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अक्सर आपके बच्चे बाहर खाते हैं तो हो सकते हैं डायबिटीज़ के शिकार

बच्चों में बढ़ता अनहेल्दी खानपान डायबिटीज़ की सबसे बड़ी वजह है; डॉक्टरों का कहना है कि चिंता की बात है कि इस बीमारी का अंजाम सबको पता है, फिर भी बच्चों को पिज्जा, बर्गर, मोमोज या कोल्ड ड्रिंक जैसी चीजों को हर दूसरे -तीसरे दिन खाने से रोक नहीं पा रहे हैं।
#diabetic patient

अगर आपका बच्चा हर दूसरे-तीसरे दिन बाहर के फ़ास्ट फ़ूड खाने की ज़िद करता है और आप उसकी ज़िद पूरी कर रहे हैं तो मुमकिन है कुछ समय बाद वे डायबिटीज़ का शिकार हो जाए।

सुन कर चौक गए न? लेकिन ये सच है।

डॉक्टरों का कहना है कि टाइप 1 डायबिटीज़ (मधुमेह) की संभावना इसमें बढ़ जाती है; ये अचानक विकसित हो सकती है और आनुवंशिक रूप से इसका ख़तरा अधिक होता है। जबकि टाइप-2 डायबिटीज़ अक्सर समय के साथ विकसित होती है। लाइफस्टाइल और खानपान में गड़बड़ी के साथ मोटापा और कसरत की कमी इसकी वजह माने जाते रहे हैं।

इंटरनेशनल डायबिटीज़ फाउंडेशन (आईडीएफ) के मुताबिक, मधुमेह के कारण 2021 में 67 लाख लोगों की मौत हुई, और अनुमान है कि उसी साल 53.7 करोड़ (10 में से 1) लोग इस बीमारी के साथ जी रहे थे, ये एक संकेत है यह संख्या बढ़ेगी, मुमकिन है 2030 में 64.3 करोड़ और 2045 तक 78.3 करोड़ तक पहुँच जाए।

लखनऊ के किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के डॉक्टर वैभव जायसवाल कहते हैं, “आजकल बच्चों में बड़ों जैसी बीमारियां हो रही है, टाइप 2 डायबिटीज़ और फैटी लिवर देखा जा रहा है; शुगर से बनने वाली चीज़ें, जैसे कैंडी चॉकलेट अब जितना बच्चे खा रहे हैं उसे भी एक वजह मान सकते हैं, अब उन्हें बहुत आसानी से ये सब मिल जाता है। ”

वे आगे कहते हैं, “इससे शरीर में शुगर लेवल धीरे धीरे बढ़ने लगता है और कई तरह की बीमारियाँ घर बनाने लगती हैं, डायबिटीज़, ब्लडप्रेशर, दिल की बीमारियाँ और यहाँ तक कि कैंसर होने का ख़तरा भी रहता है। ”

विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के मुताबिक़ डायबिटीज़ से पीड़ित लोगों की संख्या 1980 में 108 मिलियन से बढ़कर 2014 में 422 मिलियन पहुँच गया था। उच्च आय वाले देशों की तुलना में निम्न और मध्यम आय वाले देशों में इसका प्रचलन अधिक तेज़ी से बढ़ रहा है, जो चिंता की बात है।

डायबिटीज़ से अंधापन, गुर्दे का फेल होना, दिल का दौरा, स्ट्रोक और निचले अंग का ख़राब होना प्रमुख कारण है। साल 2000 और 2019 के बीच, उम्र के हिसाब से डायबिटीज़ से मृत्यु दर में 3 फीसदी की वृद्धि हुई। 2019 में, डायबिटीज़ और इससे हुई गुर्दे की बीमारी के कारण अनुमानित 2 मिलियन मौतें हुईं।

डॉक्टर वैभव कहते हैं, “पहले ज़्यादा उम्र के लोगों को ये बीमारियां घेरा करती थीं, आजकल युवाओं और बच्चों में भी फ़ैल रही है; लेकिन इसपर काबू पाया जा सकता है, अच्छा खाना, हर रोज़ कसरत, शरीर का सामान्य वजन बनाए रखना और तंबाकू के सेवन से बचना सबसे अच्छा है। “

एक रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2050 तक दुनिया की लगभग एक अरब आबादी (100 करोड़) डायबिटीज़ की चपेट में आ सकती है।

मधुमेह एक लंबे समय की बीमारी है जो या तो तब होती है जब अग्न्याशय ज़रूरत के मुताबिक़ इंसुलिन का उत्पादन नहीं करता है या जब शरीर खुद से इंसुलिन का प्रभावी ढंग से इस्तेमाल नहीं कर पाता है।

इंसुलिन एक हार्मोन है जो खून के शुगर को नियंत्रित करता है। हाइपरग्लिकेमिया, जिसे बढ़ा हुआ ब्लड (रक्त) ग्लूकोज या बढ़ा हुआ रक्त शर्करा भी कहा जाता है, बेकाबू मधुमेह का एक सामान्य प्रभाव है और समय के साथ शरीर की कई प्रणालियों, विशेष रूप से नसों और रक्त वाहिकाओं को गंभीर नुकसान पहुँचता है।

आमतौर पर हम हर मीठी चीज को शुगर मान लेते हैं, लेकिन इसमें कुछ अंतर है। घरों में इस्तेमाल होने वाली चीनी प्रोसेस्ड होकर गन्ने से बनती है। इसमें कैलोरी और मिठास सबसे ज़्यादा होती है जिसे सुकरोज भी कहते हैं।

इसके अलावा ग्लूकोज, लैक्टोज और फ्रक्टोज होता है। फलों में ग्लूकोज और फ्रुक्टोज ज़्यादा होता है। डेयरी उत्पादों जैसे दूध और पनीर में लैक्टोज होता है। इसी तरह शहद और फलों में ग्लूकोज पाया जाता है,जो खाने में नुकसान नहीं करता है। अगर सरल तरीके से समझे तो जहाँ -जहाँ भी अधिक मात्रा में चीनी यानी सुक्रोज (प्रोसेस्ड शुगर) इस्तेमाल होगी वो सेहत को नुकसान पहुँचाएगी।

यथार्थ सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल के एसोसिएट डायरेक्टर और नियोनेटोलॉजिस्ट (शिशु विशेषज्ञ) डॉ राजीव सिंह कहते हैं, “देश में जिस तेज़ी से शहरीकरण हो रहा है, उससे बच्चों के जीवन शैली में भी बड़े बदलाव हुए हैं; डिजिटल युग में बच्चे फिजिकल एक्टिविटीज कम कर रहे हैं, उनकी डाइट भी अनहेल्दी होती जा रही है, बच्चे अधिक मीठी चीजें खाना पसंद करते हैं और कैलोरी से भरपूर स्नैक्स खाते हैं, नतीजा सामने है वजन बढ़ता है, जो टाइप 2 मधुमेह का सबसे बड़ा कारण है।”

माना जाता है कि अगर माता-पिता को डायबिटीज़ रहा है, तो उनके बच्चों में इसका ख़तरा अधिक होता है; हालांकि ये बहुत ज़रूरी नहीं है।

एक्सपर्ट कहते हैं, टाइप 1 मधुमेह के लिए संभावित ट्रिगर के रूप में अलग -अलग पर्यावरणीय कारकों का भी अध्ययन किया गया है। इनमें वायरल इंफेक्शन जैसे एंटरोवायरस, मम्प्स और रोटावायरस और गाय के दूध या ग्लूटेन भी शामिल हैं। हालाँकि, टाइप 1 डायबिटीज के इन कारकों की जाँच अभी जारी है और कोई सटीक जानकारी नहीं मिली है।

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