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महिला दिवस विशेष: पढ़ाई पूरी करने के बाद कुछ अलग करने की जिद ने बनाया सफल डेयरी व्यवसायी

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पढ़ने-लिखने के बाद ज्यादातर लोग किसी बड़े शहर जाकर नौकरी करना चाहते हैं, लेकिन बरेली की तीस वर्षीय गुलफिशा ने कुछ नया करना चाहती थीं। आैर उन्होंने डेयरी को व्यवसाय के रूप में शुरू किया। आज वो इस व्यवसाय से कमाई करके आत्मनिर्भर बनी हुई हैं।

“मेरे लिए डेयरी व्यवसाय को शुरू करना आसान नहीं था। लोगों ने बहुत बातें बनाई। लेकिन मुझे कुछ करना था। मैंने बरेली के आईवीआरआई कृषि विज्ञान केन्द्र में प्रशिक्षण लिया और इस व्यवसाय को शुरू किया।” ऐसा बताती हैं, गुलफिशा। बरेली जिला मुख्यालय से करीब 20 किलोमीटर दूर दमखोदा विकास खंड के रम्पुरा गाँव की रहने वाली गुलफिशा की डेयरी में दस पशु (गाय-भैंस) हैं जिनसे रोजाना 50 लीटर से ज्यादा दूध उत्पादन हो रहा है।

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गु्लफिशा अपने गाँव की पहली ऐसी महिला हैं जिन्होंने डेयरी को व्यवसाय के रूप में शुरू किया। गुलफिशा ने इतिहास विषय में स्नातकोत्तर किया है। “पिछले साल मुझे अपने काम के लिए सम्मानित भी किया गया। मेरे इस व्यवसाय में मेरा परिवार भी मेरा पूरा साथ देता है। जब मैंने डेयरी शुरू की तो पास के गाँव से ही पशु खरीदे।” गुलफिशा ने बताया।

पशुओं के आहार प्रंबधन के बारे में गुलफिशा बताती हैं, “पशुओं को वर्ष भर हरा चारा मिले इसके लिए नेपियर घास की भी बुवाई की है। इसके अलावा बरसीम, जई, बरसीम, ज्वार इन सब की भी बुवाई करते हैं। इसके लिए भी मैंने केवीके से प्रशिक्षण लिया।” पशुओं को रखने के लिए गुलफिशा ने शेड बनवाया हुआ है। शेड में हवा के लिए बिजली से चलने वाले पंखें और लाइटें लगवा रखी है। पशुओं की देखरेख के लिए डेयरी में दो मजदूर भी है।

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“प्रशिक्षण के दौरान हमको दूध दुहने के समय साफ-सफाई के बारे में बताया गया था। उसी हिसाब हम अपनी डेयरी में साफ-सफाई रखते हैं। गाय-भैंस के थनों से लेकर दूध के बर्तनों को पूरी तरह से साफ करते हैं। ताकि कोई संक्रमण न फैले। दूध को पराग दुग्ध उत्पादक समिति को बेच रहे हैं जिससे हर सप्ताह में भुगतान मिलता है।” गुलफिशा बताती हैं, “मैंने इस व्यवसाय को खुद शुरू किया और आज मैं वित्तीय रूप से मजबूत और आत्मनिर्भर हूं। भविष्य में अपनी डेयरी को और बढ़ाना चाहती हैं जिसकी मदद से वर्मी कम्पोस्ट इकाई और अधिक आय शुरू कर सकूं।”

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