खुले में शौचमुक्त के कारण प्रति परिवार सालाना 50,000 रुपए की बचत

Neetu SinghNeetu Singh   7 Feb 2018 6:38 PM GMT

  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
खुले में शौचमुक्त के कारण प्रति परिवार सालाना 50,000 रुपए की बचतजाने कैसे शौचालय इस्तेमाल से प्रति परिवार सालाना 50 हजार रुपए बचत हो रही है 

महात्मा गांधी की जयंती पर पांच साल पहले शुरु हुए स्वच्छ भारत मिशन ने तेजी से गति पकड़ी हैं। इस अभियान से न सिर्फ खुले में शौच जाने वालों की संख्या में कमी आयी है बल्कि इनकी सालाना 50 हजार रुपए प्रति परिवार आमदनी भी बचत है। ये आंकड़े वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आर्थिक समीक्षा के दौरान प्रस्तुत किए थे।

आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट 2018 के अनुसार खुले में शौच मुक्त गांव में सालाना प्रति परिवार 50 हजार रुपए बचत का अनुमान लगाया गया है। जब गांव कनेक्शन ने देश के पांच राज्यों के खुले में शौच मुक्त ग्राम प्रधानों और ग्रामीणों से बात की तो सभी ने अपने अलग-अलग अनुभव साझा किए।

मध्यप्रदेश के सीहोर जिले के राला ग्राम पंचायत के रहने वाले हरीश पवार ने गांव कनेक्शन को बताया, “हमारी पंचायत दो साल पहले ओडीएफ हो चुकी है। मुझे नहीं लगता ओडीएफ से प्रति परिवार सालाना बचत का कोई लेना देना है। अगर सरकार ने ये आंकड़े स्वास्थ्य पर होने वाले खर्चे से निकाले हैं तो वो अलग बात है पर हकीकत में मुझे अपनी पंचायत में ओडीएफ होने के बाद सालाना प्रति परिवार बचत नजर नहीं आयी है, स्थिति जस की तस है।”

ये भी पढ़ें: इलाहाबाद के ओडीएफ घोषित गाँवों में दस फीसदी घरों में ही बने शौचालय

यूनीसेफ ने 12 राज्यों के 10 हजार घरों में एक स्टडी की, जिसके अनुसार ये निकल कर आया जो वास्तव में खुले में शौच मुक्त पंचायतें हैं जो सिर्फ कागजों में नहीं। वो परिवार सालाना पहले स्वास्थ्य पर कितना खर्च करते थे, बीमारी के दौरान काम पर कितने दिन नहीं जाते थे और जब शौचालय बन गया तब उनका कितना खर्च हुआ इस आधार पर ये 50 हजार प्रति परिवार सालाना बचत निकाली गयी है।

लखनऊ में यूनीसेफ के वाटर एंड सेनीटेशन हाईजीन (वाश) स्पेशलिस्ट चिरंजीवी तिवारी ने बताया, “प्रति परिवार 50 हजार सालाना बचत 10 हजार परिवारों के साथ हुए शोध से निकाली गयी है। ये बचत तभी सम्भव है जब वो ग्राम पंचायत सिर्फ कागजों में नहीं बल्कि हकीकत में खुले से शौच मुक्त हुई हो।”

आर्थिक समीक्षा 2018 की रिपोर्ट के अनुसार अब तक पूरे देश में 296 जिलों और 3,07,349 गांवों को खुले में शौच मुक्त घोषित कर दिया गया है। दो अक्टूबर 2014 को शुरु हुए स्वच्छ भारत मिशन का ग्रामीण क्षेत्र में स्वच्छता का दायरा वर्ष 2014 में 39 प्रतिशत से बढ़कर जनवरी 2018 में 76 प्रतिशत हो गया है। रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि 2014 में खुले में शौच जाने वाले व्यक्तियों की आबादी जहां 55 करोड़ थी वहीं ये आबादी जनवरी 2018 में घटकर 25 करोड़ बची है। यूनीसेफ और स्वच्छ भारत मिशन की वित्तीय और आर्थिक रिपोर्ट में ये आंकलन किया गया है कि खुले में शौच मुक्त गांव में एक परिवार सालाना 50 हजार रुपए की बचत करता है।

ये भी पढ़ें- औरैया जिले के दस गाँव ओडीएफ घोषित

राजस्थान के राजसमंद जिले से 10 किलोमीटर दूर पिपलांत्री ग्राम पंचायत आज किसी परिचय की मोहताज नहीं है। इस गाँव के पूर्व सरपंच श्याम सुन्दर पालीवाल (50 वर्ष) ने अपने पांच वर्षीय कार्यकाल (2005-2010) में ही अपनी पंचायत को वर्ष 2007 में ओडीएफ घोषित करा दिया था।

श्याम सुन्दर पालीवाल का कहना है, “सालाना प्रति परिवार 50 हजार रुपए बचत हुई है या नहीं ये कह पाना तो थोड़ा मुश्किल है पर अगर मैं अपनी पंचायत की बात करूं तो घर-घर शौचालय बनने से लोगों में विकास जरुर हुआ है, इसका पैसे से कोई मोल नहीं है। उनका स्वास्थ्य बेहतर हुआ है, बीमारी का प्रतिशत बहुत कम है, उनकी दिनचर्या बदली है, खुले में शौच जाने वाला तनाव कम हुआ है, समय की बचत हुई है।”

वो आगे बताते हैं, “अपनी ग्राम पंचायत में ऐसे तमाम बदलाव मैंने देखे हैं जो विकास और सम्पन्नता की निशानी है। ये प्रति परिवार की सालाना 50 हजार बचत से भी कई गुना ज्यादा है पर ये उनकी पैसे की बचत है ये कह पाना मुश्किल है। किसी भी पंचायत के विकास में पहली कड़ी ग्राम पंचायत का ओडीएफ होना ही है।”

राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण एवम भारतीय गुणवत्ता परिषद की रिपोर्टों के आधार पर शौचालय तक पहुंच वाले लोगों की संख्या में 2016 के मुकाबले 2017 में 90 प्रतिशत वृद्धि दर्ज की गयी है। रिपोर्ट के अनुसार आठ राज्यों और दो केन्द्रशासित प्रदेशों सिक्किम, हिमाचल प्रदेश, केरल, हरियाणा, उत्तराखंड, छत्तीसगढ़, अरुणाचल प्रदेश, गुजरात, दमन और दीव एवम चंडीगढ़ को खुले में शौच से पूर्ण रूप से मुक्त घोषित किया गया है।

उत्तराखंड के नैनीताल जिले में चल रहे कुमाऊँवानी सामुदायिक रेडियो में काम कर रहीं रितु आर्या (25 वर्ष) का कहना है, “हम गांव-गांव जाकर काम करते हैं, जो ग्राम पंचायतें ओडीएफ हैं वहां की महिलाएं बीमार कम पड़ती हैं। जिनके घरों में शौचालय बने हैं वो महिलाएं पेटभर खाना खाती हैं और अपने बच्चों को भी देती हैं जिससे उनका स्वास्थ्य पहले से बेहतर है।”

हरियाणा के मेवात जिले के रंगाला तुरु पंचायत के ग्राम प्रधान जसवंत सिंह का कहना है, “खुले में शौच जाना लोगों की आदत में शामिल था वो इसे बुरा नहीं मानते थे। अब पंचायत की तरफ से जब उन्हें समझाने की कोशिश करते हैं और शौचालय के फायदे बताते हैं तो अब 80 प्रतिशत लोग शौचालय का प्रयोग करने लगे हैं।”

ये भी पढ़ें- पूरे देश में ओडीएफ का शोर है, जानिए कैसे गांव को बनाया जाता है खुले में शौच से मुक्त

 

Next Story

More Stories


© 2019 All rights reserved.