किसी भी मुर्गी समूह को संक्रामक जीवाणुओं से पूरी तरह तो नहीं बचा सकते हैं लेकिन कुछ सावधानी बरत कर किसी भी महामारी के प्रकोप को निश्चित रुप से टाला जा सकता है। इसके लिए कुछ बातों का ध्यान रखें।
जैसे —
- मुर्गी आवास को सूखा रखें और अधिक नमी वाली जमीन पर मुर्गी पालन न करें।
- अलग-अलग उम्र के पक्षियों को अलग-अलग रखना चाहिए।
- समय-समय पर ब्रूडर और मुर्गी घर की सफाई करते रहना चाहिए। यह काम हर नए समूह के लिए दोहरना चाहिए।
- मेले आदि जगहों के लिए बाहर भेजे गये पक्षियों को पुन: समूह में नहीं मिलाना चाहिए। ऐसे पक्षियों को अलग रखना चाहिए।
- बाहर से आए व्यक्तियों को मुर्गी फार्म में नहीं जाने देना चाहिए।
- बीमार पक्षियों को तुरंत अलग कर देना चाहिए और मरी हुई मुर्गियों को गाड़ या जला देना चाहिए।
चूजों की उम्र के अनुसार रोग निरोधक टीके लगवाना चाहिए। टीका लगाते समय सावधानी जरुर बरतनी चाहिए।
- समय बचाने के लिए टीका लगाते समय दो तरह के टीकों को मिलाना नहीं चाहिए।
- गर्मी के महीनों में डाक द्वारा टीके कभी न मंगवाएं।
- टीके को उचित तापमान पर लाने के लिए डीप फ्रिज या रेफ्रिजरेटर में रखें।
- जब पक्षी किसी रोग से पीड़ित हो तो टीका न लगवाए।
- एक समूह के पक्षी को एक साथ ही टीका लगवाएं।
स्रोत – पशुपालन विभाग, उत्तर प्रदेश