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बच्चे पर चिल्लाना, मारना, फोन देना कहीं आपकी आदत में तो नही

बच्चा बिगड़ गया, उसे मोबाइल की लत लग गई है, बच्चा डरने लगा है और बच्चों से जुड़ी तमाम समस्याओं पर हमने बात की लखनऊ की मनोवैज्ञानिक डॉ. शाजिया सिद्दीकी से...

आज की बिजी जिंदगी में कुछ माता-पिता अपने बच्चे को समय नहीं दे पाते हैं उसके बाद कहते हैं कि हमारा बच्चा बिगड़ गया ,उसे मोबाइल की लत लग गई है, बच्चा डरने लगा है। इन सभी विषयों को लेकर हमने बात की लखनऊ की मनोवैज्ञानिक डॉ. शाजिया सिद्दीकी से।

डॉ शाजिया बताती हैं, ” बच्चों के स्वभाव में हो रहे बदलाव का बहुत बड़ा कनेक्शन हमारे समाज के साथ है, जिस तरह से माता-पिता अपने बच्चे का पालन-पोषण करते हैं वह भी कई हद तक इन चीजों के लिए जिम्मेदार हो सकता है। हमें इस पर निगरानी रखनी है कि बच्चा किस तरह के समाज में रह रहा है उसके रोल मॉडल किस तरह के मिल रहे हैं? अगर बच्चा कोई गलती कर रहा है तो उसे कैसे समझाया जा रहा है? उसे गाली देकर या कुछ भद्दा देकर तो नहीं समझाया जा रहा है। बच्चे को जहां भी हिंसा का मॉडल मिलता है वहां बच्चा यह सीखता है कि यह चीज तो बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण है। घर पर पति आकर अपनी पत्नी से बुरा व्यवहार कर रहा है या अपनी माँ-बाप से चिल्ला रहा है और सब उससे डर जा रहे हैं। इससे बच्चा यही सीखता है कि यह तो बहुत जरुरी है। आप जब अपने बच्चे से प्यार से समझा रहे हैं या गुस्सा भी प्यार से कर रहे हैं तो बच्चा यह सीखता है कि उसे कहां गुस्सा होना है और चुपचाप रहने का बर्ताव करना है।”

आज कल सोशल मीडिया का दौर चल रहा है कई तरह के ऐसे गेम आते हैं जो आपके बच्चे को हिंसा सिखाते हैं। गेम में बच्चे को मारने के पॉइंट मिलते हैं, जिससे वह सीखते है कि मारना सही है। यह भी समाज का एक हिस्सा है।

बच्चों को देखकर सीखने की आदत

डॉ. शाजिया सिद्दीकी डॉ. शाजिया सिद्दीकी 

डॉ. शाजिया बताती हैं, “मनुष्य का दिमाग देख कर सीखने का आदी होता है। इसलिए जो वह देखता है जल्दी सीख जाता है। जैसे दूसरे के कपड़े देखे हमें अच्छे लगे हमने मंगवा लिए। अब यही चीज आप हिंसा में या अपने बच्चे के पालन-पोषण में देखें तो बच्चा वही कर रहा है जो वह घर में सीख रहा है। आप अगर घर में शराब पी रहे हैं, आप यह दिखा रहे हैं कि मां की परिवार में जरूरत नहीं है तो बच्चा यह सब सीख जाता है। उस मां के साथ बच्चे को सबसे ज्यादा जिंदगी बितानी है उसकी अथारिटी खत्म कर रहे हैं तो आप वहां पर माँ को नहीं बल्कि बच्चे को ख़त्म कर रहे हैं। कई बार माता-पिता अपने बच्चे को खुद से बेहतर बनाने के लिए ऐसे कदम उठा लेते हैं जो कि बच्चे के मानसिक स्वास्थ्य के लिए बेहतर नहीं है। कई बार मैंने देखा है कि बच्चे को माँ-बाप बहुत बुरी-बुरी गाली देते हैं, जिसे वो बच्चे को इनकरेज (प्रोत्साहित करना) करने का तरीका समझते हैं। यह तरीका एक गलत है और कभी भी अपने बच्चे को किसी के साथ भी कम्पेयर (तुलना करना) नहीं करना है। अगर आप चाहते हैं कि आपका बच्चा आगे कुछ करे तो आपको उसका साथ देना होता है। आप चाहते हैं कि अगर आपका बच्चा साइकिल चलाना सीखे तो आपको पहले साइकिल पर बैठना होगा भले आप गिर पड़ें।”

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बच्चे से फोन कैसे छुड़ायें

“इसके लिए यह बहुत जरुरी है कि बच्चे की उम्र क्या है? कुछ माता-पिता दो साल के बच्चे को भी मोबाइल दे देते हैं। बच्चे को मोबाइल देने का मतलब है कि आप बच्चे को 10-15 ग्राम कोकीन दे रहे हो। खाने खिलाते समय बच्चे को बहुत सारे माता-पिता बच्चे को फोन पकड़ा देते हैं तो उन्हें अपना समय याद करने की जरुरत है कि जब आप खाना खाते थे तब क्या आपकी दादी-नानी आपको खाना खिलते समय फोन दिया करती थी? सात-आठ साल की उम्र तो फोन का बहुत ही कम प्रयोग करना चाहिए। दिक्कत तब आती है जब बच्चा बहुत ज्यादा फोन का प्रयोग करते हैं, जितना छोटा बच्चा होता है उतनी जल्दी उसकी आदत छुड़ाई जा सकती है और जितना बड़ा बच्चा होता है उतनी ज्यादा दिक्कत होती हैं। बहुत सारे ऐसे लोग हैं जानने वाले जिन्होंने अपना फोन फेक दिया, जिससे उनका बच्चा फोन का प्रयोग न करे। मोबाइल की लत को किसी और चीज से रिप्लेस कर दीजिये। कई बार माता-पिता अपने समय की जगह बच्चे को फोन दे देते हैं। फोन की जगह बच्चे को आर्ट बनाना सिखाइए, उसके साथ खेलिए इससे उसकी लत छूट सकती है।” डॉ. शाजिया आगे बताती हैं।

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बच्चे का पढ़ाई में मन क्यों नहीं लगता है

आपने मुझसे कहा बुखार आ रहा है लेकिन बुखार क्यों आ रहा है यह जानना बहुत ज्यादा जरुरी है। बच्चे के पढ़ाई में मन दो कारणों से नहीं लग सकता है एक तो उसकी बुद्धि में कमीं है इससे देखने के कई तरीके हैं, जैसे बच्चे का सामान्य व्यवहार कैसा है? दोस्तों के साथ कैसा है? अगर बच्चा हर चीज में कमजोर है तब हम कह सकते हैं कि बच्चे के बुद्धि में कमीं है लेकिन बच्चा सिर्फ पढ़ाई में कमजोर है तो उसकी बुद्धि में कमीं नहीं है। बच्चे का पढ़ाई में मन नहीं लग रहा है इसके लिए आपको यह देखने की जरुरत है कि बच्चे के जीवन में कोई तनाव तो नहीं है।

अंधेरे, भूत, झोली वाले बाबा से बच्चे को डराना खतरनाक

“बहुत सारे ऐसे माता-पिता है जो उस समय काम कराने के लिए बच्चे को डराते हैं। खाना खिलाते समय बेटा खाना खा लो वरना बाहर चुड़ैल खड़ी है वो ले जाएगी या बाबा खड़ा है तेरा हाथ-पैर काट कर ले जायेगा। यह आप अपने ऊपर लेकर देखिये कि अगर आपके माता-पिता, पत्नी या दोस्त आपके सर पर गोली लगाकर खड़े हैं और बोल रहे हैं खाना खाओ यह वही है। बकरी के बच्चे को पिंजड़े में बंद करके खाना दे दीजिये और उस पिंजड़े के चारो तरह शेर दौड़ा दीजिये फिर क्या होगा? उस बकरी के बच्चे की बाहर निकलने की क्षमता ख़त्म हो जाएगी। आप किसी को भी डरा करके खाना नहीं खिला सकते, पढ़ा नहीं सकते, उसे जिंदगी में आगे नहीं बढ़ा सकते हैं। इससे कई लोगों में काफी दिक्कतें हो जाती है। तनाव, फोबिया (डर) पैदा हो जाता है, वह सोचने लगता है कि कहीं मैं बाहर जाऊं तो मुझे कुछ हो न जाए। इससे उसकी जिंदगी का कॉन्फिडेंस (आत्मविश्वास) एक दम खत्म हो जाता है।” डॉ शाजिया बताती हैं।

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