पंजाब के इन दो भाइयों से सीखिए, खेती से कैसे कमाया जाता है मुनाफा 

Anusha MishraAnusha Mishra   9 Sep 2017 1:45 PM GMT

  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
पंजाब के इन दो भाइयों से सीखिए, खेती से कैसे कमाया जाता है मुनाफा हरजप सिंह व पवित्र सिंह

लखनऊ। एक कहावत है कि 'एक वक्त के अच्छे खाने के लिए एक किसान को धन्यवाद करना चाहिए।' कैसा हो कि अगर आपको मौका मिल जाए उस किसान से मिलने का जिसने आपके लिए खाद्यान्न उगाया है।

अब ऐसा मुमकिन हो सकता है, अमृतसर के दो भाईयों ने मिलकर एक ऐसा इंटरप्राइज बनाया है, जिससे आप सीधे किसानों से जुड़ सकते हैं। से दो किसान कृषि के क्षेत्र में बदलते भारत की तस्वीर भी हैं। यह कहानी शुरू होती है सूबेदार बलकार सिंह संधू से जिन्होंने 32 साल आर्मी में काम किया। 2008 में सेवानिवृत्त होने के बाद वह अमृतसर वापस आए और अपनी पुश्तैनी ज़मीन में खेती करना शुरू कर दिया। उनके परिवार का मुख्य काम खेती करना ही था और बलकार सिंह भी चाहते थे कि वह अपने पिता की अपनी जड़ों में वापस लौट सकें। 40 एकड़ खेती का मालिक होने के कारण उनका परिवार काफी समृद्ध था लेकिन बलकार सिंह ने देखा की उनके इलाके के छोट किसानों को बिचौलिए काफी ठग रहे हैं। उन्होंने देखा कि कुछ किसान परिवार तो ऐसे हैं जो कई पीढ़ियों से लगातार कर्ज़ में डूबे हुए हैं।

ये भी पढ़ें : अविश्वसनीय लेकिन ये सच है, देखिए दीवारों पर कैसे होती है खेती

इसके बाद बलकार सिंह ने किसानों के अधिकारों के लिए आवाज़ उठाना शुरू किया, उन्हें अमृतसर और तरनतारन ज़िले की किसान संघर्ष समिति का क्षेत्रीय प्रमुख चुना गया। उनके बेटे पवित्र पाल सिंह, एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं जिन्होंने कुछ साल विदेश में काम किया और फिर नीदरलैंड व बेल्जियम में अपने परिवार के रेस्त्रां के बिजनेस को संभाल लिया। एक किसान परिवार में जन्म लेने के कारण और अपने परिवार में होने वाली खेती-किसानी की बातों को सुनकर वह बड़े हुए थे। यही वजह थी कि उन्हें भारतीय कृषि की अच्छाइयों और बुराइयों, दोनों के बारे में अच्छी तरह पता था। इस कहानी में मोड़ तब आया जब पवित्र सिंह को पता चला कि उनके पिता द्वारा किए जा रहे विरोध प्रदर्शन में एक किसान की मौत हो गई, वह तीन दिन से लगातार रेल की पटरी पर बैठा था।

बलकार सिंह

किसानों की बिगड़ती दशा के बारे में सुनकर पवित्र ने फैसला किया कि वह भारत वापस आएंगे और अपने पिता के अभियान का हिस्सा बनेंगे। उनके चाचा का बेटा हरजप सिंह, लगभग छह साल तक किसानी करने के बाद देश छोड़कर बाहर चला गया था, उसने भी पवित्र सिंह की मदद करने का फैसला लिया और उनके साथ वापस आ गया। इसके बाद दोनों भाइयों ने डेढ़ साल तक देश के तमाम हिस्सों में घूमकर किसानों की परेशानियों के बारे में पता किया। इसके बाद वे इस नतीज़े पर पहुंचे कि किसानों के कर्ज़ लेने के पीछे दो कारण हैं। पहला, अपने उत्पाद की क़ीमत वे खुद तय नहीं कर सकते। दूसरा, उन्हें अपनी फसल को बिचौलियों को बेचना पड़ता है क्योंकि उनके पास फसल को सुरक्षित रखने की कोई जगह नहीं है।

खेती किसानी से जुड़ी सभी बड़ी खबरों के लिए यहां क्लिक करके इंस्टॉल करें गाँव कनेक्शन एप

इन मुश्किलों का समाधान निकालने के लिए किसान मित्र नाम की एक योजना लेकर आए। इन दोनों भाईयों ने 20 लोगों की एक मज़बूत टीम बनाई जिसका काम गाँव-गाँव जाकर वहां के प्रधानों को अपनी योजना के बारे में समझाना था जिससे किसान उपभोक्ताओं से सीधे रूप से जुड़ सकें। वेबसाइट बेटर इंडिया की खबर के मुताबिक, एक बार जब पंचायत इस बात के लिए तैयार हो गई फिर किसानों को इस अभियान का हिस्सा बनाने के लिए उनका पंजीकरण शुरू हुआ। पवित्र और हरजप ने हरियाणा व पंजाब में दो किसान सेवा केंद्र भी खोले, जहां किसानों को उनकी समस्याओं से जुड़े सवालों के जवाब मिलते हैं। 2 साल के समय में इस अभियान में 30,000 किसान अपना पंजीकरण करा चुके हैं।

ये भी पढ़ें: इन देशों ने पानी की किल्लत पर पाई है विजय, करते हैं पानी की खेती, कोहरे से सिंचाई

अपने काम की सफलता से प्रेरित होकर पवित्र और हरजप ने एक वेबसाइट भी शुरू की जिससे किसान सीधे उपभोक्ताओं से जुड़ सकते हैं। उन्होंने कुछ रेस्त्रां और होटलों में भी बात की ताकि वे कुछ उत्पाद मंडी से खरीदने के बजाय सीधे किसानों से खरीद सकें। आज 350 से ज्य़ादा होटल और 2500 से ज्य़ादा लोग किसान मित्र से सीधे अनाज, दूध, पॉल्ट्री उत्पाद और सब्जि़यां खरीदते हैं।

यह उपभोक्ताओं और किसानों दोनों के लिए फायदे का सौदा है। इससे किसान अपने उपभोक्ताओं को ऐसा कुछ नहीं बेच सकता जो उनकी सेहत के लिए हानिकारक हो और उपभोक्ताओं को भी कम दाम में सामान मिल जाता है।

वीडियो- बांदा के प्रेम सिंह भी हैं लाखों किसानों के लिए मिसाल, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया से किसान आते हैं सीखने

ताजा अपडेट के लिए हमारे फेसबुक पेज को लाइक करने के लिए यहां, ट्विटर हैंडल को फॉलो करने के लिए यहां क्लिक करें।

संबंधित ख़बरें

सिंचाई का नया तरीका: ग्लूकोज की खाली बोतलें भर सकती हैं किसान की खाली जेब

यहां रेत में होता है मछली पालन और गर्मियों में आलू की खेती, किसान कमाते हैं बंपर मुनाफा

अविश्वसनीय लेकिन ये सच है, देखिए दीवारों पर कैसे होती है खेती

     

Next Story

More Stories


© 2019 All rights reserved.