अगर आप भी औषधीय और संगंध फसलों की खेती करना चाहते हैं तो ये आपके काम की खबर है। हर वर्ष की तरह इस बार फिर सीएसआरआई-केन्द्रीय औषधीय एवं सगंध पौधा संस्थान में 31 जनवरी को किसान मेला का आयोजन किया जा रहा है।
किसान मेला के बारे में अधिक जानकारी देते है, सीएसआरआई-सीमैप के निदेशक डॉ पीके त्रिवेदी गाँव कनेक्शन से बताते हैं, “सीमैप हर साल 31 जनवरी को किसान मेले का आयोजन करता है, जिसमें पूरे देश से पांच हजार से ज्यादा किसान आते हैं। लेकिप पिछले दो साल कोविड महामारी के चलते हमने किसान मेला को आयोजन पांच या दस दिनों के लिए किया था। क्योंकि कोविड का प्रतिबंध था।”
वो आगे कहते हैं, “इस बार फिर हम 31 जनवरी को किसान मेला का आयोजन एक दिन के लिए कर रहे हैं, काफी बड़ा कर रहे हैं। इसमें पूरे देश से किसान आने वाले हैं। किसानों को मेडिसिनल और ऐरोमैटिक प्लांट की नई किस्में दी जाएंगी, साथ ही किसानों को एग्रोटेक्नोलॉजी की जानकारी दी जाएगी।”
सीमैप पिछले करीब डेड़ दशक से हर साल 31 जनवरी को किसान मेले का आयोजन करता आ रहा था, जिसमें यूपी, बिहार, एमपी, उत्तराखंड, लेकिन दक्षिण भारत के की राज्यों के भारी संख्या में किसान शामिल होते थे। लेकिन कोविड महामारी के चलते पिछले 15 जनवरी से 5 फरवरी तक कोविड प्रोटोकॉल के साथ मेले का आयोजन हुआ था, जिसमें करीब 4000 लोग शामिल हुए थे।
यूपी में देश की 80 फीसदी मेंथा की खेती
देश की 80 फीसदी मेंथा उत्तर प्रदेश में उगाई जाती है। उत्तर प्रदेश में बाराबंकी, चंदौली, सीतापुर, बनारस, मुरादाबाद, बदायूं, रामपुर, चंदौली, लखीमपुर, बरेली, शाहजहांपुर, बहराइच, अंबेडकर नगर, पीलीभीत, रायबरेली में इसकी खेती होती है। बाराबंकी को मेंथा का गढ़ कहा जाता है। यहां बागवानी विभाग के मुताबिक करीब 88000 हेक्टेयर में मेंथा की फसल लगाई जाती है। बाराबंकी अकेले प्रदेश में कुल तेल उत्पादन में 25 से 33 फीसदी तक योगदान करता है।