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हुनर हाट: कारीगरों को नाम और कमाई देता एक मंच

हुनर हाट में देश के अलग-अलग हिस्सों के हैंडीक्राफ्ट, आर्ट, कल्चर का संगम दिखता है। कारीगरों और निर्माताओं के मुताबिक उन्हें ऐसे आयोजन से नाम और पैसा दोनों मिलते हैं। लखनऊ में चल रहे Hunar Haat हुनर हाट में आए कई राज्यों के कारीगरों से गांव कनेक्शन से खास बात की। देखिए वीडियो
#Hunar Haat

लखनऊ (उत्तर प्रदेश)। “मैं कश्मीर से हूं। मेरा नाम जहांगीर है। हम यहां पश्मीना शॉल, क्रेव साड़ी और ऊनी कपड़े लेकर आए हैं। पहले मैं सिर्फ कारीगर था लेकिन अब हम मार्केट में हैं। हुनर हाट से हमें पता चल गया कि मार्केट में क्या चलता है, किसकी मांग है। क्या कलर कॉम्बिनेशन होना चाहिए।” एक खूबसूरत सी शॉल दिखाते हुए जहांगीर (38साल) कहते हैं।

जहांगीर अपने तीन साथियों के साथ लखनऊ के अवध शिल्पग्राम में चल रहे हुनर हाट में अपने उत्पाद लेकर आए हैं। उनके मुताबिक यहां उनकी अच्छी कमाई हो जाती है। जहांगीर कहते हैं, “मैं तीन-चार साल से इससे जुड़ा हूं। पिछले साल लखनऊ आया था अच्छी कमाई हुई है। हुनर हाट से हमारे जैसे लोगों को मंच मिला है।”

जहांगीर के बगल में ही पुंडुचेरी के अकबर की रंग बिरंगी दुकान सजी है। जिसमें 100 से ज्यादा प्रकार के लकड़ी के खिलौने और घर सजाने की चीजें हैं। जो एक विशेष किस्म की दुधिया लकड़ी (milky wood) से बनाए जाते हैं। अकबर के मुताबिक ये उनका पारंपरिक हुनर है। वो कहते हैं, “हमने अपने पुरखों के जमाने की कारीगरी को मेंनेट कर रखा है। यही वजह है कि हम जहां जाते हैं, खिलौने को बच्चे और बड़े सभी पसंद करते हैं।”

लखनऊ में अमर शहीद पथ पर अवध विहार योजना में स्थित अवध शिल्पग्राम के पास लगा है हुनर हाट। फोटो- यश सचदेव

हुनर हाट और वोकल ऑफ लोकल से नारों से क्या असर हुआ?

हुनर हाट और वोकल फॉर लोकल जैसे नारों से आम कारीगरों को क्या मिला है, क्या उनके व्यवसाय पर कुछ असर पड़ा है?

इसके जवाब में अकबर कहते हैं, “बहुत फायदा हुआ है। हुनर हाट की वजह से हमारी फैमिली का बैकग्राउंड अच्छा हुआ है, फाइनेंस की स्थिति सुधरी है।” वो खिलौने को दिखाते हुए कहते हैं, हमारे जैसे लोगों का माल पहले बाहर नहीं जा पाता था, लेकिन अब हमें बहुत से ऑर्डर मिल रहे हैं। लोग सीधे भी हमसे खरीद रहे हैं और थोक वाले भी ले जा रहे हैं। हम नकवी (मुख्तार अब्बास नकवी) जी और मोदी जी (प्रधानमंत्री) को शुक्रिया कहेंगे।”

हुनर हाट (Hunar Haat) भारत के अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय की एक पहल है, जो भारत के कारीगरों को उनके शिल्प, भोजन और संस्कृति का प्रदर्शन करने के लिए प्रोत्साहित करता है। भारत सरकार ने आजादी के अमृत महोत्सव के दौरान देशभर में 75 हुनर हाट के आयोजन का फैसला लिया है। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में 32वें हुनर हाट का उद्घाटन 12 नवंबर को केंद्रीय परिवार कल्याण मंत्री मनसुख मंडाविया और अल्पसंख्यक कार्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने किया। 21 नवंबर तक चलते वाली इस राष्ट्रीय स्तर की प्रदर्शनी में 30 राज्यों के 600 से ज्यादा कारीगर, हस्तशिल्प, आर्टिस्ट भाग ले रहे हैं।” हुनर हाट की इस बार की थीम वोकल फॉर लोकल  (vocal for local) और आत्मनिर्भर भारत Atmanirbhar Bharat है। 

पुंडुचेरी के अकबर की स्टॉल पर बैठे उनके परिजन। फोटो- यश सचदेव

हुनर हाट भारत के कारीगरों, दस्तकारों, शिल्पकारों का एंपावरमेंट और इप्लाईमेंट एक्सचेंज- नकवी

हुनर हाट का उद्घाटन करते हुए केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा ने कहा, “पिछले करीब 6 वर्षों में हुनर हाट से 6.75 लाख से ज्यादा कारीगरों और शिल्पकारों को रोजगार मुहैया कराया गया है।”

वो कहते हैं, “हुनर हाट भारत के कारीगरों, दस्तकारों, शिल्पकारों का एंपावरमेंट और इप्लाईमेंट एक्सचेंज साबित हो रहा है, कच्छ से लेकर कटक तक, कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक देश के हर कोने के हुनर उस्तादों की, पारंपरिक कला को जीवंत रखने का और मौका मार्केट मुहैया कराने का हुनर हाट एक प्रमाणिक प्लेटफार्म साबित हुआ है।”

इस दौरान केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री मनसुख मंडाविया ने भारतीय हैंडीक्राफ्ट की बढ़ती मांग उससे लोगों की आजीविका का जिक्र करते हुए एक घटना का जिक्र किया। केंद्रीय मंत्री मंडाविया ने कहा, “पिछले दिनों मैं मस्कट (Muscat)गया था, मस्कट में एक मार्केट है वहां हैं इंडिया का हैंडीक्राफ्ट वहां मिलता है। छोटे-छोटे हैंडीक्राफ्ट की कीमत वहां हजारों में थी, लेकिन हमारे देश के कारीगरों को उन्हें बनाने वालों को उनका पैसा नहीं मिल पाता होगा। लेकिन ऐसे आयोजनों के जरिए देश-विदेश के कारीगर शिल्पकारों के संपर्क में आएंगे। उनको बाजार मिलता है। इसका असर गांव में बैठी उस महिला कारीगर और उसके समूह को मिलता है, जो ऐसे उत्पाद बनाते हैं। मोदी जी ने वोकल फॉर लोकल के जरिए इन सबको एक सूत्र में पिरो दिया है।”

हुनर हाट में लोग खरीददारी के साथ मनोरंजन के लिए भी आते हैं। 

आजादी के अमृत महोत्सव में 75 हुनर हाट लगेंगी

आजादी की 75वीं वर्षगांठ मना रहे देश में मंत्रालय ने देश में अलग-अलग जगहों पर आजादी के अमृत महोत्सव के अंतर्गत 75 हुनर हाट लगा रही है। देसी, परंपरागत हस्तशिल्प, स्थानीय उत्पाद, हुनरबाज को मंच के अलावा स्थानीय लोककला को भी मंच मिलता है। हुनर हाट में भारी संख्या में भीड़ आए इसके लिए काफी तैयारियां की जाती हैं। लोगों के खानपान से लेकर मनोरंजन तक के मौके उपलब्ध कराए जाते हैं। हुनर हाट में जाने का कोई टिकट नहीं लेना होता है।

लखनऊ के अलीगंज में रहने वाली अनीता सिंह (45 वर्ष) अपने 2 बच्चों के साथ हुनर हाट में पहुंची थीं, मुरादाबाद से आए एक कारीगर के पीतल और दूसरे मेटल से बनाई गई घरेलू सजावट की वस्तुओं को देखते हुए उन्होंने कहा,  “हमारे लिए सबसे अच्छा होता है कि एक ही जगह पर हर तरह की चीजें मिल जाती हैं। मुझे थोड़ा पुराने जमाने की चीजें पसंद हैं। अब देखिए यहां कई राज्यों के लोग आए हैं। हमने पिछले साल भी यहां कई चक्कर लगाए थे।”

भोपाल से मिट्टी के बर्तन, कप, ग्लास खाना बनाने के बर्तन, यहां तक कि मिट्टी का कूकर लेकर आए राजेश प्रजापति (42साल) के यहां हुनर हाट के पहले दिन ही भीड़ लगी हुई थी। राजेश के यहां कुम्भारी मिट्टी का काम पारिवारिक पेशा है। लेकिन उनके जैसी परिवार की नई पीढ़ी ने इसमें काफी बदलाव किए और मटका, कुल्हड़, दीए तक की सीमित नहीं रहे। वो मिट्टी का तवा, चाय पीने वाले कप, तमाम तरह की घर की सजावट की वस्तुएं यहां तक की प्रेशर कूकर भी बनाते हैं।

राजेश कहते हैं,  “मिट्टी का काम हमारा परंपरागत काम है। लेकिन जब से हमने होश संभाला पुरानी चीजों को नया लुक दिया, जो लुप्त होता जा रहा था उसे नया रूप दिया। मिट्टी के बर्तन बनाए जो कई तरह की बीमारियों से बचाते हैं। खाने का प्राकृतिक स्वाद जिंदा रखते हैं। प्लास्टिक और फाइबर की जगह लोग नेचुरल और हैंडीक्राफ्ट से बनी चीजें पसंद कर रहे हैं।”

राजेश के मुताबिक नए डिजाइन और मार्केटिंग के साथ उन्हें कई सारे प्रयोग भी करने पड़े वो कहते हैं, ” पहले मिट्टी का कप लोग एक बार इस्तेमाल कर फेंक देते थे, लेकिन हर इतना महंगा खरीदना संभव नहीं। इसलिए हमने मिट्टी के कप की क्वालिटी इतनी बेहतर कर दी है कि वो यूज एंड थ्रो (इस्तेमाल करो और फेंके) का सिस्टम खत्म कर दिया। अब ये लंबे समय तक इस्तेमाल कर सकते हैं।”‘

राजेश के मुताबिक पिछले कुछ वर्षों में लोकल कारीगरों और उत्पादों के लिए काफी कुछ बदला है, स्वदेशी की मांग बढ़ी है। वो मार्केट मिलने को बड़ी उपलब्धि मानते हैं।

अपने उत्पाद के साथ कश्मीर के जहांगीर।

कलाकारों को भी मिल रहा हुनर दिखाने का मौका

हुनर हाट में उत्पादों के अलावा कलाकारों को भी अपनी कला के प्रदर्शन का बेहतर मौका मिलता है। लखनऊ की तृप्ति गुप्ता 25 साल से मिक्स मीडिया आर्ट से जुड़ी हैं। वो तरह की पेंटिंग बनाती हैं। गांव कनेक्शन से जब उनकी मुलाकात हुई वो हुनर हाट में ही एक पेंटिंग्स को अंतिम रूप दे रही थी। तृप्ति कहती हैं, “हुनर हाट का आयोजन काफी भव्य तरीके से किया जाता है। जहां हमारे हमारी सेफ्टी का भी ध्यान रखा जाता है। भीड़ भी काफी आती है। मेरे पास 100 रुपए से लेकर 50000 रुपए तक की पेंटिंग हैं।” आखिर वो हंसते हुए कहती हैं, हमारी शॉप यहां की सेल्फी प्वाइंट भी है।

 तृप्ति के मुताबिक राज्य स्तर पर कई अवार्ड जीत चुकी हैं। वो अकेले लखनऊ में 200 कलाकारों को ये आर्ट सिखा चुकी हैं।  तृप्ति गुप्ता जैसे यहां कई कलाकार हैं।

“हुनर हाट से सुथरी आर्थिक स्थिति” 

पश्चिम बंगाल में मिदनापुर (पश्चिमी मेदिनीपुर) से आए सुखदेव सामंता पश्चिम बंगाल में पाई जाने वाली विशेष घास से चटाई, परदे, चिक, मेजपोस समेत कई चीजें बनाते हैं। उनके पास 500 रुपए से लेकर 12000 रुपए तक की चटाई थी। सामंता के पास गांव में 12 से ज्यादा कारीगर हैं। पहले वो खुद कारीगर थे, लेकिन अब दूसरों को काम देते हैं। वो कहते हैं, “8-10 पहले तक मैं सिर्फ अपना ही काम करता था और कोई मार्केट नहीं था, लेकिन अब सब कुछ काफी अच्छा चल रहा है। अच्छी कमाई होती है तो मैं भी अपने गांव में कारीगरों को अच्छा पैसा दे पाता हूं। हमारी आर्थिक स्थिति सुधरी है।”

यहां चल रहे हैं हुनर हाट

लखनऊ से पहले यूपी में पिछले दिनों रामपुर और वृंदावन में हुनर हाट का आयोजन किया गया था। 14 नवंबर से दिल्ली के प्रगति मैदान में भव्य आयोजन शुरू हुआ है। जिसमें देशभर के करीब 1000 कलाकार, कारीगर भाग ले रहे हैं। 26 नवंबर से हैदराबाद में आयोजन होगा तो 10 दिसंबर को गुजरात के सूरत में हुनर हाट लगाया जाएगा। वहीं 22 दिसंबर से एक बार फिर दिल्ली में हुनर हाट का आयोजन होगा। इसके अलावा देश के लगभग सभी बड़े शहरों में हुनर हाट प्रस्तावित हैं।

लखनऊ का हुनर हाट

ऑनलाइन करें शॉपिंग

हुनर हाट की प्रदर्शनी के अलावा ऐसे कारीगरों का उत्पादों का ऑनलाइन भी खरीदा जा सकता है। हुनर हाट वर्चुअल प्लेटफार्म https://hunarhaat.org/ के जरिए भी खरीदारी की जा सकती है। 

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