बैंक से लोन लेने के लिए दूसरे कई ज़रूरी डॉक्यूमेंट की तरह ही स्वीकृति पत्र (सैंक्शन लेटर) भी ज़रूरी पेपर होता है, लेकिन कई लोग इसे भरते वक़्त ध्यान नहीं रखते, जिससे लोन मिलने में परेशानी होती है।
स्वीकृति पत्र में कई जानकारियाँ होती हैं जिन्हें क़र्ज़ लेने से पहले अच्छी तरह समझ लेना चाहिए और कोई भी सँदेह या साफ़ जानकारी नहीं होने पर बैंक से पूरी जानकरी लेनी चाहिए। एक बार आप स्वीकृति पत्र पर दस्तख़त करके अपनी स्वीकृति दे देते हैं तो आप उन सभी नियम और कायदे से बँध जाते हैं जो उसमें लिखी गई हैं। कर्ज़ लेने वाले को अधिकार है की वह अपने स्वीकृति पत्र को अपनी मातृभाषा में माँग सकता है।
कैसे भरें स्वीकृति पत्र
नाम : इसमें कर्ज़ लेने वाले (आवेदक) का पूरा नाम लिखा होता है। व्यावसायिक क़र्ज़ में यहाँ पर आवेदक के साथ कंपनी का नाम आता है।
सह आवेदक / जमानतदार : इसमें सह आवेदक या जमानतदार का नाम होता है।
कर्ज़ (ऋण) राशि : कितनी राशि का कर्ज़ स्वीकृत हुआ है उसकी जानकारी यहाँ दी जाती है। यह राशि आवेदन की गयी राशि से कम हो सकती है।
कर्ज़ का प्रकार : किस काम के लिए कर्ज़ लिया जा रहा उसकी जानकारी यहाँ दी जाती है। जैसे की शिक्षण ऋण, वाहन ऋण, गृह ऋण इत्यादि ।
ब्याज दर : कर्ज़ लेने वाले को ऋण किस ब्याज़ दर पर और किस प्रकार का ब्याज़ (अपरिवर्तनीय या परिवर्तनीय ) उसे लगाया जा रहा है उसकी जानकारी यहाँ लिखी होती है।
परिवर्तनीय ब्याज़ दर वह होती है जो बैंक द्वारा ऋण की अवधि में बदल सकता है, अपरिवर्तनीय ब्याज़ दर ऋण की अवधि में समान रहती है। आमतौर पर अपरिवर्तनीय ब्याज़ दर एक से दो प्रतिशत ज़्यादा होती है। परिवर्तनीय ब्याज़ में बदलाव बैंक कई कारणों से लाते हैं, जैसे कि आर बी आई द्वारा दरों में बदलाव करने पर।
ऋण अवधि : ऋण कितनी अवधि के लिए दिया गया।
क़िस्त की राशि : प्रत्येक महीने कितनी राशि आवेदक द्वारा बैंक को देय होगी।
अधिस्थगन (मोरेटोरियम पीरियड) : अगर आवेदक द्वारा अधिस्थगन की माँग की गयी थी तो उसकी अवधि यहाँ बताई जाती है। अधिस्थगन के दौरान ब्याज़ का भुगतान आवेदक द्वारा किया जाएगा या नहीं यह भी यहाँ बताया जाता है।
प्राथमिक सुरक्षा और संपार्श्विक सुरक्षा (प्राइमरी एंड कोलैटरल सिक्योरिटी) : बैंक द्वारा सुरक्षा के रूप में क्या लिया गया है। सुरक्षा दो प्रकार की होती है, प्राथमिक वह जिसको ऋणदाता द्वारा दी गयी राशि से ही बनाया गया हो तथा संपार्श्विक वह जिसे बैंक प्राथमिक के अतिरिक्त लेते हैं। इन पर बैंक का हक़ होता है जबतक कर्ज़ (ऋण) चुकता न हो जाए।
विभिन्न प्रकार के शुल्क : जैसे कि प्रोसेसिंग, डॉक्यूमेंटेशन , इंस्पेक्शन इत्यादि शुल्क। कितने लगेंगे इसकी जानकारी यहाँ दी जाती है।
कर्ज़ (ऋण) के लिए विशिष्ट नियम और शर्तें : अगर बैंक द्वारा कोई ऐसी औपचारिकता हो जो आपके ऋण के सन्दर्भ में विशेष रूप से पूरी करनी हो तो उसका उल्लेख भी स्वीकृति पत्र में होता है।
स्वीकृति प्रदानकर्ता के हस्ताक्षर : अंत में बैंक के अधिकारी द्वारा हस्ताक्षर किये हुए स्वीकृति पत्र को ही मान्य माना जाता है और प्रत्येक आवेदक को अच्छी तरह से स्वीकृत पत्र पढ़ने के पश्चात् ही अपनी स्वीकृति देनी चाहिए।
स्वीकृति पत्र की तारीख : पत्र में तारीख का महत्व बहुत है। हर स्वीकृति पत्र एक निश्चित अवधि के लिए ही मान्य होता है, इसलिए पत्र किस तारीख को दिया गया है उसको भी संज्ञान में लेना चाहिए।
आकाश दीप मिश्रा, बैंक ऑफ महाराष्ट्र में ब्रांच मैनेजर हैं
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