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गाभिन गाय का इस तरह रखें ख्याल, नहीं होगा घाटा

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अक्सर पशुपालक अपने गाभिन गाय का ख्याल नहीं रखते हैं जिससे वो स्वस्थ बच्चे को जन्म नहीं देते है और पशुपालकों को आर्थिक नुकसान होता है। उत्तर प्रदेश पशुधन विकास परिषद् की पशुचिकित्साधिकारी डा. वीनू पाण्डे बता रहीं हैं कि कैसे गाभिन
 गाय का किस तरह ख्याल रखें।


गाभिन गाय को अंतिम सप्ताह में विशेष निगरानी की जरूरत होती है क्योंकि कभी-कभी बच्चा समय से पूर्व भी हो जाता हैं।

  • गाय के समीप किसी प्रकार का शोर, भीड़-भाड़ नहीं होना चाहिए। इससे गाय असहज हो जाती है तथा ब्याने की स्वाभाविक क्रिया में बाधा पड़ती हैं।
  • गाय के ब्याते समय अनावश्यक छेड़छाड़ न करें स्वाभाविक रूप से ब्याने दें।
  • पुआल या नर्म घास को गाय के चारो ओर एक मोटी परत के रूप में बिछा देना चाहिए।
  • गाय ब्याते समय कुछ बेचैन हो जाती हैं इसलिए आस-पास कोई भी ऐसी चीज नहीं रखनी चाहिए जिससे बच्चे को नुकसान हो।

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  • ब्याते समय सामान्यतः पहले वाटर बैग बाहर आती है उसके बाद बच्चे के दोनो अगले पैर बाहर आते है जिनके बीच उसका सर होता है।
  • यदि बहुत देर तक ऐसी अवस्था रहती है तो किसी पशु चिकित्सक द्वारा बच्चा निकलवाना चाहिए।
  • नवजात बच्चे को माँ से अलग होते ही उसकी नाभि को करीब 3 इंच की दूरी पर एक स्वच्छ धागा बांधते हुए उसके ठीक आगे से एक नये ब्लेड द्वारा काटना चाहिए और एंटीसेप्टिक दवा लगानी चाहिए।
  • गुनगुने पानी में एंटीसेप्टिक घोल को मिलाकर साफ कपड़े से नवजात को पोंछना चाहिए। बच्चे को गाय के सामने रखे तथा उसे चाटने दें।
  • ब्याने के बाद गाय को भूख तेज लगती हैं। उसे गन्दी चीजों से जैसे दूषित जल, जेर इत्यादि से दूर रखना चाहिए।

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  • ब्याने के बाद दलिया उबालकर और ठंडा करके देना चाहिए। साथ ही साथ उसे गुड़, सोंठ, हल्दी इत्यादि को उबालकर तैयार किया गया काढा देना चाहिए, जिससे जेर आसानी से निकल सके।
  • बच्चेदानी की सफाई के लिए काढ़े को कम से कम दो तीन दिनों तक सुबह शाम अवश्य देना चाहिए।
  • नवजात बच्चे को खीस अवश्य पिला देना चाहिए जिससे उसको पोषण मिलने के साथ-साथ रोग प्रतिरोधक क्षमता भी प्राप्त हो सके। 

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