सुनील तनेजा
मेरठ। कहते हैं ज्ञान किसी बंदिश का मोहताज नहीं और मेरठ की आठ साल की बच्ची रिदा इसका सबसे जीवंत उदाहरण है। रिदा देख नहीं सकती लेकिन गीता के 15 अध्याय उन्हें जबानी याद हैं। बस पूछने भर की देरी है रिदा हाथ जोड़कर गीता के श्लोकों का पाठ करना शुरू कर देती हैं।
रिदा जेहरा बीते तीन साल से मेरठ के ब्रजमोहन ब्लाइंड स्कूल में पढ़ रही हैं। सबसे हैरान करने वाली बात ये है कि रिदा जेहरा ना तो कभी किताब देखी है और ना ही ब्रेल से गीता के श्लोक पढ़े हैं।
रिदा के गीता के श्लोक याद करने की कहानी भी बेहद दिलचस्प है। एक दिन चिन्मय मिशन ने गीता के श्लोकों को लेकर एक प्रतियोगिता का आयोजन किया जिसके बाद रिदा के ब्लाइंड स्कूल ने बच्चों को गीता के श्लोक याद कराने शुरु कर दिए। बाकी बच्चों की तरह रिदा ने भी गीता के श्लोक याद करना शुरु किया। बाक़ी बच्चे जहां पहले और दूसरे अध्याय के श्लोक याद करने में लगे रहे वहीं रिदा ने गीता के पंद्रह अध्याओं के श्लोक याद कर लिए।
मुस्लिम होते हुए भी रिदा जिस तरह से गीता के श्लोक पढ़तीं हैं लोगों के लिए वो बेहद हैरान करने वाला है। रिदा किस धर्म की हैं वो बात उनके लिए कोई मायने नहीं रखती बस इतना एहसास जरूर है की श्लोक याद करने से उन्हें बेहद शान्ति मिलती है।
रिदा जेहरा के पिता रईस हैदर और मां शाहीन मेरठ के लोहियानगर में रहते हैं, जहां वह छुट्टियों और त्योहारों के दौरान जाती है। रिदा के पिता ने तीन साल पहले उसका ऐडमिशन ब्रजमोहन ब्लाइंड स्कूल में कराया था। उन्होंने ये सोचकर अपनी बेटी का दाखिला यहां कराया की उनकी बेटी पढ़ लिखकर अपने पैरों पर खड़ी हो सकेगी। आज जब उनकी बेटी की वजह से उनका नाम रौशन हो रहा है तो उन्हें इस बात की बेहद ख़ुशी है। उन्हें लगता है की उनकी बेटी के द्वारा गीता के श्लोक याद करने से समाज में भाईचारे का संदेश जाएगा।
जेहरा की इस लगन और कामयाबी के बाद स्कूल प्रबंधक प्रवीण शर्मा भी बेहद खुश हैं प्रतियोगिता को देखते हुए उन्होंने सभी बच्चों को गीता के श्लोक याद कराए थे। प्रवीण कहते हैं कि गीता के श्लोक को याद रखना बेहद कठीन है लेकिन रिदा जेहरा के हुनर के वो भी कायल हैं। ऐसे में अब जात-पात की खायी को पाठने के लिए वो हिन्दू बच्चों को कुरान की आयतें भी याद करा रहे हैं।