इन दिनों में बाज़ार में आम की अलग-अलग किस्में बिक रहीं हैं, ये पीले-हरे आम शायद ही कोई होगा जिसे अपनी तरफ न खींचे, अब वो चाहे दशहरी हो, लंगड़ा या फिर हापुस। लेकिन क्या आपको पता है कि ये सुंदर से दिखने वाले आम आपको बीमार कर सकते हैं।
भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसआई) ने आम को पकाने के लिए कृत्रिम तरीकों के ख़िलाफ़ खाद्य व्यवसाय संचालकों, संचालकों, विक्रेताओं को चेतावनी जारी की है। यह चेतावनी आमों को पकाने में ख़तरनाक रसायन कैल्शियम कार्बाइड के बड़े पैमाने पर इस्तेमाल होने के कारण जारी की गई है। ज़्यादातर आम खरीददारों को नहीं मालूम रहता है कि यह सेहत के लिए ख़तरनाक है।
क्या है कैल्शियम कार्बाइड
कैल्शियम कार्बाइड एक रासायनिक यौगिक है जिसका इस्तेमाल आमतौर पर खनन और धातु जैसे उद्योगों में किया जाता है। इसका उपयोग एसिटिलीन गैस के उत्पादन में भी किया जाता है, जिसका इस्तेमाल वेल्डिंग में होता है। कैल्शियम कार्बाइड एक अत्यधिक प्रतिक्रियाशील यौगिक है और पानी के संपर्क में आने पर एसिटिलीन गैस छोड़ता है।
पिछले कुछ सालों से आम जैसे फलों को कृत्रिम रूप से पकाने के लिए कैल्शियम कार्बाइड एक आसान तरीका बन गया है। बाग़ से मंडी पहुंचाने के दौरान फल में ये रसायन मिलाया जाता है, जिससे इससे निकलने वाली एसिटिलीन गैस के कारण फल तेज़ी से पक जाता है।
भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण ने चेताया है कि आमों को पकाने के लिए कैल्शियम कार्बाइड का इस्तेमाल खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम, 2006 के तहत अवैध है। अधिनियम किसी भी ऐसे पदार्थ के उपयोग पर रोक लगाता है जो भोजन के उत्पादन, प्रसंस्करण या उपचार में मानव स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। कैल्शियम कार्बाइड बहुत ज़हरीला पदार्थ है जो त्वचा में जलन, साँस की समस्याओं और यहाँ तक कि कैंसर सहित कई स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है।
कैल्शियम कार्बाइड एक गैस एसिटिलीन बनाता है जो प्राकृतिक रूप से आमों में तैयार होने के दौरान बनने वाली रासायनिक गैस एथिलीन से अलग होती है। एसिटिलीन का इस्तेमाल वेल्डिंग व्यवसाय में बतौर ईंधन किया जाता है। जब कैल्शियम कार्बाइड से एसिटिलीन का निर्माण होता है तो इसमें कई तरह की ज़हरीली अशुद्धताएँ होती हैं जो इंसान के शरीर पर खासा प्रभाव डाल सकती हैं।
कितना ख़तरनाक है कैल्शियम कार्बाइड
एसिटिलीन एक ऐसी गैस है जो साँस की हवा से ऑक्सीजन की मात्रा कम कर देती है। इसकी अधिकता से शरीर की कोशिकाओं में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है, जिसकी वजह से कई बार लोगों को अचानक चक्कर आना या घबराहट महसूस जैसी शिकायत हो जाती है। इस गैस की वजह से सिरदर्द, थकान, नींद आना, मानसिक तनाव और याददाश्त में कमी होना भी देखा गया है।
एसिटिलीन और कैल्शियम कार्बाइड के संपर्क में ज़्यादा समय तक रहने से आँखों में लाली, जलन और खुजलाहट हो सकती है। आम के डिब्बों को खोलने के बाद त्वचा पर खुजलाहट, लालपन और जलन होने की वजह कैल्शियम कार्बाइड ही होती है।
आम के डिब्बों में एसिटिलीन गैस भरी होती है और इसे खोलते ही इस गैस का साँस के साथ शरीर में अंदर प्रवेश कर जाने से मुँह, नाक, गले और फेफड़ों में तेजी से असर होता है और तुरंत खांसी आने लगती है। कई बार सांस लेने में दिक्कत होने लगती है।
कैसे पहचानें घातक रसायनों से पके हुए आमों को?
आमों को पानी से भरे किसी बाल्टी में डालिए, अगर ये तैरने लगे तो मान लीजिए आमों को रसायनों की मदद से पकाया गया है। इसके अलावा आमों को हाथ में उठाकर देखिए, इनकी बाहरी त्वचा पर हल्की सी झुर्रियाँ दिखायी देंगी। आमतौर पर लोग मानते हैं कि आमों पर झुर्रियाँ हो तो वे प्राकृतिक रूप से पके हुए होते है, ऐसा नहीं है।
आम हल्का सा हरापन लिया हो और झुर्रियाँ भी दिखायी दें तो तय है कि आम को पेड़ पर पकने से पहले ही तोड़ लिया गया है और रसायनों की मदद से पकाया गया है। आम पर हल्के-हल्के हरे पत्तों या धब्बों का दिखना भी दिखाता है कि इसे रसायनों की मदद से पकाया गया है जबकि प्राकृतिक तौर पर पका आम हरा हुआ भी तो धब्बे नहीं दिखायी देंगे।
एथिलीन गैस में पकाए आम पूरी तरह से हैं सुरक्षित
एफएसएसआई केवल एथिलीन से आम पकाने की इजाज़त देता है। इसके मुताबिक ‘एथिलीन’ को 100 पीपीएम तक की सांद्रता पर सुरक्षित पकाया जा सकता है। एथेफॉन, ईथर जैसे स्रोतों के ज़रिए फ़सल, किस्म और परिपक्वता पर निर्भर करता है। साथ ही इस बात का ध्यान रखना भी ज़रूरी है कि ऐसे फल कृत्रिम रूप से पकाए जाने वाले फलों के सीधे संपर्क में नहीं आएँ।