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उत्तर प्रदेश: पशुओं के खून, पेशाब और गोबर की जांच के लिए अभी तक नहीं खुली रोग निदान लैब

#Animal disease

लखनऊ। पशुओं के खून, पेशाब और गोबर की जांच के लिए प्रदेश के 65 जिलों में रोग निदान लैब खुलने वाली थी ताकि पशुओं की बीमारी का सही पता लगाकर उनका इलाज किया जा सके लेकिन करोड़ों के बजट के बाद भी अभी तक लैब बनकर तैयार नहीं हुई है।

वर्ष 2016 में 65 जिलों में रोग निदान लैब बनाने के लिए कृषि उत्पादन आयुक्त प्रवीण कुमार ने 26.86 करोड़ रुपए के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी इन प्रयोगशालाओं को पशु अस्पतालों में खोला जाना था और हर प्रयोगशाला पर 41.33 लाख रुपए की लागत आनी थी। लेकिन कुछ जिलों में इन लैब की बिल्डि़ग ही बन पाई।

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उत्तर प्रदेश रोग नियंत्रण एवं प्रक्षेत्र निदेशक डॉ. एस.के श्रीवास्तव बताते हैं, “इन लैब पर काम चल रहा है कहीं-कहीं पर बिल्ड़िग बनी हुई है। लैब बनने के लिए जो पैसा आना था वो पूरा नहीं आया है।” संवाददाता के पूछने पर कि यह लैब कब तक तैयार होगी इस डॉ श्रीवास्तव ने कहा कि “यह नहीं बताया जा सकता है।”


पशुओं के खून, पेशाब और गोबर की जांच के लिए उत्तर प्रदेश में इस समय 10 पशु रोग निदान प्रयोगशाला है। इन प्रयोगशाला में प्रोटोजुआ जनित बीमारी (सर्रा, बबेसिओसिस) और आन्तरिक परजीवी (पेट के कीड़े, जुएं, चिचड़ी) जैसी बीमारियों की जांच कराई जाती है। इन प्रयोगशालाओं में खून की जांच के लिए तीन रुपए और पेशाब की जांच के लिए दस रुपए का खर्च आता है लेकिन जमीनी स्तर पर कुछ ही पशुपालक इन लैब में जांच के लिए आते हैं।

बनारस जिले के चौका गाँव में रहने वाले मनीष सिंह बतातें हैं, “गाँव में सरकारी अस्पताल है नहीं, जांच के लिए की सुविधा तो दूर की बात है। हम लोग पशुओं के लक्षण देखकर बीमारी का इलाज करते हैं। गाँव के जो लोग पढ़े-लिखे नहीं है उनको दिक्कत होती है न सही बामारी का पता चल पाता है और न सही इलाज हो पाता है जिससे पशु मर जाता है।”

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अपनी बात को जारी रखते हुए मनीष आगे बताते हैं, “पीएमओ को कई बार पत्र लिखा है कि जिले स्तर पर ही ऐसी लैब बनवा दे जिससे लोगों को जांच कराने के लिए भटकना न पड़ें। अगर सही समय पर जांच हो जाए तो सही इलाज हो जाए ताकि पशुओं की मौत न हो क्योंकि पशुपालक को काफी नुकसान होता है।”

पशुअस्पतालों में मूलभूत सुविधाए न होने से ग्रामीण क्षेंत्रों के पशुपालकों को काफी नुकसान होता है। “ज्यादातर सरकारी अस्पतालों में खून, पेशाब और गोबर की जांच की सुविधा नहीं है और पशुओं के इलाज में कुछ की जांच करना जरुरी होता है। जैसे अगर किसी पशु के पेट में कीड़े होंगे तो उसके गोबर की जांच के बाद ही उसकी बीमारी का पता चल पाएगा। पशुओं को पथरी या यूरिन इंफेक्शन होता है तो भी जांच की जरुरत पड़ती है।” भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान के सर्जरी विभाग में हेड डॉ अमरपाल सिंह ने बताया, “अगर सरकारी अस्पतालों में जांच की सुविधा हो तो पशुओं का जो गलत इलाज होता है वो सही होगा। अभी डॉक्टर भी लक्षणों को देखकर दवाईं दे देते है और सही इलाज न होने से वह बीमारी बड़ा रुप ले लेती है।”

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