अगर लीक की हुई फ़िल्में देखते हैं या शेयर करते हैं तो ये पढ़ लीजिए

फ़िल्में और ओटीटी सीरीज़ के एपिसोड आजकल अक्सर टेलीग्राम ऐप (Telegram App) या टॉरेंट (Torrent) पर आसानी से शेयर हो जाते हैं। अगर आप भी ऐसा करते हैं तो तीन साल की जेल और दस लाख ज़ुर्माने के लिए तैयार हो जाइए।
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यारों दोस्तों में अगर झट से कोई लीक की हुई फ़िल्म या ओटीटी सीरीज़ के एपिसोड शेयर कर देते हैं तो सजा भुगतने के लिए तैयार हो जाइए। भारत की संसद इस पर लगाम कसने के लिए अब नया क़ानून ला रही है।

नए क़ानून के आने से यूट्यूब या दूसरे प्लेटफार्म पर भी अगर आप फिल्म पायरेसी से जुड़ा कुछ देखते या डालते हैं तो क़ानून के रडार पर होंगे। इससे उन लोगों को भी अब सावधान रहना होगा जो सिनेमा घरों से मोबाइल फोन या कैमरे पर फ़िल्म चुराकर सोशल साईट पर डाल देते हैं।

यानी साफ़ है अगर आप फ़िल्म व्यवसाय से भी जुड़े हैं या बनाने की सोच रहे हैं तो किसी दूसरे की फ़िल्म से बिना इजाज़त कुछ भी लेना या दिखाना आपको जेल भेज सकता है। फिल्म पायरेसी के लिए नए क़ानून में कड़ी सज़ा है। सरकार का मानना है कि इससे सभी प्लेटफार्मों पर फिल्म पायरेसी के लिए कोई जगह नहीं बचेगी।

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने हाल ही में सिनेमैटोग्राफ (संशोधन) विधेयक 2023 को मंज़ूरी दी थी, जिसे संसद के इस सत्र में पास करा कर क़ानून के रूप में लागू कर दिया जायेगा। इसका मक़सद फिल्म सामग्री में चोरी पर अंकुश लगाने के साथ रचनात्मक उद्योग की रक्षा करना है।

नए क़ानून में अब जहाँ सेंसर बोर्ड की तरफ से फिल्मों को दस साल की जगह स्थायी सर्टिफिकेट दिया जायेगा वहीं उसके दर्शकों का वर्ग भी उम्र के हिसाब से होगा। यानी हर फ़िल्म के शुरू में ही लिखा होगा इसे देखने वाले की उम्र कितने से कितने के बीच होनी चाहिए।

अभी तक फ़िल्म सेंसर बोर्ड ‘यू,’ ‘ए,’ और ‘यूए’ की पुरानी प्रथा पर चलता रहा है। लेकिन अब इसके बजाय आयु समूह के आधार पर फिल्मों को बाँट दिया जायेगा।

अभी अक़्सर ख़ुद दर्शक या सिनेमा घर कर्मचारी भी इस ग़फ़लत में रहते थे कि किसे देखने देना है किसे नहीं। आमतौर पर छोटे शहरों में तो अंग्रेज़ी फ़िल्म को ही वयस्कों के लिए मान लिया जाता रहा है। जबकि भारतीय सेंसर बोर्ड बाकायदा ‘यू,’ ‘ए,’ और ‘यूए’ लिखता है।

क्या लिखा होगा फ़िल्म सर्टिफ़िकेट पर ?

अब फ़िल्म को बाँटने के लिए नई उप-आयु श्रेणियाँ शामिल की जा रही हैं। यह फिल्मों को “यू” (अप्रतिबंधित सार्वजनिक प्रदर्शनी), “ए” (वयस्क दर्शकों के लिए), और “यूए” (12 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के लिए माता-पिता के मार्गदर्शन के अधीन सार्वजनिक प्रदर्शनी) रेटिंग देने के बजाय आयु समूह के आधार पर होगा। 12 साल के बच्चों के लिए नई श्रेणियाँ जोड़ी गईं है। जैसे – ‘UA-7+’, ‘UA-13+’, और ‘UA-16+’।

फ़िल्म से जुड़े जानकारों का मानना है कि इसके लागू होने से फ़िल्म पायरेसी के कारण होने वाले नुकसान को रोकने में बड़ी मदद मिलेगी, क्योंकि इस समस्या से फ़िल्म उद्योग को भारी नुकसान होता है। यह विधेयक भारतीय फिल्मों को बढ़ावा देने और स्थानीय फिल्मों को अंतर्राष्ट्रीय मंच देने में मदद करने की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम साबित होगा।

भारत की 17वीं लोक सभा का मॉनसून सत्र 20 जुलाई यानी आज से शुरू हुआ है। उम्मीद है इस सत्र के अगले कुल 17 दिनों में 31 बिल सरकार पास कराएगी। जिसमें सिनेमैटोग्राफ अधिनियम, 1952 में संशोधन का प्रस्ताव भी है। 

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