अस्थमा की रोकथाम के लिए देसी नुस्खे

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अस्थमा की रोकथाम के लिए देसी नुस्खेgaonconnection

डब्ल्यूएचओ यानी विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार अस्थमा (दमा) से दुनियाभर में हर साल लगभग 2.5 लाख लोगों की मौत होती है। समय रहते अस्थमा का उपचार ना किया जाए तो ये बेहद घातक हो सकता है। तेजी से आ रहे वातावरणीय बदलाव, प्रदूषण, खान-पान में मिलावट, एलर्जी और अन्य कई प्राकृतिक वजहों से अस्थमा के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है। अस्थमा के रोगी को सांस फूलने या सांस न आने के दौरे बार-बार पड़ते हैं। हम अस्थमा रोग की रोकथाम और उपचार के बारे में जानेंगे। 

कड़कड़ाती ठंड में अक्सर सांस से संबंधित समस्याओं में तेजी आ जाती है। ठंड और ठंड के बाद वसंत के मौसम में हवा में तैरते प्रदूषित कण और परागकण भी सांस लेने की समस्या को और भी ज्यादा कर देते हैं। अस्थमा के इलाज के लिए अनेक पारंपरिक नुस्खों को उपयोग में लाया जाता है, मैं आपको कुछ चुनिंदा हर्बल नुस्खे सुझा रहा हूं। इस लेख में सुझाए नुस्खे आज़माने से पहले किसी एक्सपर्ट की सलाह लें।

अनन्नास के फल

अनन्नास के फलों में रसायन ब्रोमेलेन पाया जाता है, जिसे अक्सर लोग काटकर फेंक देते हैं। इसे अस्थमा की रोकथाम के लिए फायदेमंद माना जाता है। फलों के बीच के कठोर हिस्से को निकालकर कुचल लें या रोगी को सीधे चबाने की सलाह दें आराम मिलता है।

अमलतास की पत्तियां 

अस्थमा में अमलतास की पत्तियों को कुचलकर 10 मिली रस पिलाया जाए तो सांस की तकलीफ में काफी आराम मिल जाता है। आदिवासियों के अनुसार प्रतिदिन दिन में दो बार एक माह तक लगातार पिलाने से रोगी को राहत मिल जाती है।

अंगूर का रस

लगभग 50 ग्राम अंगूर का रस गर्म करके स्वास या दमा के रोगी को पिलाएं तो सांस लेने की गति सामान्य हो जाएगी।

अजवायन के बीज व लौंग

अजवायन के बीजों को भूनकर एक सूती कपड़े मे लपेट लें और रात तकिए के नजदीक रखा जाए तो दमा, सर्दी, खांसी के रोगियों को रात को नींद में सांस लेने मे तकलीफ नहीं होती है। ठंड में अस्थमा के रोगी को यदि अजवायन के बीज और लौंग की समान मात्रा का पांच ग्राम चूर्ण प्रतिदिन दिया जाए तो उन्हें फायदा होता है।

अनंतमूल की जड़ 

दमा के रोगी यदि अनंतमूल की जड़ों और अडूसा के पत्तियों की समान मात्रा (3 ग्राम) लेकर दूध में उबालकर लें तो फायदा होता है, ऐसा एक सप्ताह तक किया जाना जरूरी है।

पान व अशोक के बीज

डाँग- गुजरात के आदिवासियों के अनुसार पान के पत्तों के साथ अशोक के बीजों के चूर्ण की एक चम्मच मात्रा चबाने से सांस फूलने की शिकायत और दमा में आराम मिलता है।

गेंदा के फूल

गेंदा के फूलों को सुखा लें, फिर बीजों को एकत्र कर मिश्री के दानों के साथ समान मात्रा (5 ग्राम प्रत्येक) का सेवन कुछ समय तक दिन में दो बार करें तो डाँग- गुजरात के आदिवासी के अनुसार, दमा व खाँसी के मरीज़ को काफी फायदा होता है।

गोखरू के फल 

दमा के रोगियों को गोखरू के फल और अंजीर के फल समान मात्रा में लेकर कूटना चाहिए और दिन में तीन बार लगभग पांच ग्राम मात्रा का सेवन करना चाहिए, दमा ठीक हो जाता है।

पालक का जूस

पालक के एक गिलास जूस में स्वादानुसार सेंधा नमक मिलाकर सेवन करने से दमा-श्वास रोगों में लाभ मिलता है।

इलायची फायदेमंद

बड़ी इलायची खाने से खांसी, दमा, हिचकी आदि रोगों से छुटकारा मिलता है। बड़ी इलायची, खजूर व अंगूर की समान मात्रा लेकर, कुचलकर शहद में चाटने से खांसी, दमा और कमजोरी दूर होती है।

लहसुन की कलियां

लहसुन की दो कच्ची कलियां सुबह खाली पेट चबाने के बाद आधे घण्टे से मुलेठी नामक जड़ी-बूटी का आधा चम्मच सेवन दो महीने तक लगातार करने से दमा जैसी घातक बीमारी से सदैव की छुट्टी मिल जाती है।

बच जड़ी का प्रयोग 

फेफड़ों पर इसके प्रभाव के चलते क्रोनिक ब्रोन्काइटिस और अस्थमा के इलाज के लिए प्राचीन काल से बच  नामक जड़ी का प्रयोग किया जाता है। बच के टुकड़ों को चूसते रहने और प्रतिदिन बच की चाय पीने से असर काफी तेज़ होता है।

अडूसा की पत्तियां रामबाण

अस्थमा की वजह से सांस लेने में भारीपन को दूर करने के लिए अडूसा की पत्तियों के रस को शहद में मिलाकर रोगी को दिया जाता है जिससे अतिशीघ्र आराम मिलता है। पातालकोट के आदिवासी टीबी के मरीजों को अडूसा की पत्तियों का काढ़ा बनाकर 100 मिली रोज पीने की सलाह देते हैं, दरअसल अडूसा शरीर में जाकर फेफड़ों में जमी कफ और गंदगी को बाहर निकालता है। इसी गुण के चलते इसे ब्रोंकाइटिस के इलाज का रामबाण भी माना जाता है। अडूसा के फलों को छाया में सुखाकर महीन पीसकर 10 ग्राम चूर्ण में थोड़ा गुड़ मिलाकर चार खुराक बना लिया जाए और अस्थमा का दौरा शुरू होते ही चार घंटों के अंतराल से सारी खुराक दे दी जाएं।

तुलसी की पत्ती

अस्थमा का दौरा पड़ने पर गर्म पानी में तुलसी की पांच से 10 पत्ती मिलाएं और सेवन करें, यह सांस लेना आसान करता है। तुलसी का रस, अदरक रस और शहद का समान मिश्रण प्रतिदिन एक चम्मच लेना अस्थमा पीिड़तों के लिए अच्छा होता है।

मेथी की पत्तियां

पातालकोट के आदिवासी हर्बल जानकारों के अनुसार मेथी की पत्तियों का ताजा रस, अदरक और शहद को धीमी आंच पर कुछ देर गर्म करके रोगी को पिलाने से अस्थमा रोग में काफी आराम मिलता है।

शिमला मिर्च

आधुनिक शोधों के अनुसार शिमलामिर्च में बीटा केरोटीन, ल्युटीन और जिएक्सेन्थिन और विटामिन सी जैसे महत्वपूर्ण रसायन पाए जाते हैं। शिमला मिर्च के लगातार सेवन से शरीर बीटा केरोटीन को रेटिनोल में परिवर्तित कर देता है, रेटिनोल वास्तव में विटामिन ए का ही एक रूप है। इन सभी रसायनों के संयुक्त प्रभाव से अस्थमा में जबरदस्त फायदा होता है। अस्थमा के रोगियों को नित्य इसकी अधकची सब्जी का सेवन करना चाहिए।

अदरक

लगभग दो कप पानी मे अदरख के छोटे-छोटे टुकड़े और कुछ पत्तियां इमली की डालें और तब तक उबालें जब तक कि ये एक कप न रह जाए। इसमें चार चम्मच शक्कर डालकर धीमी आंच पर कुछ देर और उबालें, फिर ठंडा होने दिया जाए। हर तीन घंटे में इस सिरप का एक बार सेवन करने से खांसी छू-मंतर हो जाती है और दमा में भी काफी आराम मिलता है।  

 

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