लखनऊ (उत्तर प्रदेश)। किसानों को मेंथाल मिंट जैसी नगदी फसल का उपहार देने वाले वैज्ञानिक संस्थान केन्द्रीय औषधीय एवं सगंध पौधा संस्थान (सीएसआईआर-सीमैप) में इस बार किसानों को सिम उन्नति किस्म की जड़ें (सकर्स) दी जाएंगी। कोविड के चलते सीमैप में 21 से 31 जनवरी तक रोजाना करीब 200 किसानों को ये पौध सामग्री दी जाएगी।
10 दिवसीय किसान मेले के बारे में जानकारी देते हुए सीमैप के निदेशक प्रमोद कुमार त्रिवेदी ने बताया, “किसान मेले के दौरान किसानों को उन्नत पौध सामग्री, औषधीय और सगंध पौधों के बाजार की जानकरी, सीमैप के उत्पादों का प्रदर्शन, आसवन यूनिट और प्रसंस्करण का सजीव प्रदर्शन के अलावा उन्नत कृषि तकनीकों के बारे में जानकारी दी जाएगी।”
लखनऊ स्थित केंद्रीय औषधीय एवं सगंध पौधा संस्थान (सीमैप) के मुताबिक भारत दुनिया का सबसे बड़ा प्राकृतिक मेंथा का निर्यातक है। भारत में लगभग 3 लाख हेक्टेयर में मेंथा की खेती होती है और करीब सालाना 30 हजार मीट्रिक टन मेंथा ऑयल का उत्पादन होता है।
निदेशक सीमैप ने कहा, “मेंथा उत्पादन और निर्यात में भारत नंबर एक है। हमारी कोशिश है कि किसानों की आमदनी को और बढ़ाया जाए। अभी जितने एसेंशियल ऑयल हैं विदेश से आते हैं, लेकिन हम लोग किसानों के साथ मिलकर उनका देश में उत्पाद करना चाहते है। लेमनग्राम में हमारी डिमांड पूरी हो गई है, अब उसका एक्सपोर्ट करेंगे। किसानों के साथ हमारा कनेक्शन से हम उनके लिए काम करते रहेंगे।”
CSIR-CIMAP Kisan Mela @ 10 days, 21st to 31st January 2022 @ daily 100 farmers following prevention measures of COVID-19. Interested farmers, entrepreneurs and industry @ register for participation on https://t.co/PzUhJf5vXq @PrabodhTrivedi @CSIRCIMAP @CSIR_IND @CsirAroma pic.twitter.com/79gymN5fYK
— Sanjay Kumar (@SanjayKCIMAP) January 9, 2022
सीमैप पिछले करीब डेड़ दशक से हर साल 31 जनवरी को किसान मेले का आयोजन करता आ रहा था, जिसमें यूपी, बिहार, एमपी, उत्तराखंड, लेकिन दक्षिण भारत के की राज्यों के भारी संख्या में किसान शामिल होते थे। लेकिन कोविड महामारी के चलते पिछले 15 जनवरी से 5 फरवरी तक कोविड प्रोटोकॉल के साथ मेले का आयोजन हुआ था, जिसमें करीब 4000 लोग शामिल हुए थे।
सीमैप के वैज्ञानिक और मीडिया हेड डॉ. मनोज सेमवाल बताया कि इस बार करीब 1500 रजिस्ट्रेशन हो चुके हैं, सीमैप में काफी खुली जगह है तो रोजाना करीब 200 किसानों को बुलाएंगे और उन्हें एहतियात के साथ जानकारी और प्लांटिंग मैटेरियल दिया जाएगा।
किसान मेले के शुभारंग 21 जनवरी को किया जाएगा। इस बार के किसान मेले में किसानों को मेंथा सकर्स, नींबू घास, कालमेघ, अश्वगंधा समेत कई औषधीय और संगध पौधों की उन्नत प्रजातियों की पौध सामग्री किसानों को दी जाएगी। इसके अलावा गुलाब जल और फूलो से अगरबत्ती बनाने का प्रशिक्षण भी होगा।
सीमैप के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. संजय कुमार ने बताया कि किसान मेले में कई तरह की गोष्ठियां भी होंगी जिनमें हमारी कोशिश रहेगी कि एरोमा इंडस्ट्री, आयुर्वेद-आयुष और उससे जुड़े लोगों को प्रतनिधि भी शामिल हों और किसानों से अपनी बात रख सकें किसानों के विचारों को भी सुन सकें।”
साल 2021 में मेंथा सीजन में हुई अतिवृष्टि से किसानों का भारी नुकसान हुआ था, लेकिन उन किसानों के लिए थोड़ी राहत थी, जिन्होंने सिम उन्नति किस्म मेढ़ पर लगाई थी।
सीमैप के वैज्ञानिक डॉ. संजय कुमार ने गांव कनेक्शन के सवाल के जवाब में बताया कि पिछले साल हमने बदायूं, संभल और बाराबंकी में पाया था कि जिन किसानों ने सिम उन्नति की मेढ़ पर खेती की थी उनका 30-40 फीसदी नुकसान कम हुआ था। पिछले साल हमने 2000-2500 किसानों तक ये किस्म पहुंचा पाए थे जो अब उनके खेतों के जरिए और हमारी कोशिश के जरिए इस साल 30000-35000 किसानों तक पहुंचने की उम्मीद है।”
डॉ. कुमार ने आगे कहा, “हम किसानों को सलाह देंगे कि वो खेती के पैटर्न में थोड़ा बदलाव करें और कुछ खेत पहले खाली करके उममें मेंढ़ पर मेंथा लगाएं और बाकी बाद में करें ताकि एक साथ किसी तरह से नुकसान से बचा जा सके।”
यूपी में देश की 80 फीसदी मेंथा की खेती
देश की 80 फीसदी मेंथआ उत्तर प्रदेश में उगाई जाती है। उत्तर प्रदेश में बाराबंकी, चंदौली, सीतापुर, बनारस, मुरादाबाद, बदायूं, रामपुर, चंदौली, लखीमपुर, बरेली, शाहजहांपुर, बहराइच, अंबेडकर नगर, पीलीभीत, रायबरेली में इसकी खेती होती है। बाराबंकी को मेंथा का गढ़ कहा जाता है। यहां बागवानी विभाग के मुताबिक करीब 88000 हेक्टेयर में मेंथा की फसल लगाई जाती है। बाराबंकी अकेले प्रदेश में कुल तेल उत्पादन में 25 से 33 फीसदी तक योगदान करता है।