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इस युवक की मुहिम रंग लाई, यूपी बोर्ड के पाठ्यक्रम में शामिल होगी डॉ कलाम की जीवनी

NCERT

डॉक्टर अब्दुल कलाम की जीवनी को अब NCERT ने अपने स्लेबस में ले लिया है। इतना ही नहीं NCERT के पैटर्न से प्रभावित होकर यूपी बोर्ड ने बारहवीं की क्लास में हिंदी विषय के लिये ‘तेजस्वी मन’ के नाम से इस पाठ्यक्रम को शामिल किया है। इसके अंतर्गत एपीजे अब्दुल कलाम के जीवन के संघर्षों और कहानियों के बारे में बताया जाएगा। ये काम मुमकिन हो सका है गोरखपुर के चाैरी-चाैरा तहसील निवासी विनीत चतुर्वेदी के प्रयास से। विनीत सिविल सर्विस की तैयारी कर रहे हैं।

गाँव कनेक्शन से बातचीत में विनीत ने बताया 2013 में लखनऊ में नेशनल बुक फेयर के दौरान मेरी मुलाकात एपीजे अब्दुल कलाम से हुई। उनके विचारों को सुनकर मैं इतना प्रभावित हुआ कि मैंने कलाम फाउंडेशन के नाम से संस्था का रजिस्ट्रेशन करवा लिया। इसके बाद लखनऊ के स्लम एरिया में जा कर वहां के बच्चों को अपनी पॉकेट मनी से स्टेशनरी देता था और बच्चों को पढ़ाने के लिये उनके माता-पिता को जागरूक करता था। शुरूआत में केजीएमसी के मित्र हैं डॉक्टर शैलेन्द्र प्रताप सिंह और मैं हम दो लोगों ने इस मुहिम का हिस्सा थे।

विनीत चतुर्वेदी।

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फिर अब्दुल कलाम के नाम पर इंटरनेशनल कन्क्लेव हुआ उस कार्यक्रम के दौरान बहुत से नौजवान मिले और मैंने अपने लक्ष्य के बारे में लोगों को बताया इसके बाद साथियों की संख्या बढ़ती गई। जुलाई 2015 में अब्दुल कलाम की असामयिक मृत्यु के बाद ये ख्याल आया कि उनके विचारों को जिंदा रखने के लिये भारत सरकार के सामने कुछ प्रस्ताव रखा जाए। इसके लिये हमने लखनऊ की लॉमार्ट गर्ल्स कॉलेज की प्रिंसिंपल इब्राहम मैम से मुलाकात की और उन्होंने हमारा साथ दिया।

बाद में हमने बहुत से कॉलेज में जाकर बात की जैसे बस्ती, गोरखपुर व अन्य जिलों में भी गया। मध्य प्रदेश की कार्यकर्ता अश्मत ख़ान ने स्कूलों में जा-जा कर बच्चों से चिठ्ठियां लिखवाई बाकी उत्तर प्रदेश के अन्य जिलों में मैं और डॉक्टर शैलेन्द्र प्रताप सिंह ने जाकर स्कूलों में बात करने के बाद बच्चों से चिठ्ठियां लिखवाईं। इन चिठ्ठियों में बच्चों ने कलाम साहब की जीवनी को बच्चों के पाठ्यक्रम में शामिल करने की प्रार्थना थी।

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विनीत के मुताबिक लखनऊ से साढ़े तीन हजार बस्ती और गोरखपुर से भी लगभग तीन हजार और मध्य प्रदेश से दो हजार के करीब चिठ्ठियां प्रधानमंत्री कार्यालय में भिजवाईं। उसके बाद प्रधानमंत्री कार्यालय से फोन आया और उनकी मांग को मानव संसाधन विकास मंत्रालय को अग्रेषित किया और उनकी इस मांग को स्वीकार कर लिया गया। बतादें विनीत ने प्रधानमंत्री कार्यालय से अब्दुल कलाम को लेकर तीन मांगें की थी जिसमें से एक मांग को स्वीकार कर लिया गया।

कलाम फाउंडेशन की कोर टीम डॉक्टर शैलेन्द्र प्रताप सिंह, डॉक्टर प्रबोध मेहर, डॉक्टर अजीत प्रताप सिंह, अरुणा लंबत, सत्यप्रकाश, अश्मत ख़ान, अमोल कदम आदि ने इस निर्णय पर प्रधानमंत्री तथा प्रदेश के मुख्यमंत्री को बधाई देते हुए बताते हैं कि पाठ्यक्रम के इस बदलाव से प्रदेश के 26 हज़ार स्कूलों में पढ़ रहे लगभग सवा करोड़ बच्चे लाभान्वित और प्रेरित होंगे।

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