स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क, अजय कुमार (स्वयं कम्यूनिटी जर्नलिस्ट)
मुरादाबाद/लखनऊ। भारत में पुलिस को लेकर आमधारणा काफी हद नकारात्मक है। उन पर सलीके व्यवहार न करने और लोगों को परेशान करने के आरोप लगते हैं, लेकिन पुलिस का एक रुप ये भी, जो मुरादाबाद की पुलिसलाइन में नजर आया है। हालांकि पुलिस का ये मानवीय रुप कम ही सामने आ पाता है।
मुरादाबाद की पुलिस लाइन में 31 मार्च की सुबह ट्रेनिंग कर रहे पुलिसकर्मियों (रिक्रूट आरक्षियों) ने मानवता की मिसाल पेश की है, उन्होंने एक अख़बार बेचने वाले एक बुजुर्ग को चंदा लगाकर साइकिल गिफ्ट की है। उन बुजुर्ग का घर चलता रहे इसलिए पुलिसलाइन के लगभग सभी पुलिसकर्मियों ने 3 रुपये वाले अख़बार को 10 रुपये में लेने का फैसला किया है।
उत्तर प्रदेश की मुरादाबाद पुलिस लाइन में पिछले कई वर्षों से बुजुर्ग ओम प्रकाश अख़बार डालने का काम करते थे, कुछ महीने पहले उनकी साइकिल चोरी हो गई थी, इसलिए वो कभी रिक्शा कर तो कभी पैदल ही अख़बार देने आते थे। ट्रेनिंग करने वाले पुलिसकर्मियों ने जब उनका ये हाल देखा तो मदद का फैसला लिया।
ओमप्रकाश की गरीबी देखकर पुलिसवालों ने बैरक में चंदा लगाया, किसी ने 20 दिए किसी ने 100 रुपए। 500 हजार की साइकिल गिफ्ट की है, जबकि आरक्षियों ने तय किया है कि वो अब 3 रुपये वाला अख़बार भी 10 रुपये में खरीदेंगे।
प्रशांतर धामा, कांस्टेबल, यूपी पुलिस
इस पूरे वाक्ये को अपने मोबाइल में कैद करने वाले पुलिसलाइन में तैनात कांस्टेबल प्रशांतर धामा ने गांव कनेक्शन को बताया, “ओमप्रकाश अक्सर लोगों से अख़बार खरीदने के कहते रहते थे, एक दिन बातों में ही बातों में पता चला कि वो काफी गरीब हैं, उनका घर मुश्किल से चल पा रहा है, पिछले दिनों साइकिल भी चोरी हो गई, जिससे उन्हें कई किलोमीटर पैदल चलना पड़ता है।“
“जिसके बाद आरक्षियों ने रात में ही चंदा जुटाया, किसी ने 20 दिए किसी ने 100, जिनके पास अखबार का पैसा बाकी थी उनसे लिया और करीब 5000 रुपये की नई साइकिल खरीदी। 31 मार्च को जैसे ही ओमप्रकाश अख़बार लेकर पहुंचे आरक्षियों ने उन्हें गिफ्ट दिया।” वो आगे बताते हैं।
पुलिसकर्मियों से मिली साइकिल और ऐसे व्यवहार की ओमप्रकाश ने शायद कल्पना नहीं की होगी। आंखों में नमी लिए ओमप्रकाश वीडियो में कह रहे हैं कि जब पुलिसवालों ने ऐसा कहा तो मुझे लगा कोई गलती हो गई है लेकिन जब उन्होंने साइकिल सौंपी और अख़बार खुद बांटने लगे तो मुझे भरोसा नहीं हुआ।
धामा बताते हैं, “पुलिसकर्मी कई बार लोगों की खुलकर मदद करते हैं लेकिन वो बाते सामने नहीं आ पाती। इसलिए जब मुझे पता चला मेरे जूनियर ने एक बुजुर्ग हाकर की मदद कर रहे हैं तो मैंने मौके पर पहुंचकर वीडियो बनाया और ओमप्रकाश की राय भी जानी।’
मेरे लिए ये बड़ी बात है कि आप (पुलिसकर्मी) प्यार से बात कर रहे हो, साइकिल अलग बात है। पुलिस की छवि के लिए जनता भी जिम्मेदार है।
ओम प्रकाश, अख़बार विक्रेता, मुरादाबाद
पुलिसकर्मियों से बातचीत में इस व्यवहार से गदगद ओमप्रकाश कहते हैं, “मेरे से लिए बड़ी बात है कि आप मेरे से प्यार से बात करते हो, साइकिल को अलग बात है।” आरक्षियों की पहल के लिए उन्हें बार-बार धन्यवाद दे रहे ओम प्रकाश कहते हैं, पुलिस की गलत छवि के लिए जनता भी जिम्मेदार है, लोग कसूरवार होते हैं और फिर पुलिसकर्मियों को पैसा देकर मामला निपटाने की कोशिश करते हैं तो पुलिस अकेले ख़राब कैसे हो गई।”
अभी तक ओमप्रकाश पुलिस लाइन में करीब 25 अख़बार घूम-घूम कर बांटते थे, कई बार पुलिसवाले भी उन्हें पढ़कर अखबार के बिना पैसे दिए वापस कर देते थे लेकिन अब वो 50 अख़बार खरीदेंगे और 3 की बजाए 10 रुपये देंगे। प्रशांतर धामा बताते हैं, वो बुजुर्ग हैं उन्हें ज्यादा चलना न पड़े इसलिए बैरक के पास एक काउंटर पर उन्हें अखबार रखने को बोल दिया गया है। सब लोग वहीं से उठा लेंगे।”
साइकिल देने के साथ ही पुलसकर्मियों ने उनके साथ सेल्फी भी ली। प्रशांत बताते हैं, जब नई नई साइकिल की घंटी बजाते हुए पुलिसलाइन से निकले हमारे साथी (पुलिसकर्मी) भी मुस्कुरा पड़े। नेक काम करने का अपना सुकून होता है।
मुरादाबाद पुलिस लाइक के इन जवानों को सोशल मीडिया में खूब सराहना मिल रहा है। यूपी के आईजी नवनीत सिकेरा ने अपनी फेसबुक वॉल पर शेयर किया है, जहां लोग इन पुलिसकर्मियों को बधाई दे रहे हैं।