत हो गई।

“सर्दी और बरसात में सबसे ज्यादा साफ-सफाई की जरुरत होती है। कोई भी कर्मचारी ज्यादा समय तक टिकता नहीं है। गोशालाओं में काम करने के लिए बहुत मुश्किल से लोग मिलते है। गोशालाओं में एक गाय को तो ध्यान रखना नहीं होता है हजारों गायों की देखभाल करनी पड़ती है। ऐसे में ही लापरवाही हो जाती है।”ऐसा बताते हैं, ‘श्री महामृत्युंजय गौ सेवा सदन’ गोशाला के सचिव गोविंद व्यास। मध्यप्रदेश के भोपाल जिले के आनंद नगर में स्थित ‘श्री महामृत्युंजय गौ सेवा सदन’ में करीब 2000 गोवंश है, जिनकी सेवा के लिए केवल 9 कर्मचारी है।

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