अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर यूपी की वीरांगनाओं को रानी लक्ष्मीबाई वीरता पुरस्कार

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अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर यूपी की वीरांगनाओं को रानी लक्ष्मीबाई वीरता पुरस्कार

गाँव कनेक्शन नेटवर्क 

लखनऊ अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर उत्तर प्रदेश की महिलाओं को सम्मानित किया, जिन्होंने वीरता, जीवटता और संघर्ष के साथ ही शिक्षा, खेलकूद और समाज सेवा के क्षेत्र में न केवल नया इतिहास रचा है, बल्कि दूसरे लोगों के लिए एक मिसाल भी कायम की है। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और कन्नौज की सांसद डिप्पल यादव ने प्रदेश की सौ से अधिक महिलाओं को रानी लक्ष्मीबाई वीरता पुरस्कार से सम्मानित किया। इनमें से कई महिलाएं 2 दिसम्बर 2015 को गाँव कनेक्शन फाउंडेशन के पहले 'स्वयं अवार्ड्स' से भी सम्मनित की जा चुकीं हैं

महिलाएं जिन्हें 'स्वयं अवार्ड्स' से भी किया गया था सम्मानित 

रेखा: रोज़ की तरह अपनी सहेलियों के साथ रेखा साइकिल से घर आ रही थी तभी नई बस्ती इलाके में एक बच्चे के रोने की आवाज़ उसे सुनाई दी जिसे एक ट्रक वाला जबरदस्ती अपने गाड़ी में बैठाने की कोशिश कर रहा था। उस बच्चे को अगवा किया जा रहा था। रेखा ने रोकने की कोशिश की तो चालक ने गाड़ी आगे बढ़ा दी। ट्रक को रोकने के लिए रेखा ने जंगलों के बीच से उसका पीछा किया और अपनी साइकिल उसके आगे फेंक दी। खुद की तरकीबें काम नहीं आईं तो रेखा ने चाइल्ड लाइन और एसएसबी की मदद ली। सिस्टम समय पर सक्रिय हुआ तो मासूम को मानव तस्करों से बचाया जा सका। रेखा एनजीओ देहात के सहयोग से ऐसे दूसरे बच्चों को इन तस्करों और ठेकेदारों से बचाने निकल पड़ी हैं। साथ ही रेखा वनग्रामों की समस्याओं के लिए अपने-माता पिता के साथ मिलकर आवाज़ भी उठायी, जिसके लिए रेखा को सम्मानित किया गया।

गुलइचा: नेपाल बार्डर से लगे कतर्नियाघाट के कुड़कुड़ी कुआं गाँव में दिनदहाड़े अपने आंगन में खेल रहे मासूम भाई पर बाघ ने हमला किया तो गुलइचा अपनी जान की परवाह किए बिना उसे बचाने दौड़ पड़ी। मासूम की चीखें सुनकर उसके पिता भी पहुंच गए। बच्चा बच गया था। जान गुलइचा को भी प्यारी है लेकिन अपने भाई से ज्यादा नहीं। आम सी गृहणी गुलइचा का ये अदम्य साहस उन्हें खास बनाता है। अपनी जान की परवाह न करते हुए सात साल के भाई की ज़िदगी बचाने के लिए वह बाघ से लड़ गईं। 

शीलू सिंह राजपूत, आल्हा गायिका: आल्हा गायन के पुरुष प्रधान क्षेत्र में कदम रखकर आपने सामाजिक बदलाव की एक नई शुरूआत की है। आप की लोकप्रियता दूसरी हजारों लड़कियों के लिए प्रेरणा स्त्रोत बनी।  

पुष्पलता राठौड़- सोलर दीदी: पति की जब एक सड़क हादसे में मृत्यु हुई तो उसकी दो साल की बच्ची थी और एक बच्चा गर्भ में था। लेकिन उसने किसी पर निर्भर न रहने का फैसला किया। फिर शुरू हुई कवायद आत्मनिर्भर बनने की। नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों पर शोध और देश भर में उनका विस्तार करने वाली राष्ट्रीय स्तर की संस्था टेरी और श्रमिक भारती से मिलकर कानपुर के गाँवों में सौर ऊर्जा के प्रयोग को प्रोत्साहित करने के लिए कार्यक्रम चला रही हैं। 

मोहिनी आज़ाद, शराब विरोधी एक्टीविस्ट: शराबी पति के उत्पीड़न से आजिज अाई मोहिनी ने उसका साथ छोड दिया। एक बार फिर अपने गाँव लौट आई। उसके गाँव में भी जमकर शराब बनती थी लेकिन एक प्रण के साथ कि वो अपनी जिंदगी बर्बाद करने वाली इन भट्ठियों को नहीं चलने देगी। मोहिनी ने सबसे पहले अपने घर की भट्ठी तोड़ी और शराब बनाने वाले बर्तन फेंक दिए। फिर अपने गाँव के उन घरों पर धावा बोला जहां शराब बनाई जाती थी। गोंडा समेत कई जिलों के ग्रामीण इलाकों में कच्ची शराब का धंधा कुटीर उद्योग की शक्ल लेता जा रहा है। ऐसे में इस शराब से लाखों रुपए कमा रहे लोगों को मोहिनी का यह आंदोलन पसंद नहीं आया। उसे भारी विरोध का सामना करना पड़ा। शराब का कारोबार करने वाले घरों में लड़कियां तो दूर लड़के तक पढ़ने नहीं जाते थे। घर की महिलाएं और बच्चे इस कारोबार का हिस्सा बने हुए थे। स्थानीय पुलिस ने भी साथ दिया। मोहिनी अब तक सैकड़ों भट्टियां बंद करवा चुकी हैं, उनकी बदौलत कई शराब माफिया जेल की हवा खा रहे हैं। 

ये महिलाएं भी हुई सम्मानित

नितिका शुक्ला (ग्राम प्रधान): मिर्जापुर ज़िले के नगवासी गाँव की प्रधान नितिका ने ट्वीटर के जरिए मुख्यमंत्री तक अपने गाँव की समस्या पहुंचायी। अब नितिका को गाँव आई स्पर्श के लिए चुना गया है। मुख्यमंत्री द्वारा रानीलक्ष्मी बाई वीरता पुरस्कार पाने के बाद नितिका बताती हैं, अभी मुझे प्रधान बने तीन-चार महीने ही हुए हैं, गाँव में बिजली, सड़क, स्कूल जैसी बहुत सी समस्याएं हैं,सबसे पहले उस पर ध्यान दूंगी।

डिम्पी तिवारी (सेल्फ डिफेंस ट्रेनर): रायबरेली के लालगंज बैसवारा की रहने वाली डिम्पी तिवारी विद्यालयों और गाँवों की आत्मरक्षा का प्रशिक्षण देती हैं। साथ ही महिलाओं के साथ अत्याचार होने पर आवाज भी उठाती हैं। गाँव की लड़कियां कई चुप ही रहती हैं, चाहें उन्हें कोई भी परेशान करें। इसीलिए मैं लड़कियों को ट्रेनिंग देती हैं जिससे वो मुकाबला कर सकेंगी।

अरूणिमा सिंह: राष्ट्रीय स्तर की बॉलीबॉल खिलाड़ी अरूणिमा को चलती ट्रेन से कुछ बदमाशों ने फेंक दिया था, जिससे उनके दोनों पैर काटने पड़े। इतना सब कुछ होने पर भी अरूणिमा ने हिम्मत नहीं हारी और कृत्रिम पैरों के सहारे माउंट ऐवरेस्ट पर चढ़ने वाली पहली दिव्यांग महिला बन गईं।

नीतू, गीता, राजलीला (एसिड अटैक विक्टिम्स): गीता पर जब एसिड से हमला हुआ तो उन्हें लगा की उनकी जिंदगी खत्म हो गयी, लेकिन अब वो आगरा के शीरोज हैंगआउट कैफे में काम करती हैं। उनके साथ ही उन्हीं की तरह की कई महिलाएं हैं जो अब खुलकर जी रहीं हैं।

वहीदुन निशा (ग्राम प्रधान): संतकबीर नगर के सेमरियावा विकास खंड के भंगुरा ग्राम पंचायत की पूर्व ग्राम प्रधान वहीदुन निशा ने दहेज उत्पीडऩ, भ्रूण हत्या, नशामुक्ति जैसे मुद्दों पर घर-घर जाकर लोगों को जागरूक किया। वहीदुन निशा कहती हैं, "पांच साल में कई काम कराए थे, पहले गाँव वालों ने विरोध भी किया, लेकिन धीरे-धीरे वो समझ गए कि उनके भले के लिए काम हो रहे हैं।"

अनीता यादव (अन्तर्राष्ट्रीय खिलाड़ी): इटावा जि़ले के भरथना विकास खण्ड के पत्तापुर गाँव की अनीता यादव आगरा के भष्ट्राचार निवारण संगठन में कॉन्सटेबल हैं। अनीता ने एथलीट में मलेशिया में वर्ष 2008 में और 2009 में तीन गोल्ड और सिल्वर, साल 2011 में न्यूयार्क में एक कांस्य, साल 2013 में गोल्ड जीता था। ''मैं चाहती हूं मेरी तरह दूसरी लड़किया भी खेल में आए और सम्मानित हो।" अनीता ने बताया।

निदा रिज़वी: लखनऊ की महिला व्यवसायी निदा रिज़वी को भी सम्मानित किया गया। निदा रिज़वी ने अपने व्यवसायिक कैरियर में बड़ा मुकाम हासिल करते हुए एक स्कूल की फ्रैंचाइज़ी लेकर वहां बतौर प्रधानाचार्य काम करना शुरू किया। उसके बाद रिज़वी ने एक के बाद एक 3 स्कूल और खोले। सामाजिक कार्य में बढ़चढ़ कर हिस्सा लेने वाली निदा रिज़वी को वर्ष 2012 में मास्टर शेफ इंडिया में टॉप 50 प्रतिभागियों में जगह मिली थी। निदा दो बच्चों की माँ हैं। 

 

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