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कोरोना संक्रमण में ब्लैक फंगस इंफेक्शन का खतरा: क्या होते हैं इसके लक्षण, कैसे कर सकते हैं बचाव

कोरोना संक्रमण के साथ ही ब्लैक फंगस इंफेक्शन के मामले भी बढ़ रहे हैं, ऐसे में सबसे जरूरी होता है इसके बारे में जानना कि क्या होता है, कैसे फैलता है, अगर इंफेक्शन हो जाए तो क्या करें और क्या न करें?
Black Fungus

कोरोना वायरस की दूसरी लहर से पूरा देश जूझ रहा है, ऐसे में कोरोना मरीजों में फंगल इंफेक्शन के मामले बढ़ रहे हैं, इस इंफेक्शन को ‘ब्लैक फंगल इंफेक्शन’ कहा जाता है। यहां इंफेक्शन तेजी से बढ़ता है और कई मरीजों की आंखों की रौशनी तक चली जाती है।

लोगों में ‘ब्लैक फंगल इंफेक्शन’ का डर कम करने और जागरूक करने के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने म्यूकोर्माइकोसिस, जिसे आमतौर पर ब्लैक फंगस के रूप में जाना जाता है, का शुरुआती तौर पर पता लगाने, और उसके उपचार के बारे में सलाह दी है। ब्लैक फंगस के बढ़ते मामलों को देखते हुए उन्होंने ट्विटर पर लोगों को इसके लक्षणों और संक्रमण के बाद आवश्यक कदम उठाए जाने के बारे में जानकारी दी है।

अपने एक ट्वीट में डॉ हर्ष वर्धन ने बताया है कि “म्यूकोर्माइकोसिस या ब्लैक फंगस के मामलों को कोविड-19 के मरीजों में हाल में देखा गया है। जागरूकता और समय रहते इसका निदान इस फंगल संक्रमण से बचाव में मदद कर सकता है। ब्लैक फंगस एक दुर्लभ, मगर गंभीर स्थिति होती है, जिसे कोरोना वायरस से ग्रस्त मरीजों में देखा जा रहा है।” लोगों को जागरूक करने के लिए उन्होंने ट्विटर पर चार स्लाइड्स भी साझा की हैं, जो ब्लैक फंगस के बारे में जानकारी देती हैं।

कोविड-19 से उबर रहे, या फिर इससे उबर चुके लोगों में म्यूकोर्माइकोसिस का संक्रमण होने के बाद यह चर्चा का विषय बना हुआ है। इस संबंध में पूछे जाने वाले कुछ प्रमुख सवालों के जवाब डॉ हर्ष वर्धन के ट्वीट में दिए गए हैं, जो इस प्रकार हैः

क्या है म्यूकोर्माइकोसिस?

म्यूकोर्माइकोसिस एक फंगल संक्रमण है, जो मुख्य रूप से उन लोगों को अपनी चपेट में ले रहा है, जो पहले से डायबिटीज जैसी किसी अन्य बीमारी से ग्रस्त हैं। यह संक्रमण वातावरण में मौजूद रोगजनकों के खिलाफ लड़ने की शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को कम कर देता है। वातावरण में मौजूद फंगल बीजाणुओं के संपर्क में आने से लोग म्यूकोर्माइकोसिस का शिकार बनते हैं। किसी घाव के जरिये भी यह शरीर में प्रवेश कर सकता है, और संक्रमण का कारण बन सकता है।

मरीजों को कैसे चपेट में लेता है संक्रमण?

पहले से गंभीर रोग, अनियंत्रित डायबिटीज, स्टेरॉयड्स से प्रतिरक्षा दमन, वैरिकोनाजोल थेरैपी और लंबे समय तक आईसीयू में रहने वाले लोगों में फंगल संक्रमण की आशंका अधिक होती है।

म्यूकोर्माइकोसिस के लक्षण क्या हैं?

आंखों के आसपास दर्द और लाल रंग, बुखार, सिरदर्द, खांसी, तेज सांस चलना, खूनी उल्टी, परिवर्तित मानसिक स्थिति संक्रमण के संभावित लक्षण हो सकते हैं।

क्या करें, और क्या न करें?

डॉ हर्ष वर्धन ने अपने ट्वीट में सलाह देते हुए कहा है कि अवरुद्ध नाक के सभी मामलों को बैक्टीरियल साइनसाइटिस के मामलों से जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए, खासतौर पर इम्यूनोसप्रेशन और / या इम्यूनोमॉड्यूलेटर्स ले रहे कोविड-19 रोगियों के मामले में।

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