रेल में यात्रा के दौरान आपने लिखा देखा होगा ‘रेलवे आपकी अपनी सम्पत्ति है, इसे साफ रखने में हमारा सहयोग दें।’ लेकिन शायद ही कोई यात्री इस पर ध्यान देता हो। कई बार तो लोग जानबूझ कर डिब्बे में गंदगी करते रहते हैं तो कई बार स्टेशन के प्लेटफार्म पर। लेकिन आपको ये जानकर हैरानी होगी कि पंचवटी एक्सप्रेस का एक डिब्बा ऐसा है जो इस तरह से सजा रहता है जैसे किसी शादी का सजा हुआ घर।
जो लोग नासिक और मुंबई के बीच यात्रा करते हैं वो इस डिब्बे की खासियत के बारे में जानते हैं। पंचवटी एक्सप्रेस के इस कोच को ‘आदर्श’ कोच का नाम दिया गया। इस कोच में सिर्फ वही यात्री यात्रा कर सकते हैं जिनके पास मासिक सीजन टिकट (एमएसटी) है। रेलवे के कर्मचारी तो पूरी ट्रेन के साथ-साथ इस डिब्बे की सफाई करते ही हैं साथ ही इस कोच के यात्री भी सफाई करने से पीछे नहीं रहते हैं।
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द हिंदू खबर के मुताबिक हर रोज यात्री स्वयं ही फ्लोर की सफाई करना, झाडू लगाना अगर कोच में कहीं जाला लगा हो तो बिना संकोच के साफ करते हैं। आदर्श कोच के अंदर डस्टबिन भी रखी गई है। इस कोच में प्राथमिक चिकित्सा बॉक्स भी उपलब्ध है। इस कोच के लिए प्रयास करने वाले रेल परिषद नाम की एनजीओ के सदस्य बिपिन गांधी ने द हिंदू को बताया कि शुरू में तो रेल अधिकारी मेरी इस कोशिश पर हंसते थे लेकिन मुझे लगता है कि अब मैंने अपना लक्ष्य हांसिल कर लिया है।
2001 में, बिपिन ने अपने एनजीओ, रेल परिषद की स्थापना की, और अगले कुछ वर्षों में आदर्श कोच की अवधारणा पर विचार-विमर्श करने वाले साथियों के साथ इस पर चर्चा की। 2007 में, रेल परिषद के 20 सदस्यों के एक प्रतिनिधिमंडल ने भारतीय रेलवे के अधिकारियों से मुलाकात की और पंचवटी एक्सप्रेस पर एक विशेष कोच को प्राप्त करने में सफल रहे। जिसके बाद 29 मार्च, 2007 को आदर्श कोच पहल भारतीय रेलवे से पूर्ण समर्थन के साथ शुरू की गई।
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ये कोच में मोबाइल फोन का इस्तेमाल, शराब, तंबाकू और कार्ड खेलने की मनाही है। शराब पीने, तंबाकू खाने और कार्ड खेलने पर सख्त प्रतिबंध के अलावा, आदर्श कोच के यात्री स्वच्छता दिशा-निर्देशों का पालन करते हैं, दिन के दौरान लाइट बंद करते हैं, सीट कवर और पर्दे बदलते हैं।
गांधी आगे कहते हैं कि, ‘हम अब उन्हें यात्री नहीं बुलाते वे अब हमारे सदस्य हैं। वर्तमान में हम 400 ‘सदस्य’ हैं और ये नंबर बढ़ रहा है।’ ट्रेन ने अपने इस खास कोच में कई विशेष अवसरों जैसे जन्मदिन और सालगिरह की मेजबानी की है। 2013 में, नासिक के एक जोड़े ने इसी कोच में शादी कर लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में अपना नाम दर्ज कराया था।
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