Gaon Connection Logo

कम जगह और कम समय में बटेर पालन से कमाएं मुनाफा

#quail farming

लखनऊ। बटेर पालन कम समय में ज्यादा मुनाफा देने वाला व्यवसाय बनता जा रहा है ऐसे में अगर कोई व्यक्ति बटेर पालन शुरू करना चाहते है तो वह कम खर्च में अपनी आय को बढ़ा सकता है।

केंद्रीय पक्षी अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिक डॉ. गौतम कुलौली ने बताया, “कम खर्च में कोई भी इस व्यवसाय को शुरू कर सकता है। बटेर छह से सात सप्ताह में अंडे देना शुरू कर देती है और एक मादा बटेर साल में 280 से 290 तक अंडे देती है। बटेर के अंडे में मुर्गी के अपेक्षा ज्यादा प्रोटीन होता है। इसलिए बाजार में इसकी मांस भी ज्यादा है।”

व्यावसायिक मुर्गी पालन के बाद बतख पालन और तीसरे स्थान पर बटेर पालन का व्यवसाय आता है। बटेर के अंडे का वजन उसके वजन का आठ प्रतिशत होता है, जबकि मुर्गी का तीन प्रतिशत ही होता है। बटेर को 70 के दशक में अमेरिका से भारत लाया गया था जो अब केंद्रीय पक्षी अनुसंधान केंद्र, इज्जत नगर, बरेली के सहयोग से व्यावसायिक रूप ले चुका है। यहां पर किसानों को इसके पालन की ट्रेनिंग दी जाती है। बटेर का चूजा भी यहीं से ले सकते हैं।

यह भी पढ़ें- मुर्गियों के मुकाबले बतख पालन से हो सकती है ज्यादा कमाई

बटेर पालन से फायदे के बारे में डॉ गौतम बताते हैं, “मुर्गियों की अपेक्षा इनमें किसी भी प्रकार की कोई बीमारी नहीं होती है। इसलिए इनको कोई टीका भी लगवाना पड़ता है। बस चूजे को बाड़े में रखने के 10 दिन तक उनका ध्यान रखना होता है कि उनको कोई इंफेक्शन या मोर्टेलिटी न हो।

साभार: इंटरनेट

देश में मांस और अंडे की डिमांड बहुत तेजी से बढ़ रही है। बाजार में मुर्गियों की अपेक्षा बटेर के मांस और अंडे ज्यादा कीमत पर बिकते हैं। “एक किलो मुर्गी का मीट बाजार में 160से 180 रुपए तक बिकता है वहीं बटेर का मीट बाजार में 800 से 1000 रुपए में बिकता है। वैसे ही अंडे के दाम ज्यादा है।

अस्थमा रोगी के लिए लाभदायक है बटेर के अंडे

डॉ गौतम ने गाँव कनेक्शन को बताया, “इनके अंडे की मांग इसलिए भी ज्यादा है क्योंकि एक रिसर्च में यह भी आया है कि बटेर के अंडे खाने अस्थमा की समस्या भी दूर होती है।”

यह भी पढ़ें- पांच सौ मुर्गियों से शुरू करें ब्रायलर मुर्गीपालन, हर महीने कमा सकते हैं 10 से 12 हजार रुपए

बटेर पालन के फायदे

  • व्यावसायिक बटेर पालन में टीकाकरण की कोई जरुरत नहीं होती है इनमें बीमारियां न के बराबर होती हैं।
  • 6 सप्ताह (42 दिनों) में अंडा उत्पादन शुरू कर देती हैं, जबकि कुक्कुट पालन (अंडा उत्पादन की मुर्गी) में 18 सप्ताह (120 दिनों) के बाद अंडा उत्पादन शुरू होता है। बटेरों को खुले में नहीं पाला जा सकता है। इनका पालन बंद जगह पर किया जाता है। क्योंकि यह बहुत तेजी से उड़ने वाला पक्षी है।
  • ये तीन सप्ताह में बाजार में बेचने के योग्य हो जाते हैं।
  • अंडा उत्पादन करने वाली एक बटेर एक दिन में 18 से 20 ग्राम दाना खाती है जबकि मांस उत्पादन करने वाली एक बटेर एक दिन में 25 से 28 ग्राम दाना खाती है। पहले दो सप्ताह में इनके पालन में बहुत ध्यान देना होता है जैसे कि 24 घंटे रोशनी, उचित तापमान, बंद कमरा तथा दाना पानी इत्यादि।
  • तीसरे सप्ताह में यह बिकने लायक तैयार हो जाती है।

यहां से ले सकते हैं पूरी जानकारी-

अगर कोई बटेर पालन शुरु करना चाहता है या कोई तकनीकी जानकारी चाहता है तो बरेली के केंद्रीय पक्षी अनुसंधान संस्थान में संपर्क कर सकता है। बटेर के चूजों को भी संस्थान द्वारा खरीद सकता है।

केंद्रीय पक्षी अनुसंधान संस्थान

0581- 2300204, 2301220

More Posts

मलेशिया में प्रवासी भारतीय सम्मेलन में किसानों की भागीदारी का क्या मायने हैं?  

प्रवासी भारतीयों के संगठन ‘गोपियो’ (ग्लोबल आर्गेनाइजेशन ऑफ़ पीपल ऑफ़ इंडियन ओरिजिन) के मंच पर जहाँ देश के आर्थिक विकास...

छत्तीसगढ़: बदलने लगी नक्सली इलाकों की तस्वीर, खाली पड़े बीएसएफ कैंप में चलने लगे हैं हॉस्टल और स्कूल

कभी नक्सलवाद के लिए बदनाम छत्तीसगढ़ में इन दिनों आदिवासी बच्चों को बेहतर शिक्षा मिलने लगी है; क्योंकि अब उन्हें...