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खेती का उत्पादन बढ़ाना है? मधुमक्खियों की मदद लीजिए

नितिन सिंह ने 20 मधुमक्खी कॉलोनियों से शुरुआत की और आज उनकी कंपनी रॉयल हनी एंड बी फार्मिंग सोसाइटी द्वारा विकसित 1,200 कॉलोनियां हैं। शुद्ध जैविक शहद के अलावा, वह शहद एनर्जी ड्रिंक, लिप बाम, साबुन और मोमबत्तियों का भी व्यवसाय करते हैं और मधुमक्खियों को किसान का सबसे अच्छा दोस्त मानते हैं।
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इज़राइल में तीन साल बिताने के बाद, डॉक्टरेट के बाद फैलोशिप के दौरान रिसर्च करने के बाद, नितिन सिंह ने मधुमक्खियों के महत्व के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए 2015 में भारत वापस आने का फैसला किया। इज़राइल में उच्च शिक्षा प्राप्त करने के दौरान उन्होंने मधुमक्खियों में रुचि विकसित की थी। अपने गुरु डॉ विक्टोरिया सोरोकर के मार्गदर्शन में, वह पर्यावरण के अनुकूल यौगिकों पर शोध कर रहे थे जो मधुमक्खियों में परजीवी रोगों का इलाज भी करेंगे।

“अगर धरती पर मधुमक्खियां नहीं होंगी, तो हम बर्बाद हो जाएंगे। हमारे पास प्लानेट बी नहीं है। हमें पृथ्वी को बचाना चाहिए, और ऐसा करने के लिए मधुमक्खियां जरूरी हैं, “सिंह ने कहा। “रासायनिक कीटनाशकों के विपरीत, पर्यावरण के अनुकूल यौगिक मधुमक्खी से प्राप्त उत्पादों को प्रभावित नहीं करेंगे, “मधुमक्खी पालक ने आगे कहा।

नितिन सिंह ने उत्तर प्रदेश के रायबरेली में मधुमक्खी पालकों से 20 मधुमक्खी कॉलोनियां खरीदीं और उनका पालन-पोषण किया। एक बार जैसे जैसे कॉलोनियां बढ़ने लगीं उन्होंने मधुमक्खी के बक्सों को भारत के विभिन्न हिस्सों में ट्रांसफर करना शुरू कर दिया। आज, उन्होंने कहा, उनकी कंपनी रॉयल हनी एंड बी फार्मिंग सोसाइटी द्वारा विकसित 1,200 कॉलोनियां हैं। उन्होंने किसानों से भी मुलाकात की और उन्हें मधुमक्खी पालन के फायदे बताए।

नितिन उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में रहते हैं और प्रदेश के बाराबंकी, रायबरेली, सीतापुर, कुशीनगर जिलों में किसानों के साथ काम करते हैं। वह तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों के किसानों के साथ भी काम करते हैं।

मधुमक्खियां हैं किसान की दोस्त

“उदाहरण के लिए, यदि कोई किसान सरसों के खेती कर रहा है, तो वह आसानी से अपने खेत में मधुमक्खी के पांच बक्से लगा सकता है। यह फूलों परागण में मदद करती है, और किसान शहद भी बेच सकता है। मधुमक्खी पालन से फसल की उपज में 30 प्रतिशत की वृद्धि होती है, “उन्होंने बताया। उन्होंने यह भी कहा कि मधुमक्खी पालन में कोई बहुत ज्यादा खर्च भी नहीं लगता है।

“इन्वेस्ट्मन्ट पूरी तरह से व्यक्ति पर निर्भर है। वे अपने बजट के अनुसार इन्वेस्ट्मन्ट कर सकते हैं। यदि आप पांच बॉक्स ले रहे हैं, तो इसकी कीमत 30,000 रुपये होगी, “सिंह ने कहा, मधुमक्खी पालन से किसानों की आजीविका में सुधार होता है।

“यहां ध्यान देने वाली सबसे जरूरी बात यह है कि आपको मधुमक्खियों को पालने के लिए कृषि भूमि की आवश्यकता नहीं है। यह काम कोई भी कर सकता है।”

नितिन उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में रहते हैं और प्रदेश के बाराबंकी, रायबरेली, सीतापुर, कुशीनगर जिलों में किसानों के साथ काम करते हैं।

प्रवासी मधुमक्खी बक्से

“हम फसल की खेती के मौसम के आधार पर अपने मधुमक्खी के बक्सों को ट्रांसफर करते हैं। उदाहरण के लिए, उत्तर प्रदेश में मार्च में सरसों की खेती खत्म होने के बाद, हम अपने बक्सों को मुजफ्फरपुर [बिहार] में लीची की खेती के क्षेत्र में ट्रांसफर कर देते हैं, “नितिन सिंह ने कहा।

“जब सूरज डूबता है, तो मधुमक्खियाँ बक्सों में लौट आती हैं। हम बॉक्स को बंद कर देते हैं और इसे ट्रकों के जरिए ले जाते हैं, “उन्होंने बताया। बक्सों को सूर्योदय से पहले वहां पर पहुंचना चाहिए। यदि किसी वजह से बॉक्स सूर्योदय से पहले डेस्टिनेशन तक नहीं पहुंचते हैं, तो बॉक्स जहां हैं वहीं खोल दिए जाते हैं। मधुमक्खी पालक ने समझाया, “हम मधुमक्खियों को उस जगह से नेक्टर इकट्ठा करने देते हैं और दो दिन बाद फिर उन्हें आगे लेकर जाते हैं।

शुरुआती दिनों में, सिंह खुद मधुमक्खी के बक्सों के साथ जाते थे। इसलिए, वह अक्सर यात्रा कर होते थे। लेकिन अब तकनीक की मदद मिल जाती है।

नितिन की माँ सरस्वती सिंह भी कई बार उनकी मदद करती है।

शहद के साथ दूसरे भी उत्पाद

किसानों को बेचने के साथ ही नितिन की कंपनी मधुमक्खी के बक्से से शहद, मोम और प्रोपोलिस नामक एक यौगिक निकालती है। साथ ही नितिन की कंपनी शुद्ध शहद, लिप बाम, साबुन, दंत चिकित्सा देखभाल और मोमबत्तियों जैसे विभिन्न उत्पादों को बेचती है।

वह इनको नितिन की मधुमक्खियों के ब्रांड नाम से पूरे उत्तर प्रदेश में आयुर्वेदिक स्टोर और पूरे भारत में फ्रेंचाइजी की दुकानों में बेचा जाता है। “हम अपने उत्पादों में किसी भी रसायन का उपयोग नहीं करते हैं। हमारे उत्पाद पूरी तरह से हर्बल हैं, और मधुमक्खी से प्राप्त उत्पाद कभी खराब नहीं होते हैं, “सिंह ने कहा।

किसानों को बेचने और उत्पादों के अपने ब्रांड बनाने के अलावा, सिंह मधुमक्खी पालकों और उभरते उद्यमियों को तकनीकी परामर्श भी प्रदान करते हैं। “मैंने अपने शोध से अपने ज्ञान का उपयोग प्राकृतिक उपचारों का उपयोग करके मधुमक्खियों में बीमारियों के इलाज के लिए किया है। मैं किसी भी एंटीबायोटिक का उपयोग नहीं करता।”

अब उनके पास इस क्षेत्र में 15 साल का अनुभव है। फिर भी उसे कभी-कभी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। सिंह ने कहा कि इस काम में प्रकृति सबसे बड़ी चुनौती है।

“सरसों के फूल अगर किसी कारण से नहीं खिलेंगे तो मधुमक्खियां कैसे काम करेंगी? ग्लोबल वार्मिंग का भी इस पर बहुत बड़ा प्रभाव पड़ता है, और हमें इसके साथ-साथ अपनी कृषि पद्धतियों को भी विकसित करना चाहिए। यह उस क्षेत्र में भी हो सकता है जहां बॉक्स रखा जाता है खराब मौसम की घटना के कारण बाढ़ आ जाती है। या अचानक अप्रत्याशित वर्षा या ओलावृष्टि परागण प्रक्रिया को बाधित कर सकती है, “रॉयल हनी एंड बी फार्मिंग सोसाइटी के संस्थापक ने कहा।

“मेरी पहचान मधुमक्खी पालन से बनती है। मधुमक्खियों से आजीविका मिली, और मैं खुद को एक उद्यमी के रूप में देखता हूं, “उन्होंने कहा।

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