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दिल्ली पटना के गाँवों को क्यों नहीं मिल पा रही है साफ़ हवा

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) की एक रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली और पटना देश के सबसे प्रदूषित शहर है। दिल्ली की हवा में कुछ हद तक सुधार भी हुआ है, लेकिन राजधानी में बढ़ता वायु प्रदूषण चिंता का विषय है। इन शहरों के आस पास के गाँवों में भी बड़ी आबादी रहती है।
#Air pollution

अगर आपसे कोई कहे कि देश की राजधानी दिल्ली सबसे प्रदूषित शहर है और दूसरे नंबर पर बिहार की राजधानी पटना है तो हैरान मत होइएगा। क्योंकि इन दोनों की हवा सबसे ज़्यादा प्रदूषित है।

वहीं सबसे स्वच्छ हवा पूर्वोत्तर भारत के राज्य मिजोरम के आइजोल की है।

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) द्वारा प्रकाशित वायु गुणवत्ता डेटा में ये निष्कर्ष निकला है। यह विश्लेषण क्लाइमेट ट्रेंड्स द्वारा संयुक्त रूप से जारी किया गया है, जो पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन पर केंद्रित है। इसे महाराष्ट्र में स्थित एक जलवायु तकनीक स्टार्ट-अप रेस्पिरर लिविंग साइंसेज़ के साथ मिलकर तैयार किया गया है।

सीपीसीबी के दैनिक बुलेटिन के अनुसार, हालाँकि अक्टूबर 2022 और सितंबर 2023 के बीच, दिल्ली की वायु गुणवत्ता में ‘मामूली सुधार’ हुआ है, लेकिन यह देश के 10 सबसे प्रदूषित शहरों की सूची में शीर्ष पर अब भी बना रहा।

दिल्ली के 9 जिलों में 300 से ज़्यादा गाँव हैं, जबकि पटना में एक हज़ार से ऊपर गाँवों की संख्या है।

रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली में 1 अक्टूबर, 2022 से 30 सितंबर, 2023 तक पीएम 2.5 (2.5 माइक्रोमीटर से कम व्यास वाले कण जो स्वास्थ्य के लिए सबसे बड़ा खतरा पैदा करते हैं) का स्तर 100.1 (माइक्रोग्राम प्रति मीटर क्यूब) दर्ज़ किया गया है। यह अक्टूबर 2021 से सितंबर 2022 तक दर्ज़ किए गए 103.9 से थोड़ा बेहतर है लेकिन नई दिल्ली अभी भी देश का सबसे प्रदूषित शहर है।

रिपोर्ट में प्रदूषण के लिहाज से बिहार की राजधानी पटना दूसरे स्थान पर है तो इसी राज्य का शहर मुजफ्फरपुर तीसरे स्थान पर है।

इस बीच, फ़रीदाबाद, नोएडा, ग़ाज़ियाबाद और मेरठ, जो दिल्ली के राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र का हिस्सा हैं, वे भी सबसे प्रदूषित शहरों की सूची में शामिल हैं।

सीपीसीबी डेटा से पता चलता है कि अक्टूबर 2021 से सितंबर 2022 के आंकड़ों की तुलना में फरीदाबाद, गाजियाबाद, नोएडा और मेरठ में पीएम 2.5 का स्तर कम हो गया है, जिसमें गाज़ियाबाद में 25 प्रतिशत की सबसे बड़ी गिरावट दर्ज़ की गई है।

सीपीसीबी डेटा भारत सरकार के राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (एनसीएपी) द्वारा पहचाने गए 131 गैर-प्राप्ति शहरों (एनएसी) के लिए है। अगर शहर पाँच साल की अवधि में लगातार पीएम 10 (10 माइक्रोन या उससे कम व्यास वाले कण) या एनओ2 (नाइट्रोजन डाइऑक्साइड) के लिए राष्ट्रीय परिवेश वायु गुणवत्ता मानकों (एनएएक्यूएस) को पूरा नहीं करते हैं, तो उन्हें गैर-प्राप्ति घोषित कर दिया जाता है।

हाल ही में जारी विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया के 20 सबसे प्रदूषित शहरों में से आधे भारत में हैं। साफ़ है इसकी बड़ी वजह औद्योगिक और वाहनों से निकलने वाला धुआं है जो देश के बड़े हिस्से को प्रदूषित कर रहा है।

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