आप भी जानिए, कैसा लगता है हमें माहवारी के दिनों में

Anusha MishraAnusha Mishra   28 May 2017 2:38 PM GMT

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आप भी जानिए, कैसा लगता है हमें माहवारी के दिनों मेंप्रतीकात्मक तस्वीर

मन में अजीब सी चिड़चिड़ाहट, छोटी सी बात पर गुस्सा आ जाना, कुछ खाने-पीने का मन न करना, अकेले रहने की जगह तलाशना, ज़रा सी बात पर रो देना, बहुत अजीब सा मूड होता है महीने के ‘उन दिनों में’...

लखनऊ। मन में अजीब सी चिड़चिड़ाहट, छोटी सी बात पर गुस्सा आ जाना, कुछ खाने-पीने का मन न करना, अकेले रहने की जगह तलाशना, ज़रा सी बात पर रो देना, दूसरों से देखभाल की उम्मीद करना... बहुत अजीब सा मूड होता है महीने के 'उन दिनों में'। भावनाओं का जैसे रोलरकोस्टर सा चलता रहता हो मन में। ऐसा नहीं है कि हर वक्त सिर्फ चिड़चिड़िहाट ही होती है कई बार गुस्से के अगले पल में मन खुश भी हो जाता है। इस समय में भावनाओं से लेकर डाइट और जीवनशैली तक सब कुछ अनियमित हो जाता है।

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यह तो एकदम सामान्य सी बात है कि इस समय में लड़कियां कुछ ज़्यादा तुनकमिजाज़ हो जाती हैं लेकिन वो इससे अपनी तरह से निपटने की पूरी कोशिश भी करती हैं। लेकिन एक मिनट पर खुश होना, कुछ गुनगुनाना और अगले ही पल गुनगुनाते हुए एकदम से चिड़चिड़ाने लगना, रो देना, दुखी होना, इन सब चीज़ों से निपटना लड़कियों के लिए बहुत मुश्किल होता है। कुछ महिलाएं तो पीरिएड्स के दौरान में डिप्रेशन में चली जाती हैं। लड़कियां भी इस बात को लेकर असमंजस में रहती हैं कि उनके साथ ऐसा क्यों होता है? उनके लिए भी ये अबूझ पहेली की तरह ही होता है।

खुल कर करें माहवारी पर चर्चा

लखनऊ में कैसर बाग स्थित भारतेंदु नाट्य एकेडमी की छात्रा श्रेया बताती हैं, ''मैं संस्थान में शास्त्रीय नृत्य सीख रही हूं। पूरे महीने मैं मन लगाकर डांस की प्रैक्टिस करती हूं लेकिन पीरियड‍्स में मन इतना खराब है कि न तो डांस करने का मन करता है और न ही क्लास में जाने का। पीरियड‍्स में अगर कोई मुझसे बार-बार सवाल करता है या मुझे टोकता है तो मुझे बहुत गुस्सा आता है।''

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स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. सविता भट्ट बताती हैं, '' यह तो आजतक पूरी तरह से साफ नहीं हो पाया है कि माहवारी में भावनात्मक बदलाव की असली वजह क्या है लेकिन ऐसा माना जाता है कि इसके पीछे काफी हद तक हॉर्मोंस का हाथ होता है। माहवारी के दौरान महिलाओं के शरीर में एस्ट्रोजेन हॉर्मोन का स्राव सबसे ज़्यादा होता है।

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इस हॉर्मोन की प्रवृत्ति ही उतार-चढ़ाव वाली होती है। '' वो आगे बताती हैं, ''मासिक धर्म के 14वें दिन के आस-पास इसका स्राव चरम पर होता है और शरीर में अंडाणुओं का बनाना शुरू हो जाता है और इसके साथ ही एंडोर्फिन, सेरोटोनिन और एनकेफ़िलीन हॉर्मोंस का स्राव भी होने लगता है जो बहुत हद तक हमारे मूड में हो रहे बदलाव को निर्धारित करते हैं। इसको किसी मेडिकल तरीके से तो नहीं सही किया जा सकता, हां अपनी जीवन शैली में बदलवा करके कुछ हद तक रोका जा सकता है।''

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इस तरह करें मूड स्विंग पर कंट्रोल

अपनी डाइट और जीवनशैली में कुछ बदलाव करके कुछ हद तक मूड स्विंग को कम किया जा सकता है।

अच्छा खाएं

हालांकि माहवारी के दौरान मन अजीब रहता है और कुछ खाने का मन नहीं करता लेकिन इस समय खाने को छोड़ना हानिकारक हो सकता है। एक साथ नहीं खाने का मन है तो दिन में दो-तीन बार थोड़ा-थोड़ा खाएं। इससे आपके शरीर का ब्लड शुगर लेवल स्थिर होगा। खून में शर्करा की मात्रा में उतार-चढ़ाव से भी आपको चिड़चिड़ाहट हो सकती है इसिलए खाना न छोड़ें।

एक्सरसाइज करें

मासिक धर्म में व्यायाम नहीं करना चाहिए लेकिन अगर महिलाएं व्यायाम को अपनी दिनचर्या में शामिल करें तो यह दिमाग और शरीर दोनों के लिए अच्छा होता है। योगा करना ज़्यादा अच्छा होता है क्योंकि इससे दिमाग शांत रहता है। व्यायाम करने से शरीर में एंड्रोफिन रसायन का स्राव होता है जो आपकी खुश करता है।

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पूरी नींद है ज़रूरी

रात में कम से कम 8 घंटे की नींद लें इससे मन शांत रहता है। नींद का पूरा न होना आपमें चिड़चिड़ाहट बढ़ाता है। इसलिए पीरियड्स के दौरान मूड स्विंग से बचने के लिए ज़रूरी है कि नींद में कोताही न बरती जाए।

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न लें कैफीन

कैफीन पीने से एड्रेनेलिन हॉर्मोन का स्राव होता है जो सिम्पैथेटिक नर्वस सिस्टम को उत्तेजित करता है। कैफीन आपकी एड्रेनल ग्रंथियों पर दबाव डालता है जिससे आपमें चिंता और परेशानी बढ़ सकती है। इसलिए कैफीन य तो कम मात्रा में लें या फिर बिल्कुल ही न लें।

तनाव को नियंत्रित करें

मूड स्विंग का एक बड़ा कारण तनाव होता है, इसलिए माहवारी के दौरान किसी भी तरह का तनाव न लें। अगर किसी तरह का तनाव होता है तो उस पर खुद ही नियंत्रण करने की कोशिश करें।

डॉ. सविता भट्ट के अनुसार, ''पीरियड्स में मूड स्विंग की समस्या आम बात है। कम उम्र की लड़कियों में ये आजकल ज़्यादा देखने को मिल रही है लेकिन यह उम्र की महिलाओं में होती है। नियमित दिनचर्या में बदलाव की वजह से भी मूड स्विंग होता है। इसके लिए कोई दवा नहीं बनी है, बस खुद से ही कोशिश करनी होती है इससे बाहर आने की।”

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डाक्टरों की माने तो पीरियड्स के दौरान अक्सर महिलाएं खुद को दूसरों से अलग समझने लगती हैं। इसके बारे में किसी से बात नहीं करना चाहतीं, इस वजह से भी उनमें चिड़चिड़ाहट होती है। इस सोच को बदलें। महीने के बाकी दिनों की तरह इन दिनों में भी सामान्य रहें और खुश रहने की कोशिश करें। कुछ दिनों में समस्या खुद ही खत्म हो जाएगी।

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