बाराबंकी का लाल चीन में लगाएगा गोल्ड पर निशाना

  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
बाराबंकी का लाल चीन में लगाएगा गोल्ड पर निशानाgaonconnection

बाराबंकी। बाराबंकी के हरतपुर पोस्ट दरारा थाना जागीराबाद के रहने वाले तीरंदाज अतुल वर्मा (20 वर्ष) का चीन में 7 से 14 सितम्बर को होने वाली द्वितीय एशिया कप प्रतियोगिता में एक बार फिर से सेलेक्शन हो गया है। इससे पहले अतुल वर्मा का चयन एशिया कप के लिए सन 2015 में हुआ था, जिसमें वह सिल्वर कप के विजेता बने थे। प्रतियोगिता में दोबारा चयन होने के बाद अतुल वर्मा और उनके घर वाले खुशी से फूले नही समा रहें हैं। अतुल वर्मा का कहना है कि इस बार वह गोल्ड मेडल जीतने के लिए भरपूर मेहनत करेंगे।

अतुल वर्मा के बचपन में धनुष बाण से खेलने की आदत ने कब उनको इतना बड़ा तीरंदाज बना दिया इस बात का पता लोगो को क्या खुद अतुल को भी नही लगा। इण्डियन आर्मी में नायक सुबेदार के पद पर कार्यरत बीस वर्षीय तीरंदाज अतुल पिछले 6 सालों से तीरंदाजी कर रहें है। और इन 6 सालों में लगभग 9 राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय मेंडल अपने नाम कर चुकें है। 

अतुल वर्मा का कहना है, ''हम लोग गाँव के रहने वाले हैं पिताजी एक किसान है तो ज्यादा पढ़ाई लिखाई करने का मौका नही मिला। हमारे गाँव के ही रहने वाले महेन्द्र सिंह प्रताप जो कि मेरे  कोच भी हैं, उन्होने ही मेरे अन्दर तीरंदाजी का बीज बोया। वह हमें बाराबंकी स्टेडियम लेकर गए और हमको खेलो के बारे में बताया चूकि तीरंदाजी का शौक मुझे बचपन से था, तो बस मैने खेल में तीरंदाजी को ही चुन लिया और वह मुझे सिखाने लगे।'' अतुल ने आगे बताया, ''उसके बाद मेरा सेलेक्शन सोनभद्र में हो गया, तो वहां मैं एमआईएम ग्रुप में सिखने लगा। मेहनत और लगन से इस मुकाम तक पहुचा हूं। अब तक ग्यारह बार अन्तर्राष्ट्रीय खेल चुका हूं और नौ मेंडल अपने नाम कर चुका हूं जिसमें यूथ ओलम्पिक 2014 ब्राउन्च मेंडल, एशिया कप 2015 सिल्वर मेडल और वर्ड मिल्ट्री गेम 2015 ब्राउन्च मेडल मेरे लिए मेरी सबसे बड़ी उपलब्धि है।''

वो आगे कहतें है, ''एशिया कप 2016 में चयन होना मेंरे लिए बहुत खुशी की बात है क्योकि पिछले तीन महिने से मेरा इन्जेरी ट्रीटमेंट चल रहा था उसके बाद भी मेरा चयन हो गया यह मेरे लिए बहुत बड़ी बात है।''

अतुल वर्मा के पिता जी राम गोपाल वर्मा का कहना है, ''मेरे दोनो लड़के तीरंदाज है। दोनो को बचपन से ही खेल में रूची थी। बचपन में यह दोनो आपस में लकड़ी का धनुषबाण बना कर खेला करते थे। तब मुझे यह नही पता था कि अतुल एक दिन मेरा और देश का नाम रौशन करेगा।'' वो बताते हैं, ''सरकारी स्कूल में पढ़ता था और वहीं उसने स्टेडियम जाना शुरू कर दिया। और आज भगवान की कृपा से अपना, हमारा औरहमारे देश का नाम रोशन कर रहा जो कि मेरे लिए गर्व की बात है।''

अतुल वर्मा के कोच महेन्द्र प्रताप सिंह का कहना है कि हम लोग गाँव-गाँव कला को ढूंढते रहतें है अतुल को देखकर ही पता लग गया था कि यह लड़का आगे कुछ करेगो क्योकि मेंरे पिता जी भी एक तीरंदाज थे, तो इसके तीरंदाजी के हुनर को पहचाने में देर नही लगी और हमने इसे सिखाना शुरू कर दिया, अतुल को मैने बाराबंकी से लेकर सोनभद्र तक तीरंदाजी की शिक्षा दी है। वह बहुत मेहनती लड़का और अपनी मेहनत और लगन के साथ आज वह इस मुकाम पर पहुचा है जो कि मेरे लिए बहुत खुशी की बात है। ऐसा लग रहा है अपने घर का ही बच्चा है और जो पौधा हमने बोया था वह आज वृक्ष बनकर हम सबको छाया दे रहा है।

इनपुट - अरुण मिश्रा

 

Next Story

More Stories


© 2019 All rights reserved.