सिगरेट सेहत के लिए ठीक नहीं सभी जानते हैं, लेकिन इसका कश लेने वाले ख़ुद की सेहत की फ़िक्र अक्सर धुएं में उड़ा देते हैं; जो दिमाग के लिए भी ठीक नहीं है।
जर्नल बायोलॉजिकल साइकिएट्री: ग्लोबल ओपन साइंस में प्रकाशित नए शोध में कहा गया है कि सिगरेट इंसान के दिमाग (मस्तिष्क) को स्थायी रूप से भी सिकोड़ सकता है जिसे ठीक नहीं किया जा सकता है। कैंसर जैसी बीमारी को सिगरेट के कश से न्यौता देने वालों के लिए ये रिपोर्ट चिंताजनक है।
लखनऊ के किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी में एसोसिएट प्रोफ़ेसर डॉ वैभव जयसवाल का कहना है कि ये एक गंभीर बात है, क्योंकि इंसान का दिमाग अगर स्वस्थ्य नहीं होगा तो उसके लिए कठिन स्थिति होगी।
“धूम्रपान कैंसर जैसी बीमारी देता है ये जानने के बावज़ूद इसकी लत छोड़ने में मुश्किल होती है; अगर मस्तिष्क का सिकुड़ना शुरू हो गया तो
वो मरीज़ के लिए सबसे ख़तरनाक है। ” डॉ जायसवाल ने गाँव कनेक्शन से कहा।
गंभीर क्यों है नया शोध
ग्लोबल ओपन साइंस में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक धूम्रपान ( सिगरेट, बीड़ी या हुक्का) छोड़ने से मस्तिष्क के टिश्यू को और अधिक नुकसान होने से तो रोका जा सकता है, लेकिन इससे मस्तिष्क अपने मूल आकार में वापस नहीं आएगा। यही डॉक्टरों की सबसे बड़ी चिंता है।
शोध में ये भी कहा गया है कि धूम्रपान करने वालों को उम्र से संबंधित मानसिक विकास में कमी के साथ अल्जाइमर रोग होने का ख़तरा होता है।
सेंट लुइस में वाशिंगटन यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन के शोधकर्ताओं के मुताबिक, दरअसल उम्र के साथ लोगों के दिमाग का आकार स्वाभाविक रूप से छोटा हो जाता है, ऐसे में धूम्रपान दिमाग को समय से पहले बूढ़ा कर देता है।
डॉ वैभव कहते हैं “सिर्फ बड़े शहरों में ध्रूमपान की लत नहीं है, गाँवों में भी बुरा हाल है; मज़दूर तबके में तो ध्रूमपान आम है।”
“आप ये रिपोर्ट अगर देखें तो उसमें कहा गया है कि हाल तक वैज्ञानिकों ने इंसान के दिमाग पर धूम्रपान के प्रभावों पर ध्यान नहीं दिया था; फेफड़ों और दिल पर ही इसके असर पर ध्यान था, लेकिन जैसे-जैसे मस्तिष्क को अधिक बारीकी से देखना शुरू किया गया , यह साफ़ हो गया कि धूम्रपान हक़ीक़त में दिमाग के लिए भी उतना ही ख़तरनाक है।” उन्होंने आगे कहा।
रिसर्च के लिए 32,094 लोगों के मस्तिष्क पर धूम्रपान के असर और धूम्रपान के आनुवंशिक ख़तरों पर पहचाने गए डेटा का विश्लेषण किया गया। वैज्ञानिकों ने धूम्रपान की शुरुआत और मस्तिष्क की मात्रा के आनुवंशिक जोखिम के बीच एक संबंध पाया।
बहुत कुछ इसबात पर भी निर्भर करता है कि इंसान एक दिन में कितना धूम्रपान कर रहा है। अगर कई बार कर रहा है तो इस बात की संभावना अधिक है कि उसका मस्तिष्क ज़्यादा छोटा होगा।
इच्छा शक्ति से छोड़ सकते हैं सिगरेट पीने की लत
डॉ वैभव जायसवाल कहते हैं “सिगरेट छोड़ना इतना मुश्किल भी नहीं है; इच्छा शक्ति होनी चाहिए, कई मरीज़ ऐसे देखें हैं जो छोड़ चुके हैं लेकिन ये खुद पर निर्भर करेगा। अगर सिगरेट छोड़ने की डेडलाइन तय कर लें और उसके बाद पीने की तलब लगे, तो आप आराम से बैठें, लंबी सांस भरे और पानी पी लें; ऐसा करने से ध्यान भटकेगा। ”
मौसम्मी, संतरा और अंगूर जैसे फलों का जूस पीना भी सिगरेट की तलब मिटाने में मददगार होता है।
सिगरेट में निकोटीन होता है, जो लत बढ़ा देता है। अगर धूम्रपान रोज़ की आदत बन गई तो छोड़ना कठिन हो जाता है। बहुत से लोग तनाव से राहत पाने या मूड बदलने के नाम पर धूम्रपान करते हैं। कुछ लोगों के लिए, यह एक सामाजिक गतिविधि है। कभी कभी कुछ लोगों को ऐसा भी लगता है कि अगर वे सिगरेट छोड़ देते हैं, तो उनका वजन बढ़ जाएगा; लेकिन डॉक्टरों का कहना है ये सोच पूरी तरह गलत है।