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खुले में शौच मुक्त अभियान के लिए निकली यूपी की 96 हजार महिलाओं की फौज 

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के सोलह जिले की महिला समाख्या की छियानवे हजार ग्रामीण महिलाएं जो कभी खुले में शौच जाने की तकलीफों को सहती थीं, लेकिन आज इन्होंने न सिर्फ खुद का शौचालय बनवाया बल्कि हजारों शौचालय बनवाकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के स्वच्छ भारत अभियान को पूरा करने के लिए आगे आयीं हैं। जो महिलाएं एक समय रात में पेटभर खाना नहीं खाती थी कि कहीं उन्हें शौच न जाना पड़े, पर आज इन्होंने शौचालय बनवाकर इस समस्या से छुटकारा पा लिया है।

“जब भी खेत में शौच के लिए जाते थे हमेशा डर लगा रहता था कि कोई आ न जाए। लोगों के आने-जाने से बार-बार उठना पड़ता। अगर सुबह उठने में देर हो गयी तो फिर बहुत दूर जाना पड़ता। हम लोगों की तो कोई बात नहीं हैं लेकिन लड़कियों को अकेले नहीं जाने देते।” ये कहना है रुमाली देवी (43 वर्ष) का।

वो आगे बताती हैं, “छह महीने पहले स्वच्छ भारत अभियान की स्वेच्छागृही बनकर सबसे पहले मैंने अपने घर में शौचालय बनवाया, इसके बाद पूरे गाँव की महिलाओं को शौचालय बनवाने और उसके निर्माण के लिए प्रेरित किया। आज हमारा गांव खुले में शौच जाने से मुक्त हो गया है।”

रुमाली देवी उत्तरप्रदेश के गोरखपुर जिला मुख्यालय से 32 किओमीटर दूर पिपराइच ब्लॉक के केवटली गाँव की रहने वाली हैं।

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स्वच्छ भारत के एक कार्यक्रम में ग्रामीण महिलाएं।

रुमाली देवी प्रदेश की पहली महिला नहीं हैं जिन्होंने अपना शौचालय बनवाया हो और अपने गाँव के लोगों को शौचालय इस्तेमाल के लिए प्रेरित किया हो। इनकी तरह उत्तर प्रदेश की छियानवे हजार महिलाओं ने न सिर्फ अपना खुद का शौचालय बनवाया है बल्कि 16 जिलों में 30 हजार से ज्यादा शौचालयों का निर्माण भी करवाया है। ये वो ग्रामीण महिलाएं हैं जिन्होंने खुले में शौच जाने की मुश्किलों को न सिर्फ देखा है बल्कि महसूस भी किया है।

महिला समाख्या से जुड़ने के बाद ये महिलाएं पहले से ज्यादा जागरूक हो गयी हैं। इन महिलाओं ने अपनी बचत के पैसे से अपने घरों में शौचालय निर्माण करवाया फिर समुदाय को जाकर प्रेरित किया।

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महिलाओं के चेहरे पर खुशी 

औरैया जिले में 35 हजार महिलाएं स्वच्छ भारत अभियान से जुड़ी हुई हैं। इन्होंने 25 हजार से ज्यादा शौचालयों का निर्माण कराया है।

जिले के पंचायत राज अधिकारी केके अवस्थी ने बताया, “महिला समाख्या की इन महिलाओं की गतिविधियों को बहुत दिनों से जानता था, मुझे लगा स्वच्छ भारत अभियान में इन महिलाओं की मदद से हमें अच्छी सफलता मिलेगी। इन महिलाओं को पांच दिन की स्वच्छ भारत की सीएलटीएस की ट्रेनिंग दिलवाई। जिले के 771 गाँव में इन महिलाओं ने पांच दिन इन गाँव में रुककर ट्रिगरिंग करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।”

वो आगे बताते हैं, “इनका उत्साह बढ़ाने के लिए इन्हें इनके इस काम के बदले कुछ प्रोत्साहन राशि भी दी गयी, जिससे ये आर्थिक रूप से सशक्त हुईं। 150 गाँव ओडीएफ हो चुके हैं, मार्च 2018 तक 80 प्रतिशत जिला ओडीएफ हो जाएगा, दो अक्टूबर 2018 में पूरा जिला ओडीएफ हो जाएगा, जिसमें इन महिलाओं का पूरा सहयोग मिला है।”

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सीतापुर की महिलाएं रैली निकालकर शौचालय प्रयोग के बारे में बताते हुए  

महिला समाख्या की परियोजना निदेशक स्मृति सिंह का कहना है, “हमारे लिए ये खुशी की बात है कि जिले स्तर पर स्वच्छ भारत अभियान को सफल बनाने में इनकी मदद ली गयी है। छियानवे हजार महिलाओं में 500 से ज्यादा मास्टर ट्रेनर हैं, 86 मास्टर ट्रेनर ने प्रदेशभर में लोगों को प्रशिक्षित कर जागरूक किया है। हर स्वेच्छागृही 25-25 शौचालय का निर्माण करवाती हैं, शौचालय निर्माण के साथ-साथ इन्हें आर्थिक रूप से मदद भी मिल रही है, जिससे ये आत्मनिर्भर होकर सशक्त हो रही हैं।”

वो आगे बताती हैं, “इन महिलाओं ने बताया है पहले ये दिन में पेटभर खाना नहीं खाती थी, अपने बच्चों को भी रात में पेटभर खाना नहीं देती थी क्योंकि रात में उन्हें शौच के लिए कौन ले जाएगा। लेकिन जबसे इन्होंने शौचालय बनवाया है न सिर्फ इनकी मुश्किलें आसान हुई हैं बल्कि गाँव की हजारों महिलाओं की मुश्किलें आसान हुई हैं।”

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नुक्कड़ नाटक करती ग्रामीण महिलाएं 

ये महिलाएं नुक्कड़ नाटक के जरिए, शौच के दौरान हुई घटनाओं का जिक्र करते हुए खासकर महिलाओं को समझाने का प्रयास करती हैं। औरैया जिले की महिला समाख्या की फील्ड कार्यकर्ता ब्रह्मा देवी (40 वर्ष) सैकड़ों गांव में मीटिंग करने जाती हैं। अपना अनुभव साझा करते हुए बताती हैं, “शौच के दौरान बहुत सारी घटनाएँ होती हैं, हम उन घटनाओं का जिक्र करते हुए महिला और पुरुषों को समझाते हैं जिससे ये शौचालय बनवाने पर ध्यान दें। पहले हमने अपने घर पर शौचालय बनवाया अब आसपास गाँव के लोगों को शौचालय बनवाने के लिए बताते हैं।”

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दो अक्टूबर को हुई अभियान की शुरुआत

स्वच्छ भारत अभियान की शुरुआत दो अक्टूबर 2014 को महात्मा गांधी की जयंती पर प्रधानमंत्री ने की थी, इस मिशन को अक्टूबर 2019 को पूरा करके देश को खुले से शौच मुक्त करना है। पंचायती राज दिवस पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा था, “प्रदेश में अभी शामली जिला ही शौच मुक्त हुआ है, दिसंबर 2017 तक 30 जिले खुले में शौच मुक्त हो जाएंगे, दिसंबर 2018 तक पूरा प्रदेश खुले से शौच मुक्त करा दिया जाएगा।”

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स्वच्छ भारत पर नाटक करतीं महिला समाख्या की कार्यकर्त्री।

लड़कियों के साथ हुई छेड़खानी को खुले में शौच जाने से नहीं जोड़ते

शौच के दौरान हुई घटनाओं को ग्रामीण लोग अभी भी खुले में शौच जाने की वजह नहीं मानते हैं। उन्हें लगता है अगर लड़की घर से बाहर निकलती तो भी अगर ये घटना होनी होती तो हो जाती।

सीतापुर जिला मुख्यालय से 35 किलोमीटर दूर पिसांवा ब्लॉक से पश्चिम दिशा के मूडाखुर्द गांव की रहने वाली स्वेच्छा गृही सुषमा देवी (35 वर्ष) का कहना है, “गाँवों में वर्षों से खुले में शौच जाने की परम्परा है, सरकारी बने शौचालय में भी लोग लकड़ी कंडा भरे हुए हैं, आज भी गाँव में खुले में शौच जाना सामान्य बात मानी जाती है, बलात्कार और छेड़छाड़ जैसी घटनाएं यहां होती रहती है फिर भी लोग इन हादसों को खुले में शौच जाने से नहीं जोड़ते हैं, लेकिन अब बहुत समझाने पर लोग शौचालय बनाने लगे हैं।”

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महिला समाख्या की जिला समन्यवक अनुपम लता कुछ महीने पहले खुले में शौच के दौरान ग्राम प्रधान की पन्द्रह वर्षीय बेटी के साथ हुए रेप के बाद मौत की घटना का जिक्र करते हुए बताती हैं, “बिसवां ब्लॉक के एक गाँव के प्रधान की बेटी के साथ 30 जून को खुले में शौच के दौरान गाँव के दो लड़कों ने रेप किया, फिर मार दिया, इस घटना को भी आस पास के लोग शौचालय से नहीं जोड़ रहे थे, इस घटना के बाद गाँव में दहशत का माहौल जरूर था, शौच करने कोई अपनी बिटिया को अकेले नहीं भेज रहा था, ख़ास बात ये थी फिर भी लोग शौचालय बनाने के बारे में नहीं सोच रहे थे।”

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औरैया जिले की शकुंतला देवी शौचालय निर्माण के बारे में बताते हुए 

वो आगे बताती हैं, “हमारी महिलाएं इस तरह की घटनाओं का जिक्र करते हुए ग्रामीणों को समझाती हैं, जिससे लोग शौचालय निरामं हली नहीं बल्कि इस्तेमाल पर भी जोर दें। महिला समाख्या 450 ग्राम पंचायत में काम कर रही है, हर पंचायत से दो महिलाएं चुनी गयी हैं, कुल 950 महिलाएं इस अभियान में शामिल हैं हर महिला को 25 शौचालय के निर्माण की जिम्मेदारी दी गई है, काफी संख्या में शौचालय बन रहे हैं, लोग इस्तेमाल भी करने लगे हैं।”

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ग्रामीणों को महिलाएं कर रहीं जागरूक

श्रावस्ती जिला मुख्यालय से 40 किलोमीटर दूर सिरसिया ब्लॉक के ताल बघोड़ा गांव की शाबिरा ने स्वच्छ भारत अभियान मुहिम में शामिल होकर अबतक 50 शौचालय बनवाये हैं। जिला समन्यवक इंदु का कहना है, “हमारे यहाँ 81 महिलाएं स्वेच्छा गृही बनी हैं, शाबिरा की तरह हर महिला अपने स्तर पर शौचालय निर्माण में सहयोग कर रही हैं, जिनके शौचालय बन जाते हैं वो अपने फायदे बताती हैं जिससे इनमें और जागरुकता आ रही है।”

औरैया जिले की महिला समाख्या की जिला समन्यवक विनीता त्रिपाठी बताती हैं, “ये महिलाएं तीन बातों पर ख़ास ध्यान देती हैं, पहला जो सक्षम हैं वो शौचालय अपने पैसे से बनवा लें, दूसरा जिनके बने हैं वो इस्तेमाल करना शुरू कर दें, तीसरा जिनके पास पैसा नहीं है उन्हें प्रशासन से मदद दिलवाकर बनवा रही हैं।” वो आगे बताती हैं, जिले में स्वच्छ भारत अभियान में 7055 महिलाएं प्रेरक की भूमिका में हैं, जिन्होंने 3665 शौचालय प्रेरित करके बनवाये हैं। दिसम्बर आख़िरी तक 27 हजार शौचालय बन जायेगें।”

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गोरखपुर जिले की स्वेच्छा गृही ग्रामीणों से बात करते हुए 

ग्रामीण समझें शौचालय की महत्ता : डीएम सीतापुर

खुले में शौच के दौरान प्रधान की बेटी के साथ हुई रेप घटना पर सीतापुर की जिलाधिकारी डॉक्टर सारिका मोहन कहती हैं, “इस घटना को स्वच्छ भारत अभियान में ग्रामीणों को सीएलटीएस के दौरान बताया जा रहा है, जिससे ग्रामीण शौचालय निर्माण और इस्तेमाल की महत्ता को समझें। जिले में महिला समाख्या की सैकड़ों महिलाएं इस मुहिम में शामिल हैं, मुझे लगता है एक महिला ही महिला के नजरिए से शौचालय के फायदे बता सकती है, इसलिए इनका शामिल होना स्वच्छ भारत अभियान की मुहिम को पूरा करने में मददगार साबित हो रहा है।”

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नुक्कड़ नाटक करतीं हुईं औरैया जिले की महिलाएं 

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औरैया मुख्य विकास अधिकारी सतेन्द्र कुमार चौधरी का कहना है, “महिलाएं अपने घरों से निकलकर आगे आयी हैं, अगर प्रशासन के अधिकारी शौचालय निर्माण की बात समझाते तो गाँव के लोग नहीं समझते, इसलिए इन महिलाओं को चुना क्योंकि ये उन्ही गाँव की महिलाएं हैं। इनकी बताई बात लोगों को आसानी से समझ में आ जाती है। 150 गाँव ओडीएफ हो चुके हैं, दिसम्बर तक 100 गाँव और हो जाएंगे।”

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