उत्तर भारत में मौसम का बदलता मिज़ाज: किसानों के लिए अलर्ट और फसल प्रबंधन टिप्स

बदलते मौसम के इस दौर में किसानों को सावधानीपूर्वक फसल और पशुधन प्रबंधन करना जरूरी है। समय पर मौसम अपडेट लेना और वैज्ञानिक सलाह को अपनाना, फसलों की सुरक्षा और बेहतर उत्पादन की कुंजी है। उत्तर प्रदेश कृषि अनुसंधान परिषद ने किसानों के लिए ज़रूरी सलाह ज़ारी की है।
april month farming advisory

भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के अनुसार उत्तर भारत के किसानों को आने वाले दिनों में मौसम के कई बदलावों के प्रति सतर्क रहना होगा। अगले कुछ दिनों में कई स्थानों पर गरज-चमक, वज्रपात, तेज हवा, हल्की बारिश और ओलावृष्टि की संभावना है। ऐसे में किसानों को मौसम की अद्यतन जानकारी पर नजर बनाए रखनी चाहिए और कृषि गतिविधियों की योजना उसी के अनुसार करनी चाहिए।

मौसम पूर्वानुमान और संभावित प्रभाव

20 अप्रैल तक प्रदेश के कुछ क्षेत्रों में आंधी, बिजली गिरने और ओलावृष्टि की संभावना है। भाभर-तराई, पश्चिमी व मध्य मैदानी क्षेत्रों में अधिकतम तापमान 35-37 डिग्री सेल्सियस तक रहने की उम्मीद है, जबकि बुंदेलखंड और दक्षिण-पश्चिमी मैदानी क्षेत्रों में तापमान 39-41 डिग्री तक पहुंच सकता है। न्यूनतम तापमान 20 से 26 डिग्री के बीच रह सकता है।

20 अप्रैल के बाद तापमान में और बढ़ोतरी की संभावना है, जिससे कुछ इलाकों में लू की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। आगामी सप्ताह (25 अप्रैल – 1 मई) में उत्तर-पूर्वी मैदानी क्षेत्रों में हल्की से मध्यम बारिश का पूर्वानुमान है। वहीं बुंदेलखंड में तापमान 44 डिग्री तक पहुंच सकता है।

कृषकों के लिए जरूरी सुझाव

 ओलावृष्टि और आंधी से बचाव:
इस मौसम में ओलावृष्टि, आंधी-तूफान और बिजली गिरने की आशंका बनी हुई है। ऐसे में खेत में काम करते समय मौसम अलर्ट पर ध्यान दें। फसल कटाई या भंडारण से पहले मौसम साफ हो यह सुनिश्चित करें।

 खेत की तैयारी और बुआई:
जहां पानी उपलब्ध है वहां धान की रोपाई वाले क्षेत्रों में हरी खाद के लिए सनई या ढैंचा की बुआई करें। खाली खेतों में गर्मियों की गहरी जुताई करें, मेड़बंदी और लेजर लेवलर से समतलीकरण करें।

गेहूं की कटाई और भंडारण:
जिन किसानों ने अब तक गेहूं की फसल नहीं काटी है, वे शीघ्रातिशीघ्र कटाई करें। मौसम शुष्क होने के कारण गेहूं की थ्रेसिंग और भंडारण के लिए यह समय उपयुक्त है।

 गन्ने की बुवाई:
गेहूं के बाद गन्ना बोने की योजना हो तो खेत की सिंचाई कर बुवाई करें। बीज गन्ना का ऊपरी हिस्सा लें, रातभर पानी में भिगोकर 2-3 आंख वाले टुकड़ों को इथरेल घोल से उपचारित करें।

सब्जियों में रोग नियंत्रण:
वर्तमान मौसम में सब्जियों में उकठा रोग (विल्ट) हो सकता है। इसे रोकने के लिए कार्बेन्डाजिम का 1 मि.ली. प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें। 10-12 दिन बाद पुनः छिड़काव करें।

 भिंडी में पीत शिरा मोजैक वायरस से बचाव:
रोगग्रस्त पौधों को उखाड़कर नष्ट करें। सफेद मक्खी पर नियंत्रण के लिए नीले चिपचिपे ट्रैप लगाएं। रासायनिक उपचार के लिए इमिडाक्लोप्रिड का छिड़काव करें।

आम की सुरक्षा:
भुनगा कीट और गुम्मा व्याधि से बचाव के लिए इमिडाक्लोप्रिड और प्रोफेनोफास का छिड़काव करें। फलों की गुणवत्ता बनाए रखने हेतु बोरेक्स घोल का भी उपयोग करें। फल मक्खी से बचाव हेतु मिथाइल यूजिनाल ट्रैप लगाएं और नीम आधारित घोल का छिड़काव करें।

पशुधन और मत्स्य पालन:
पशुओं में H.S. और B.Q. बीमारियों के टीकाकरण की सुविधा मुफ्त में पशुचिकित्सालयों पर उपलब्ध है। मत्स्य पालन के लिए तालाबों का निर्माण एवं मरम्मत कार्य करें तथा इस समय कॉमन कार्प मछली का बीज संचयन किया जा सकता है।

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