जल्द ही आपके पर्सनल डेटा पर एक पहरेदार बैठने जा रहा है। जी हाँ, वो इस बात की निगरानी करेगा कि कहीं आपकी व्यक्तिगत जानकारी बिना आपसे पूछे किसी और को तो नहीं दी जा रही है ?
अक्सर हम बैंक, स्कूल, सोशल साइट्स या सरकारी कामकाज के दौरान अपना आधार, पैन कार्ड, फोन नंबर या पता इधर उधर देते रहते हैं, बिना ये सोचे कि इसका ग़लत इस्तेमाल भी तो हो सकता है। लेकिन झटका तब लगता है जब ये जानकारी किसी तीसरे तक पहुँच जाती है और हमारे बैंक अकाउंट से पैसे निकल जाते हैं या अकाउंट हैक कर लिया जाता है। कुछ मामलों में तो पैन कार्ड चुराकर फर्जी कंपनी का रजिस्ट्रेशन या लोन तक ले लिया जाता है। ऐसा तभी होता है जब हम से जुड़ी जानकारी किसी तीसरे तक पहुँचती है।
लेकिन अब चिंता की बात नहीं है, देश में डेटा संरक्षण के लिए कानून बनने का रास्ता साफ हो गया है। संसद में डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल 2023 पास हो चुका है और कानून का रूप ले रहा है जिससे आप के डेटा की सुरक्षा होगी। फर्म्स पर डेटा उल्लंघन, व्यक्तिगत डेटा की सुरक्षा करने में फेल होने और यूजर्स को उल्लंघन के बारे में जानकारी नहीं देने पर 250 करोड़ रुपये तक का जुर्माना लग सकता है।
नया बिल क्या है
सुप्रीम कोर्ट ने करीब 6 साल पहले प्राइवेसी को फंडामेंटल राइट (मौलिक अधिकार) बताया था। जिसके बाद सरकार देश के सभी लोगों की प्राइवेसी और डेटा के लिए एक बिल लेकर आई। जिसमें साफ कहा गया है कि डेटा रखने वाले फर्म्स को व्यक्तिगत डेटा की सुरक्षा करनी होगी,भले ही वह थर्ड पार्टी डेटा प्रोसेसर का इस्तेमाल कर डेटा एक्सेस कर रहा हो।
यही नहीं, व्यक्ति की सहमति लेने के बाद ही सिर्फ़ सही मकसद के लिए पर्सनल डेटा को आगे दिया जा सकता है। सहमति लेने से पहले एक नोटिस देना होगा और यह सहमति किसी भी समय वापस ली जा सकती है। 18 साल से कम उम्र के व्यक्तियों के लिए माता-पिता या लीगल गार्जियन की सहमति लेनी होगी।
लेकिन कुछ मामलों में व्यक्ति से सहमति लेने की जरुरत नहीं होगी जैसे अगर आपने किसी ख़ास मकसद से अपनी मर्जी से डेटा दिया है या सरकार की तरफ से कोई लाभ या सेवा से जुड़ा है। इसके अलावा मेडिकल इमरजेंसी और रोज़गार में भी सहमति की जरूरत नहीं है।
क्या होगा फायदा
नए कानून के आने से आपकी व्यक्तिगत जानकारी का गलत इस्तेमाल नहीं होगा।
आप जब चाहे डेटा प्रोसेसिंग के बारे में जानकारी हासिल कर सकेंगे।
अपने डेटा में किसी तरह का बदलाव या उसे हटाने के लिए आप कह सकते हैं।
केंद्र सरकार को भारत के बाहर किसी भी देश या क्षेत्र में व्यक्तिगत डेटा के ट्रांसफर को रोकने और प्रतिबंधित करने की शक्ति होगी।
देश में डिजिटल व्यक्तिगत डेटा के प्रसंस्करण ( किसी और रूप में इस्तेमाल ) पर पूरा अधिकार होगा। इसमें ऑनलाइन या ऑफलाइन जुटाने के बाद में डिजिटलीकृत किया गया डेटा शामिल है।
अलग अलग अपराधों के लिए जुर्माना होने से कोई भी कंपनी गलती करने से पहले चार बार सोचेगी। बच्चों से जुड़े दायित्वों को पूरा न करने पर 200 करोड़ रुपए का जुर्माना रखा गया है।
इस कानून के बनने से सिर्फ व्यक्तिगत डेटा को सुरक्षा मिलेगी। आरटीआई पर इससे कोई असर नहीं पड़ेगा।