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जैविक उत्पाद किसानों से खरीदकर उपभोक्ताओं तक पहुंचाने के लिए 3 युवाओं ने उठाया ये कदम

जैविक खेती

लखनऊ। सरकार जैविक खेतों को बढ़ावा देने के लिए प्रयास कर रही है। लोगों को इसके बारे में जागरूक भी किया जा रहा है। कई संगठन भी इसके लिए काम कर रहे हैं। लेकिन जो सबसे बड़ी बाधा आ रही है वो ये है कि इन फसलों को किसान बेचेगा कहां ? किसानों की इन्हीं समस्याओं को दूर करने का प्रयास कर रहे हैं भुवनेश्वर के तीन युवा।

सुजित साहू, अतुल चौधरी और आकाश विसोई पढ़ाई पूरी करने के बाद कुछ अलग करना चाहते थे। वे पैसे से ज्यादा समाज को लेकर चिंतित थे। केमिकल के प्रयोग से पैदा होने वाले खाद्द पदार्थों होने वाली बीमारियों से वे लोगों को बचाने चाहते थे। उनकी सोच को आमिर खान के शो सत्यमेव जयते ने और आगे बढ़ाया।

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भुवनेश्वर से ही बीटेक की पढ़ाई करने वाले अतुल चौधरी ने गाँव कनेक्शन को फोन पर बताया “एक बार मैं आमिर खान का शो सत्यमेव जयते देख रहा था, उसमें उन्होंने बताया कि ऑर्गेनिक खेती की वजह से किसानों को नुकसान तो होता ही है साथ में उन उत्पादों का सेवन सैकड़ों बीमारियां भी देता है। ऐसे में हमने सोचा कि क्यों न किसानों को ऑर्गेनिक खेती की ओर ले जाएं। और यहीं हमने ऑर्गेनिक सोच की नींव रखी।”

अतुल, सुजित और आकाश बचपन के दोस्त हैं। तीनों लोग भुवनेश्वर के ब्रह्मपुर के रहने वाले हैं। अतुल इस समय प्रोजेक्टर इंजीनियर हैं और भुवनेश्वर में रेलवे के कई प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं। लेकिन वे नौकारी छोड़ने वाले हैं। अतुल कहते हैं “हमे पैसे तो कमाते हैं लेकिन उससे हमें संतुष्टि नहीं मिल रही थी। हम किसानों की स्थिति को बदलना चाहते थे। हम ये जानना चाहते थे कि जब सब्जी और फसलें इतनी महंगी हैं तो किसान आत्महत्या क्यों कर रहा है। हम किसान और आम लोगों के स्वास्थ्य को लेकर भी चिंतित थे। इसलिए हम तीनों ने ऑर्गेनिक सोच के तहत कुछ करने का फैसला लिया।”

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आईआईटी पटना से एमटेक कर चुके रिसर्च स्कॉलर सुजित बताते हैं ” हम अभी दूरदराज के इलाकों में अवेयरनेस लाने का प्रयास कर रहे हैं। हम जगह-जगह कैंप लगाकर किसानों को बताने का प्रयास कर रहे हैं कि अजैविक खेती के क्या नुकसान हैं। क्योंकि केमिकल के छिड़काव से किसान भी बीमार हो जाते हैं। ऐसे में पहले उन्हें जागरूक करने की आवश्यकता है। हम इसी कदम की ओर आगे बढ़ रहे हैं।”

सुजित को पढ़ाई पूरी करने के बाद नौकरी के कई ऑफर देश और विदेश से मिले लेकिन उन्होंने नौकरी करने से मना कर दिया। इस बारे में सुजित कहते हैं ” हम सोशल एक्टिविटी में अपनी सक्रियता बढ़ाने चाहते थे। लोग अपने खाने पर ध्यान नहीं देते। केमिकल से पैदा हुए फल और सब्जी खाते हैं और बीमार होते हैं। लेकिन हमारे सामने ये भी चुनौती थी कि किसानों को समझाया कैसे जाए। क्यों केमिकल के छिंड़काव से पैदावार ज्यादा होती है।”

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हालांकि उन्हें इसका ज्यादा फायदा नहीं होता है। सुजित आगे बताते हैं “इसके लिए कैंप लगाकर किसानों को जागरूक कर रहे हैं और उनकी फसलों को खरीद भी रहे हैं ताकि उन्हें ज्यादा कीमत मिल सके।” ओडिशा सरकार में अस्सिटेंट लेबर ऑफिसर पद पर तैनात आकाश बिसोई कहते हैं ” अभी हम छोटे स्तर पर काम कर रहे हैं।

ब्रह्मपुर में ही ब्रह्मपुर नगर पालिका की ओर से हमें एक स्टॉल दिया गया है। जहां हम हर सप्ताह कैंप लगाकार लोगों को जैविक खेती के बारे में जागरूक कर रहे हैं और अपनी मुहिम से किसानों को जोड़ने का प्रयास कर रहे हैं।” तीनों साथियों ने गाँव कनेक्शन को बताया कि वे आने वाले कुछ समय में अपना पूरा समय जैविक सोच को देंगे और देशभर के किसानों को इससे जोड़ेंगे।

ऑर्गेनिक सोच के स्टाल पर, बाएं से- आकाश, अतुल और सुजित

किसानों से सीधे खरीद रहे सब्जी और दूध

किसानों को ज्यादा फायदा हो इसलिए जैविक सोच समूह के अंतर्गत फल, दूध और सब्जिया सीधे खरीदे जा रहे हैं। इस बारे मे अतुल और सुजित कहते हैं कि अभी हम उन किसानों से सब्जी और दूध खरीद रहे हैं जो जैविक विधि से पैदावार कर रहे हैं। हम दूध भी खरीद रहे हैं लोगों को A2 दूध के फायदे से अवगत करा रहे हैं। बहरामपुर में ही इन लोगों ने मिलकर एक स्टोर बना रखा है जहां इन सामानों को रखा जाता है। अतुल कहते हैं कि अभी उतनी मांग के अनुसार खरीरदारी कर रहे हैं, ताकि हमारा सामान खराब न हो किसानों को भी निराश न होना पड़े।

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लाभ सैनिकों को समर्पित

जैविक सोच के माध्यम से जो भी कमाई अभी हो रही है उसे सैनिकों को भेजा जा रहा है। इस बारे में सुजित कहते हैं “हम सामान ढुलाई तक का पैसा अपने पास रखते हैं, इसके अलावा जो भी लाभ हो रहा उसे बॉलीवुड अभिनेता अक्षय कुमार के एक ट्रस्ट के माध्यम से सैनिकों तक भेज रहे हैं। इस बारे आकाश कहते हैं “हम अभी लाभ कमाने के लिए ऐसा नहीं कर रहे हैं। हमारा मकसद लोगों को जैविक खेती से रूबरू कराना है। सैनिक हमारी रक्षा करते हैं, इसलिए हम अपना लाभ सैनिकों को भेज देते हैं।”

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