मध्य प्रदेश में बर्ड फ्लू से बिल्लियों की मौत; क्या इंसानों को भी कर सकता है संक्रमित?

मध्य प्रदेश में बर्ड फ्लू यानि एवियन इन्फ्लूएंजा से बिल्लियों की मौत से लोगों के मन में सवाल है कि क्या इनसे इंसानों को भी संक्रमण हो सकता है, ये कितनी खतरनाक बीमारी होती है?
Bird flu outbreak madhya pradesh

मध्य प्रदेश में बर्ड फ्लू से 18 बिल्लियों की मौत हो गई, देश में पहली बार हुआ है जब बर्ड फ्लू से किसी बिल्ली की मौत हुई है। 

जनवरी महीने में छिंदवाड़ा के पशु अस्पताल पहले एक बिल्ली भर्ती हुई, फिर दो, देखते-देखते जब 99 बिल्लियाँ भर्ती हुई तो डॉक्टर को शक हुआ कि ऐसी क्या हुआ है जो एक साथ इतनी बिल्लियाँ बीमार हो गईं हैं, जब पता किया गया तो लोगों ने बताया कि लोग अपनी बिल्लियों को चिकन खिला रहे हैं, तब उनका सैंपल जांच के लिए भेजा गया तो पता चला कि उन्हें तो बर्ड फ्लू का संक्रमण हुआ है। 

पशुपालन विभाग, छिंदवाड़ा के उप निदेशक डॉ एचजीए पक्षवार गाँव कनेक्शन से बताते हैं, “देश में पहली बार हुआ है जब बर्ड फ्लू का संक्रमण बिल्लियों में देखा गया है। 18 बिल्लियों की मौत के बाद सैंपल जांच के लिए भेजे गए थे, जिसमें दो बिल्लियों में बर्ड फ्लू पाया गया।”

वो आगे कहते हैं, “बर्ड फ्लू की पुष्टि के बाद हमने चिकन की बिक्री पर पूरी तरह से रोक लगा दी है और दुकाने बंद करा दी गईं हैं।”

bird flu outbreak india

इसके साथ ही छिंदवाड़ा जिले के मोहखेड़ ब्लॉक के सालीमेटा गाँव के एक पोल्ट्री फार्म में बर्ड फ्लू (H5N1 एवियन इन्फ्लुएंजा) के पांच सैंपल पॉजिटिव पाए गए हैं। डॉ  पक्षवार  आगे बताते हैं, “अभी तक छिंदवाड़ा शहर 758 और सालीमेटा गाँव के पॉल्ट्री फार्म पर 405 मुर्गियों के साथ 38000 हज़ार अंडों को नष्ट करके जमीन में दफना दिया गया है।”

भारत सरकार की गाइडलाइन के अनुसार 21 दिनों तक दुकानों और पॉल्ट्री फार्म को बंद कर दिया गया है, लेकिन अब तीन महीने और बढ़ा दिया गया है। 

यही नहीं शहरी क्षेत्र में पशु विभाग ने  संक्रमित क्षेत्र में बिल्लियों के संपर्क में आए 65 लोगों के सैंपल जांच करने के लिए नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी भेजे। इन सभी लोगों की रिपोर्ट निगेटिव आई है।

बिहार के  जहानाबाद में भी बर्ड फ्लू से कौओं की मौत

बिहार के जहानाबाद जिले में 18 फरवरी को कई कौओं की मौत का कारण बर्ड फ्लू (एवियन इन्फ्लूएंजा एच5एन1) पाया गया है. जिला प्रशासन ने इसकी पुष्टि की है।

बिल्लियों की बर्ड फ्लू के संक्रमण से मौत होने से लोगों में डर है कि क्या इससे इंसानों को भी खतरा हो सकता है और कितना खतरनाक होता है, विश्व पशु स्वास्थ्य संगठन ने ऐसे ही कई सवालों के जवाब दिए हैं 

एवियन इन्फ्लूएंजा क्या है और यह कैसे फैलता है?

एवियन इन्फ्लुएंजा, जिसे बर्ड फ्लू के नाम से भी जाना जाता है, एक अत्यधिक संक्रामक वायरल बीमारी है जो घरेलू और जंगली पक्षियों को प्रभावित करती है। यह बीमारी दुर्लभ अवसरों पर स्तनधारियों, जिनमें इंसान भी शामिल हैं, में पाई गई है। पशु स्वास्थ्य पर इसके प्रभावों के अलावा, यह बीमारी पोल्ट्री उद्योग पर विनाशकारी प्रभाव डालती है, जिससे कामगारों की आजीविका, खाद्य सुरक्षा और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को खतरा होता है।

एवियन इन्फ्लुएंजा आसानी से इन तरीकों से फैल सकता है:

  • संक्रमित पक्षियों से होने वाले स्राव और मल, विशेष रूप से मल से दूषित चारा और पानी (खेतों या जीवित पक्षियों के बाजारों में)।
  • दूषित जूते, वाहन, और उपकरणों के संपर्क में आने से।
  • पक्षियों की सीमापार आवाजाही, जिसमें जंगली पक्षियों का प्रवास और अवैध व्यापार शामिल है।

क्या बिल्लियाँ एवियन इन्फ्लुएंजा से संक्रमित हो सकती हैं?

हालांकि यह मुख्य रूप से पोल्ट्री और जंगली पक्षियों को प्रभावित करता है, एवियन इन्फ्लुएंजा कभी-कभी स्तनधारियों, जिनमें बिल्लियाँ भी शामिल हैं, को संक्रमित कर सकता है। बिल्लियाँ एवियन इन्फ्लुएंजा की असामान्य होस्ट होती हैं।

 बिल्लियाँ एवियन इन्फ्लुएंजा से कैसे संक्रमित होती हैं? 

संक्रमित जंगली पक्षियों या पोल्ट्री या संबंधित खाद्य पदार्थों के संपर्क में आने से बिल्लियाँ संक्रमित हो सकती हैं। हालांकि, इस विषय पर और अधिक अध्ययन की आवश्यकता है।

बिल्लियों में एवियन इन्फ्लुएंजा के लक्षण क्या हैं?

संक्रमित होने पर बिल्लियाँ सुस्ती, भूख न लगना, गंभीर अवसाद, बुखार, सांस लेने में कठिनाई (डिस्प्निया), तंत्रिका रोग, श्वसन और आंतों के लक्षण, पीलिया और मृत्यु जैसे लक्षण दिखा सकती हैं। इन लक्षणों की उम्मीद कुछ दिनों के भीतर दिखाई देती है। कई वायरल संक्रमणों की तरह, कुछ बिल्लियाँ केवल हल्के लक्षण दिखा सकती हैं।

क्या बिल्लियाँ एवियन इन्फ्लुएंजा से मर सकती हैं?

हाँ, कुछ बिल्लियाँ एवियन इन्फ्लुएंजा से मर चुकी हैं।

इन्फ्लुएंजा संक्रमण और बिल्लियों में कैट फ्लू में क्या अंतर है?

‘कैट फ्लू’ एक सामान्य शब्द है, जिसका उपयोग बिल्लियों में उस बीमारी के लिए किया जाता है जिसमें सर्दी जैसे लक्षण होते हैं (जैसे, बहती हुई आँखें, गले में खराश, लार गिरना, छींकना, बुखार)। इसे विभिन्न वायरस (कैलिसीवायरस, हर्पीस वायरस) या बैक्टीरिया (बोर्डेटेला ब्रोंकिसेप्टिका, क्लैमाइडिया फेलिस) द्वारा उत्पन्न किया जा सकता है। ‘कैट फ्लू’ के टीके आमतौर पर पशु चिकित्सकों द्वारा उपलब्ध कराए जाते हैं; ये सुरक्षा प्रदान करते हैं, लेकिन 100% प्रभावी नहीं होते हैं। दूसरी ओर, बिल्लियों में इन्फ्लुएंजा संक्रमण कैट फ्लू से अलग है – यह बिल्लियों में इन्फ्लुएंजा वायरस के संक्रमण से संबंधित है। बिल्लियों के लिए कोई व्यावसायिक रूप से उपलब्ध इन्फ्लुएंजा वैक्सीन उपलब्ध नहीं है।

क्या बिल्लियाँ एवियन इन्फ्लुएंजा के अलावा अन्य इन्फ्लुएंजा वायरस से संक्रमित हो सकती हैं?

बिल्लियाँ अन्य उपप्रकारों और इन्फ्लुएंजा वायरस की विभिन्न किस्मों से संक्रमित हो सकती हैं। आमतौर पर, संक्रमण उपनैदानिक होता है या केवल हल्की बीमारी का कारण बनता है। हालांकि, तनाव या अन्य दीर्घकालिक बीमारियों से बीमारी की गंभीरता बढ़ सकती है। विभिन्न इन्फ्लुएंजा वायरस के प्रति प्रजातियों की संवेदनशीलता के निर्धारण वाले कारकों को अच्छी तरह से समझा नहीं गया है और इसके लिए और अधिक शोध की आवश्यकता है।

क्या बिल्लियाँ मनुष्यों को एवियन इन्फ्लुएंजा फैला सकती हैं?

बिल्लियाँ एवियन इन्फ्लुएंजा को मनुष्यों या अन्य जानवरों तक पहुँचाने के लिए महत्वपूर्ण महामारी विज्ञान वाहक नहीं हैं। जबकि किसी संक्रमित जंगली, आवारा, जंगली या घरेलू बिल्ली के संपर्क में आने से मनुष्यों में एवियन इन्फ्लुएंजा होने की संभावना कम है, यह संभव है – विशेष रूप से यदि संक्रमित जानवर के साथ लंबे समय तक और बिना सुरक्षा के संपर्क हो। बीमार जानवरों के साथ काम करते समय सावधानियां बरतनी चाहिए, चाहे वह कोई पालतू हो या जंगली जानवर।

क्या बीमार बिल्ली से मनुष्यों में एवियन इन्फ्लुएंजा फैलने का जोखिम है?

वर्तमान में, बीमार बिल्ली से मनुष्यों में एवियन इन्फ्लुएंजा के फैलने का जोखिम बहुत कम या नगण्य है।

बिल्लियों में एवियन इन्फ्लुएंजा के संदिग्ध मामलों में क्या सावधानियां बरतनी चाहिए?

संदिग्ध एवियन इन्फ्लुएंजा मामलों में बिल्लियों को अन्य पालतू जानवरों से अलग किया जाना चाहिए, और उन्हें संभालने वाले व्यक्तियों को उचित व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण (पीपीई) पहनना चाहिए। यदि आपको संदेह है कि आपकी बिल्ली अस्वस्थ है और एवियन इन्फ्लुएंजा के संपर्क में आई है, तो अपने पशु चिकित्सक से संपर्क करें। यदि आपको फ्लू जैसे लक्षण दिखाई दें, तो डॉक्टर से सलाह लें।

बिल्लियों को एवियन इन्फ्लुएंजा (Avian influenza) से बचाने के लिए क्या सावधानियां बरती जा सकती हैं?

जहाँ तक संभव हो, बीमार पोल्ट्री, गिरे हुए जंगली पक्षी, पक्षियों के मल के निशानों वाली वस्तुओं, या ऐसे स्थानों (जैसे तालाब, पानी के कुंड, झीलें) से सीधे संपर्क से बचें, जो पक्षियों की लार, मल, या शारीरिक तरल पदार्थों से दूषित हो सकते हैं। घर लौटने पर, सुनिश्चित करें कि आपके जूते बिल्लियों की पहुँच से बाहर हों।

ऐसे बाहरी क्षेत्रों से घर लौटने के बाद जहाँ पक्षियों के मल हो सकते हैं, अपने जूते साफ करें। जिस सतह पर आपने अपने जूते रखे हैं, उसे साफ करें।

नियमित स्वच्छता प्रथाओं का पालन करें, जैसे कि घर लौटने के बाद और भोजन संभालने से पहले गर्म पानी और साबुन से हाथ धोना।

बिल्लियों के लिए भोजन तैयार करते समय स्वच्छ स्थिति बनाए रखें। बिल्लियों को कच्चा पोल्ट्री मांस खिलाने से बचें, विशेष रूप से यदि आपके क्षेत्र में एवियन इन्फ्लुएंजा के प्रकोप की सूचना दी गई हो।

अपने स्थानीय अधिकारियों से नवीनतम घोषणाओं के बारे में सूचित रहें।

यदि आपके क्षेत्र में एवियन इन्फ्लुएंजा की सूचना दी जाती है, तो बिल्लियों के संक्रमित होने का जोखिम अधिक होगा।

एवियन इन्फ्लुएंजा से पोल्ट्री बर्ड की मौत के बाद दिए जाने वाला मुआवजा

पशुपालन एवं डेयरी मंत्रालय ने मुआवजा राशि निर्धारित की है, जिसमें लेयर मुर्गी के चूजों के 20 रुपए, बड़ी मुर्गियों के लिए 90 रुपए, ब्रायलर मुर्गियों के चूजों के 20 रुपए, बड़ी ब्रायलर मुर्गी के 70 रुपए, बटेर के चूजों के पांच रुपए, बड़े बटेर के 10 रुपए, बतख के चूजों के 35 रुपए, बड़ी बतख के 135 रुपए, गिनी फाउल के चूजों के 20 रुपए, बड़ी गिनी फाउल के 90 रुपए, टर्की के चूजों के 60 रुपए और बड़ी टर्की के 160 रुपए। अंडों को नष्ट करने पर प्रति अंडा तीन रुपए और पोल्ट्री फीड को नष्ट करने पर 12 रुपए प्रति किलो निर्धारित किए गए हैं।

जबकि केरल में दूसरे राज्यों के मुकाबले मुआवजा राशि काफी ज्यादा है। केरल में इस बार बड़े पक्षियों के लिए 200 रुपए और छोटे पक्षियों के लिए 100 रुपए मुआवजा राशि निर्धारित की गई है। जबकि प्रति का अंडे के पांच रुपए दिए जाते हैं।

इससे पहले यहाँ बर्ड फ्लू की वजह से हुआ था नुकसान

साल 2021 के जनवरी महीने में 12 राज्यों (मध्य प्रदेश, हरियाणा, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, हिमाचल प्रदेश, गुजरात, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, दिल्ली, राजस्थान, जम्मू व कश्मीर और पंजाब) में एविएन फ़्लू (बर्ड फ़्लू) के प्रकोप की पुष्टि हुई थी। इसके प्रसार को रोकने के लिए महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, केरल, हरियाणा, पंजाब जैसे राज्यों में मुर्गियों और बतखों को मार दिया गया था।

साल 2006 में मार्च से अप्रैल तक महाराष्ट्र के नंदूरबार और जलगाँव में बर्ड फ्लू के संक्रमण को रोकने के लिए 9.4 लाख पक्षियों को मार दिया गया, जिसके लिए 270 लाख रुपए मुआवजा दिया गया। साल 2006 में ही फरवरी में गुजरात में 92000 हजार पक्षियों के मार दिया गया, जिसके लिए 32 लाख रुपए मुआवजा दिया गया। साल 2006 में ही मध्य प्रदेश में नौ हजार पक्षियों को मारा गया, जिसके लिए तीन लाख रुपए मुआवजा दिया गया।

bird flu outbreak cat in india

साल 2007 में मणिपुर के पूर्वी इंफाल जिले के चिंगमेइरॉन्ग में पोल्ट्री फार्म में सबसे पहले एवियन इन्फ्लुएंजा की पुष्टि हुई, जिसके बाद यहां पर 3.39 लाख पक्षियों को मार दिया गया।

साल 2008 में देश में चौथी बार एवियन इन्फ्लुएंजा की पुष्टि हुई। पश्चिम बंगाल के बीरभूमि और दक्षिण दिनाजपुर से इसकी शुरूआत हुई और मुर्शिबाद, बर्दवान, दक्षिण-24 परगना, नादिया, हुगली, हावड़ा, कोच्ची, मालदा, पश्चिम मेदिनापुर, बांकुरा, पुरुलिया, जलपाईगुड़ी और दार्जिलिंग जैसे 15 जिलों के 55 प्रखंडों और दो नगर पालिकाओं में फैल गया। पश्चिम बंगाल में 42.62 लाख पक्षियों को मार दिया गया, जिसके लिए 1229 लाख रुपए का मुआवजा दिया गया।

साल 2008 में त्रिपुरा के धलाई जिले के सलीमा ब्लॉक में बर्ड फ्लू की जानकारी मिली, इसके बाद ये बीमारी मोहनपुर, और विशालगढ़ तक पहुंच गई। यहां 1.93 पक्षियों को मार दिया गया, जिसके लिए 71 लाख रुपए का मुआवजा दिया गया।

साल 2008 में ही असम के कामरूप जिले से बर्ड फ्लू की शुरूआत हुई और धीरे-धीरे ये कामरूप, बारपेटा, नलबाड़ी, चिरांग, डिब्रूगढ़, बोंगईगाँव, नागाँव और बक्सा जिलों में फैल गई। यहां पर 5.09 लाख पक्षियों को मार दिया गया, जिसके लिए 170 लाख रुपए की मुआवजा राशि दी गई।

दिसंबर 2008 से मई 2009 तक पश्चिम बंगाल के पांच जिलों में एक बार फिर बर्ड फ्लू फैल गया। इसके संक्रमण को रोकने के लिए 2.01 पक्षियों को मार दिया गया, जिसे लिए 68.80 लाख रुपए मुआवजा राशि दी गई।

साल 2009 में सिक्किम रावोंगला नगरपालिका बर्ड फ्लू के प्रकोप की पुष्टि हुई, जहां पर लगभग चार हजार पक्षियों को मार दिया गया। यहां पर करीब तीन लाख मुआवजा दिया गया।

साल 2010 में एक बार फिर पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में बर्ड की पुष्टि हुई, नियंत्रण के लिए यहां पर लगभग 1.56 पक्षियों के साथ ही 18 हजार अंडों को नष्ट कर दिया गया। इसके लिए 68.80 लाख रुपए मुआवजा दिया गया।

साल 2011 में त्रिपुरा के दो सरकारी बतख फार्मों पर बर्ड फ्लू की पुष्टि हुई, जहां पर लगभ 21 हजार बतखों को मार दिया गया। यहां पर 2.40 लाख रुपए का मुआवजा दिया गया।

आठ सितम्बर, 2011 को असम धुबरी जिले में बर्ड फ्लू की जानकारी मिली, आठ सितंबर 2011 से चार जनवरी 2012 तक असम के कई जिलों में 15 हजार पक्षियों को मार दिया गया, जिसके लिए 6.52 लाख रुपए का मुआवजा दिया गया।

साल 2012 में ओडिशा, मेघालय और त्रिपुरा में बर्ड फ्लू की पुष्टि हुई, जिसमें ओडिशा में 0.81 लाख, मेघालय में 0.07 लाख और त्रिपुरा में 0.13 लाख पक्षियों को मार दिया गया। इसके साथ ही कर्नाटक में 0.33 लाख पक्षियों को मार दिया गया।

साल 2013 में बिहार के पूर्णिया जिले में बर्ड फ्लू की पुष्टि हुई। बिहार में छह हजार पक्षियों को मारकर 2.06 लाख का मुआवजा दिया गया। इसी साल पांच अगस्त 2013 को छत्तीसगढ़ के दुर्ग में जहां पर 31 हजार पक्षियों को मार दिया। साल 2014 में केरल में 25 नवंबर से आठ दिसम्बर तक 2.77 पक्षियों को मारकर, 379.51 लाख का मुआवजा दिया गया। इसी साल चंडीगढ़ के सुखना लेक में बतखों में बर्ड फ्लू की पुष्टि हुई, जहां पर 110 बतखों को मार दिया गया।

25 जनवरी 2015 को केरल के कोल्लम में बर्ड फ्लू की पुष्टि हुई, जहां पर आठ हजार मुर्गियों को मार दिया गया। इसका 2.16 लाख रुपए का मुआवजा दिया गया। इसी साल 13 मार्च 2015 को उत्तर प्रदेश के अमेठी जिले में बर्ड फ्लू की पुष्टि हुई, जहां पर 844 मुर्गियों को मार दिया गया।

साल 2015 में ही तेलंगाना में 1.60 पक्षियों को मारने के बाद 176.80 लाख का मुआवजा, जबकि मणिपुर में 0.21 लाख पक्षियों को मारने के बाद 13.89 लाख का मुआवजा दिया गया।

Recent Posts



More Posts

popular Posts