Gaon Connection Logo

गलत खानपान के कारण होती हैं 56 फीसदी बीमारियाँ; ICMR-NIN ने जारी की खानपान की नई गाइडलाइन

देश में बढ़ती बीमारियों को लेकर भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने गंभीर चिंता व्यक्त की है। आईसीएमआर ने कहा है कि देश में 56 फीसदी बीमारियों के लिए आहार में गड़बड़ी प्रमुख कारण हो सकती है।
#Healthy diet

क्या आप या आपके घर का कोई सदस्य हर दिन नई बीमारियों से परेशान रहता है; डॉक्टर को दिखाने और इलाज कराने पर भी ठीक नहीं हो रहे हैं, क्या आपने अपने खानपान में बदलाव करके देखा है? क्योंकि इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के अनुसार कई बीमारियाँ अनहेल्दी डाइट की वजह से होती हैं।

नुकसानदायक आहार और इसके कारण बढ़ती स्वास्थ्य समस्याओं को कम करने के लिए आईसीएमआर विशेषज्ञों ने आहार संबंधी 17 दिशा निर्देश भी जारी किए हैं।

इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) के तहत काम करने वाले संस्थान नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूट्रिशन द्वारा जारी Dietary Guidelines For Indians-2024 में कई महत्वपूर्ण विषयों पर बात की गई है।

इसमें भारतीयों के खानपान के लिए दिशा-निर्देश दिए गए हैं, इसमें बताया गया है कि हेल्दी लाइफस्टाइल अपना कर समय से पहले होने वाली ज़्यादातर मौतें रोकी जा सकती हैं, बहुत सी बीमारियाँ होने से रोकी जा सकती हैं। हेल्दी लाइफस्टाइल यानी संतुलित खाना और फिजिकल एक्टिविटी बहुत ज़रूरी है। ।

गाइडलाइंस के अनुसार खाने में अच्छी क्वालिटी का प्रोटीन शामिल करना चाहिए। जैसे- कई तरह की दालें, राजमा, लोबिया, चना, दूध, मांस, मछली और अंडे प्रोटीन का अच्छा स्रोत हैं।

सेहत बनाने के लिए प्रोटीन सप्लीमेंट लेने से मना किया है। साथ ही नमक और शुगर का सेवन सीमित करने को कहा है। NIN ने अल्ट्रा प्रोसेस्ड-फूड यानी औद्योगिक रूप से तैयार की गई खाने की चीजों से परहेज करने की सलाह दी है। ये भी कहा है कि पैकेट वाली खाने की कोई चीज खरीदते समय उसके फूड लेबल्स को चेक करना चाहिए।

खाने में करें इसको शामिल

खाने की प्लेट के आधे हिस्से में तरह-तरह की सब्जियाँ जैसे हरी सब्जियाँ, फल और जड़ वाली चीजें होनी चाहिए। बाकी हिस्से में अनाज, दालें, माँस वाली चीजें, अंडे, मेवे, तिलहन और दूध या दही शामिल करना चाहिए।

इसमें यह भी कहा गया है कि डाइट में चीनी कुल एनर्जी इनटेक के 5 प्रतिशत से कम होनी चाहिए और बैलेंस्ड डाइट में अनाज और बाजरा से 45 प्रतिशत से अधिक कैलोरी और दालों, बीन्स और मीट से 15 प्रतिशत तक कैलोरी नहीं मिलनी चाहिए। बाकी कैलोरी नट्स, सब्जियों, फलों और दूध से अपनी डाइट में शामिल करें।

गाइडलाइन्स में कहा गया है कि कुल फैट का सेवन 30 प्रतिशत एनर्जी से कम या उसके बराबर होना चाहिए।

दालों और माँस की सीमित उपलब्धता और ऊँची कीमत के कारण, भारतीय आबादी का एक बड़ा हिस्सा सिर्फ अनाज पर अधिक निर्भर है। नतीजतन ज़्यादातर लोगों में ज़रूरी मैक्रोन्यूट्रिएंट्स (जैसे अमीनो एसिड और फैटी एसिड) और माइक्रोन्यूट्रिएंट्स की कमी हो जाती है। इसी वजह से कुपोषण, मोटापा और स्वास्थ्य से जुड़ी कई समस्याएँ होती हैं।

खान-पान और फिजिकल एक्टिविटी पर ध्यान दें

ज़रूरी पोषक तत्वों की कमी के कारण कम उम्र में ही लोगों में इंसुलिन रेजिस्टेंस और इससे जुड़े डिसऑर्डर का खतरा बढ़ जाता है।

ऐसा अनुमान है कि भारत में 56.4 फीसदी बीमारियाँ अनहेल्दी डाइट के कारण हैं। हेल्दी डाइट और फिजिकल एक्टिविटी से हाइपरटेंशन और दिल की बीमारियाँ काफी हद तक कम की जा सकती हैं।

अच्छे खान-पान और एक्सरसाइज से 80 फीसदी टाइप 2 डायबिटीज के मामलों को रोका जा सकता है।

More Posts

मोटे अनाज की MSP पर खरीद के लिए यूपी में रजिस्ट्रेशन शुरू हो गया है, जानिए क्या है इसका तरीका?  

उत्तर प्रदेश सरकार ने मोटे अनाजों की खरीद के लिए रजिस्ट्रेशन शुरू कर दिया है। जो किसान भाई बहन मिलेट्स(श्री...

यूपी में दस कीटनाशकों के इस्तेमाल पर लगाई रोक; कहीं आप भी तो नहीं करते हैं इनका इस्तेमाल

बासमती चावल के निर्यात को बढ़ावा देने और इसे अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप बनाने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने...

मलेशिया में प्रवासी भारतीय सम्मेलन में किसानों की भागीदारी का क्या मायने हैं?  

प्रवासी भारतीयों के संगठन ‘गोपियो’ (ग्लोबल आर्गेनाइजेशन ऑफ़ पीपल ऑफ़ इंडियन ओरिजिन) के मंच पर जहाँ देश के आर्थिक विकास...