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‘बुक ऑन व्हील्स’: आप किताबें पढ़ने के हैं शौकीन तो आपके घर चलकर पहुंचेगी लाइब्रेरी

लाइब्रेरी

देशभर में जरुरतमंदों और बेसहारों को मुफ्त में रक्त मुहैया करने वाली यूपी की स्पेशल टीम 12 ग्रुप ने शिक्षा को लेकर एक नयी पहल शुरू की है। इस ग्रुप ने बरेली में चलती फिरती लाइब्रेरी का शुभारम्भ किया है। गरीब छात्र-छात्राओं की राह आसान करने के लिए लाइब्रेरी खोली गई है, जहां छात्र-छात्राएं नि:शुल्क किताबें लेकर पढ़ सकते हैं। टीम ने इसको बुक ऑन व्हील्स का नाम दिया है। बुक ऑन व्हील्स एक मारूति कार में स्थापित है, जिसे शहर के चौराहों से लेकर गाँवों तक ले जाया जा रहा है।

शहर के चौराहों से लेकर गाँवों तक ले जाया जा रहा है।

बुक ऑन व्हील्स के संस्थापक और रुहेलखंड विश्वविद्यालय में गेस्ट लेक्चरार नवनीत कुमार बताते हैं, “आम तौर पर मोबाइल और कंप्यूटर में व्यस्त युवाओं को अध्ययन के प्रति जागरूक न पाने की उनकी चिंता ने इस मुहीम को जन्म दिया। यह बात परेशान करती थी कि जरूरतमंद लेकिन होनहार बच्चों की शिक्षा बिना किताबों के अधूरी रह जाती है। नवनीत ने अपने खर्च से कुछ किताबें खरीदीं और बुक ऑन व्हील्स की शुरुआत की।

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ऐसी पुस्तकें मिलती हैं यहां

लोग यहां आकर अपने पसंद की किताबें पढ़ते हैं।

इस चलती फिरती लाइब्रेरी में हिंदी अंग्रेजी के सभी समाचार पत्र, कविता, कहानियां, उपन्यास, लाइफ मैनेजमेंट, प्रतियोगी परीक्षाओं हेतु करेंट अफेयर्स, मैगजीन्स, सामान्य कानून, लीडरशिप, आध्यात्म और एनसीईआरटी आदि की पुस्तकें पढने को मिल रहीं हैं। पाठकों को किताबे पढ़ते वक्त कोई परेशानी न इसको देखते हुए उनके बैठने के लिए स्टूल भी साथ-साथ लेकर जाते हैं। इसके साथ ही इस गर्मी के सीजन में पानी का भी इंतेजाम रहता है। बुक ऑन व्हील्स एक स्थान पर करीब तीन घंटे खड़ी रहती है। इस दौरान लोग यहां आकर अपने पसंद की किताबें पढ़ते हैं।

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युवाओं के बीच काफी लोकप्रिय है यह लाइब्रेरी। 

प्रो. वीपी दीक्षित के स्मृति में बनाई लाइब्रेरी

पंतनगर विश्वविद्यालय के प्रोफ़ेसर रह चुके स्व. वीपी दीक्षित की कार ही इस चलती फिरती लाइब्रेरी की इमारत है। प्रोफ़ेसर दीक्षित के बेट प्रो. पंकज दीक्षित और मेज़र अम्बुज दीक्षित ने सहर्ष उनकी कार को इस्तेमाल करने की इजाजत दी है। प्रो. पंकज दीक्षित ने इकोनॉमिक्स की स्वयं की लिखी कुछ पुस्तकें भी भेंट की हैं। प्रो. वीपी दीक्षित को पढ़ने और पढ़ाने का शौक था। उन्होंने कई असमर्थ छात्रों का खर्च खुद उठाया था और उन्हें अपने घर पर पढ़ा लिखा कर सरकारी पशु चिकित्सक बनाया।

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पर बैठकर हजारों बच्चों को दे चुके मुफ्त में शिक्षा

इन्होंने इस कार्य का बीड़ा उठाया

जरुरतमंद लोगों को शिक्षित करना है इनका लक्ष्य।

छात्र प्रभांशु शुक्ला, अंकित, सक्षम, सोनल, आकांक्षा शुक्ला, अमन, ओजस्वी, अलोक, रिसर्च एसोसिएट डॉ हेमंत शुक्ला, लेक्चरर आयुषी गौर आदि इस मुहीम को आगे बढ़ा रहे हैं। आकांक्षा का कहना है, “ बुक ऑन व्हील्स शुरू करने का उद्देश्य एक ही था कि जरूरतमंद बच्चों के हाथ तक किताब आसानी और निशुल्क पहुंचाई जाए।”

लोग दे रहे अपनी पुरानी किताबें

टीम की सदस्य लेक्चरार आयुषी गौर का कहना है,“ हमारी इस मुहीम को लोगों का बहुत सहयोग मिल रहा है। हम सभी के पास कुछ ऐसी पुस्तकें होती हैं जो हमारे घर पर बेकार पड़ी होती हैं। हम लोग ऐसे लोगों को प्रोत्साहित करते हैं कि वे अपनी बेकार पड़़ी पुस्तकों को हमारी लाइब्रेरी में भेंट करें, ताकि जरुरतमंद लोगों को इसका लाभ मिल सके। लोग हमें अपनी पुरानी पुस्तके दे रहें हैं, जिससे हमारी लाइब्रेरी और समृद्ध हो रही है।

कार के अंदर बैठकर किताबें पढ़ते लोग। 

ग्रामीण बच्चों पर विशेष ध्यान

नवनीत का कहना है, “ शुरुआत में विश्वविद्यालय के छात्रों के बीच लोकप्रिय बनाने के लिए इसे कैंपस के आस पास ही रखा गया है। अब गर्मी की छुट्टियां होने वाली है। अब इसे कस्बों और गाँवों में ले जाया जाएगा। जिससे शहर से दूर गाँव में बैठे जरुरतमंद को उसके जरुरत की किताबें मिल सकें।”

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