अरबों खर्च, खेत फिर भी प्यासे

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अरबों खर्च, खेत फिर भी प्यासे

इलाहाबाद। यमुनापार क्षेत्र में सूखी नहरों या फिर उनमें पानी की कमी से जहां किसान बेहाल है, वहीं मध्य प्रदेश, यूपी व बिहार सरकार के संयुक्त प्रयास से निर्माणाधीन बाणसागर परियोजना करोड़ों रुपये खर्च किए जाने के बावजूद संचालित नहीं हो पायी है।

यूपी के क्षेत्र में 71 किमी नहर का निर्माण कार्य पूरा भी कर लिया गया है लेकिन सात किमी नहर का निर्माण सिंचाई विभाग व एनबीडब्ल्यूएल के बीच उपजे विवाद के चलते पूरा नहीं हो पाया है। सात किमी क्षेत्र में संरक्षित वन क्षेत्र होने की वजह से निर्माण में पेंच हैं। नहर का निर्माण यदि पूरा करा लिया जाय तो इससे मिर्जापुर, इलाहाबाद के यमुनापार इलाके में एक लाख 53 हजार हेक्टेयर क्षेत्रफल में फसलों की सिंचाई हो सकती है।

उल्लेखनीय है कि यूपी, बिहार और मध्य प्रदेश सरकार की महत्वाकांक्षी संयुक्त सिंचाई परियोजना बाणसागर का निर्माण कार्य चल रहा है। इस योजना के पूरा होने के बाद इलाहाबाद के यमुनापार और मिर्जापुर के 153000 हेक्टेयर क्षेत्रफल में फसलों की सिंचाई होगी।

उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग की ओर से अपने हिस्से की नहर निर्माण के लिए 32 सौ करोड़ का बजट रखा गया है। सिंचाई विभाग ने अपने क्षेत्र में 71 किलोमीटर लंबी नहर में से 64 किमी नहर का निर्माण भी पूरा कर लिया महज अदवा से मेजा तक वन क्षेत्र से होकर गुजरने वाली सात किमी नहर का निर्माण होना बाकी है। 400 करोड़ की लागत से निर्माणाधीन सात किमी नहर निर्माण के लिए निजी कंपनी को ठेका भी दे दिया गया है।

लेकिन नहर निर्माण में पिछले दो साल से पेंच फंसा हुआ है। नेशनल बोर्ड आफ वाइल्ड लाइफ  (एनबीडब्ल्यूएल) ने अदवा से मेजा तक सात किमी नहर निर्माण पर रोक लगा दी है। नबीडब्ल्यूएल का कहना है कि सिंचाई विभाग पहले वन क्षेत्र में स्थित 13 गांवों के ग्रामीणों का पुनर्वास करें। वहीं सिंचाई विभाग के अधिकारियों का तर्क है कि जिस क्षेत्र से होकर नहर गुजर रही है उसके रास्ते में एक भी गांव नहीं। तो ऐसे में भला ग्रामीणों का पुनर्वास किस आधार पर किया जाए। 

वर्ष 2013 तक पूरी होनी थी सिंचाई परियोजना

सिंचाई विभाग के ही अधिकारियों की मानें तो बाणसागर परियोजना को वर्ष 2013 में पूरा हो जाना था लेकिन तमाम विवादों के चलते परियोजना पूरी नही हो पायी। ऐसे मेें परियोजना को दो साल के लिए बढ़ाया गया था। लेकिन एनबीडब्ल्यूएल की ओर से अनापत्ति प्रमाण पत्र नहीं मिल पाने की वजह से 2015 में भी निर्माण कार्य शुरू नहीं हो पाया है। 

रिपोर्टर - आकाश द्विवेदी 

 

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