गाँव की रहने वाली एक साधारण किसान महिला के लिए किसी किसान कंपनी का कोषाध्यक्ष बनना असंभव सा लगता है, लेकिन झारखंड की नीलिमा मुर्मू ने इसे संभव कर दिखाया।
तीन साल पहले स्वयं सहायता समूह में जुड़ी 36 वर्षीय नीलिमा मुर्मू ने कभी ये सोचा भी नहीं था कि हफ्ते की 10-10 रुपए की बचत करके किसी दिन वो एक कंपनी की बोर्ड ऑफ डायरेक्टर बन जाएंगी।
झारखंड के गिरिडीह जिले की रहने वाली नौंवी पढ़ी नीलिमा मुर्मू बताती हैं, “तीन साल पहले सखी मंडल (स्वयं सहायता समूह) में हर हफ्ते 10 रुपए की बचत करना शुरु किया था, दूसरे साल ही किसानों के उत्पादक समूह बने। हमारी कंपनी ने एक महीने पहले ही एक एग्री मार्ट और पलास मार्ट खोला है। एग्री मार्ट में किसानों को बाजार से कम दामों में बीज, खाद, छोटे-छोटे कृषि उपकरण जैसी तमाम चीजें आसानी से मिल जाती हैं।”
झारखंड में ग्रामीण विकास विभाग अंतर्गत झारखंड स्टेट लाईवलीहुड प्रमोशन सोसाईटी के द्वारा जोहार परियोजना का संचालन किया जा रहा है। इस परियोजना के जरिए ग्रामीण परिवारों को उत्पादक समूह एवं कंपनियों से जोड़कर उन्नत खेती, पशुपालन, मत्स्य पालन, सिंचाई, लघु वनोपज इत्यादि गतिविधियों के द्वारा उनकी आय में गुणात्मक बढ़ोतरी के काम किये जा रहे हैं। इसी के तहत जोहार एग्री मार्ट एक पहल है। एग्री मार्ट के जरिए खाद-बीज के अलावा अन्य कृषि सामाग्री की भी बिक्री की जा रही है, जैसे- डी.ए.पी, यूरिया, कुदाल, फावड़ा, कीटनाशक, पशु आहार इत्यादि।
‘जोहार एग्री मार्ट’ एक ऐसा ठिकाना है जहाँ बाजार से कम कीमत पर उच्च गुणवत्ता वाले बीज उपलब्ध हैं। ये एग्री मार्ट कृषि उत्पादक कंपनी ने खोले हैं और इन कंपनियों का संचालन झारखंड की महिला किसान कर रही हैं। नीलिमा ऐसे ही एक एग्री मार्ट के बोर्ड ऑफ़ डायरेक्टर में हैं।
नीलिमा कहती हैं, “इस एग्री मार्ट पर 160 से ज्यादा उत्पादक समूह की महिला किसान सामान लेने और कृषि सलाह लेने आती हैं। हम गुणवत्ता का ख़ास ध्यान रखते हैं। पलास मार्ट में महिलाएं उन सामानों को बेचती हैं जो उन्होंने खुद के हुनर से बनाई हैं। इन दोनों मार्ट का संचालन महिलाएं ही करती हैं।”
नीलिमा ‘गिरधन महिला उत्पादक कंपनी’ के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर में कोषाध्यक्ष के पद पर हैं। गिरिडीह जिले में इनकी कंपनी द्वारा संचालित जोहार एग्री मार्ट ने अपनी गुणवत्ता के कारण राज्य में एक विशेष जगह बनाई हुई है। झारखंड के 11 जिलों में 11 एग्री मार्ट संचालित हो रहे हैं। इससे अब तक 4,000 से ज्यादा किसान लाभान्वित हो चुके हैं और 73.40 लाख से अधिक का कारोबार हो चुका है।
गिरिडीह जिले के मधुपुर उत्पादक समूह से जुड़ी यशोदा बताती हैं, “जब हम समूह से नहीं जुड़े थे तब हमें जानकारी नहीं थी इस वजह से ठगी का शिकार हो जाते थे। कोई दुकानदार एक्सपायरी बीज दे देता तो कोई ज्यादा पैसे ले लेता था। जिन मुश्किलों का हमने सामना किया उसका सामना दूसरी महिला किसान न करें इसलिए हम लोगों ने ‘जोहार एग्री मार्ट’ खोला है। यह एक दुकान की तरह ही है जिसमें अच्छी गुणवत्ता वाले खाद-बीज बाजार से कम दामों में उपलब्ध हैं।”
ये एग्री मार्ट यहाँ के किसानों की पहली पसंद बनती जा रही है। उत्पादक समूह से जुड़े हजारों किसानों के अलावा आम किसानों को भी खाद-बीज एवं अन्य कृषि सामाग्री खरीदने के लिए दूर बाजार नहीं जाना पड़ता है और न ही गुणवत्ता को लेकर फिक्र रहती है।
यशोदा आगे कहती हैं, “धान की फसल के समय मैंने जोहार एग्री मार्ट से बाजार से लगभग 10 प्रतिशत कम कीमत पर खाद-बीज की खरीदारी की थी। धान की फसल अच्छी हुई। हाल के दिनों में मैंने मिर्च का उत्पादन किया है। बीज यहीं से लिया था अच्छा उत्पादन हुआ है।”
झारखंड में यशोदा कोई पहली महिला नहीं हैं जो उत्पादक समूह का हिस्सा हों। यशोदा की तरह राज्य में 17 जिलों के 68 प्रखंडों में 3,900 उत्पादक समूहों का गठन कर करीब 2.10 लाख से ज्यादा परिवारों को जोड़ा गया है।
जोहार एग्री मार्ट से किसान सीख रहे हैं उन्नत खेती के गुर
जोहार एग्री मार्ट में खेती से जुड़े सामानों की बिक्री के अलावा किसानों को उन्नत खेती एवं तकनीक से भी जोड़ने का कार्य किया जाता है। एग्री मार्ट के जरिए तकनीक का इस्तेमाल कर किसानों को उन्नत खेती से संबंधित सलाह एवं उपाय भी बताए जाते है। उत्पादक कंपनी से जुड़े किसानों को एग्री मार्ट अंतर्गत व्हाट्सएप के जरिए तकनीकी सलाहकारों से जोड़ा गया है। ये सलाहकार सुबह 10.30 से शाम 5 बजे तक किसानों को रोजाना खेती से जुड़ी जानकारी और समस्याओं का हल बताते है। हर एग्री मार्ट ने कृषक मित्रों और किसानों को व्हाट्सएप ग्रुप के जरिए जोड़ रखा है, जिससे किसान बस एक व्हाट्सएप मैसेज (फसल/पशु की फोटो) भेजकर ही उससे संबंधित सहायता/सहयोग व्हाट्सएप पर ही प्राप्त कर रहे हैं।