दीपावली पूजा में इन तेलों का दीपक जलाना भी शुभ होता है

दीपावली पर लक्ष्मी पूजन के साथ दीपक जलाने की परंपरा है। लक्ष्मी पूजन से जुड़ी चीजों में नियमों की जानकारी ज़रूरी है; कई बार जानकारी के अभाव में कुछ ऐसी चीजें हो जाती हैं, जिनका नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
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दिवाली में लक्ष्मी पूजा के दौरान दीयों को जलाने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला घी या तेल कैसा है ये काफी मायने रखता है।

कहते हैं दीये जलाने से घर में सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है और शांति, समृद्धि आती है; ऐसे में यह ध्यान देना ज़रूरी है कि हम किस घी या तेल का दीया जला रहे हैं।

विशेषज्ञों का कहना है कि दिवाली पर देसी घी के अलावा कुछ तेलों से भी दीये जलाए जा सकते हैं; इनमें सरसों का तेल, तिल का तेल, पंचदीप तेल, अलसी का तेल और नारियल का तेल प्रमुख हैं।

क्यों जलाते हैं दीया

हिंदू धर्म सहित कई अन्य धर्मों में पूजा के लिए दीपक का इस्तेमाल किया जाता है। दीपक की रोशनी अंधकार, शोक और दुखों को दूर करने का प्रतीक है। घरों से अंधकार को दूर करने के लिए दीया जलाया जाता है। इसके अलावा किसी भी शुभ काम से पहले दीपक जलाने की प्रथा है और देश में हर घर में पूजा के लिए ऐसा किया जाता है। कहा जाता है कि दीपक जलाने से सर्वशक्तिमान की चमक पूरे घर में फैल जाती है और देवताओं को हमारे घरों में आने का निमंत्रण मिलता है। दिवाली के दिन खासतौर पर घर को रोशन करने के लिए दीये जलाए जाते हैं, ताकि घर को रोशनी से भरपूर करके माँ लक्ष्मी का स्वागत किया जाए।

वैसे तो दीपक जलाने के लिए किसी भी तेल का इस्तेमाल करना व्यक्तिगत पसंद है, लेकिन ज्ञात तथ्यों के आधार पर विशेष तेलों के इस्तेमाल से दीपक जलाने के कई फायदे होते हैं।

सबसे पहले बात करते हैं देसी घी से जलाए जाने वाले दीयों की। देसी घी में गाय के घी को सबसे शुद्ध माना जाता है। गाय के घी से दीपक जलाने से वातावरण में सकारात्मकता आती है। माना जाता है कि दिवाली पर देसी घी का दीया जलाने से दरिद्रता खत्म होती है और घर में धन व स्वास्थ्य सुख बना रहता है।

तिल का तेल भी दीपक जलाने के लिए शुभ माना जाता है। मान्यता है कि इसका दीपक जलाने से सभी दोष समाप्त हो जाते हैं और बुराइयाँ दूर हो जाती हैं। तिल का तेल दीर्घकालिक समस्याओं को दूर करने में मदद करता है और जीवन की बाधाओं को भी दूर करता है।

दिवाली पर पंचदीप तेल का इस्तेमाल करके भी दीये जलाने चाहिए। मान्यता है कि पंचदीप तेल से दीपक जलाने से घर में सुख, स्वास्थ्य, धन, प्रसिद्धि और समृद्धि आती है। पंचदीप तेल सही और शुद्ध अनुपात में पाँच तेलों का मिश्रण है, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि आपकी प्रार्थनाओं की पवित्रता सुरक्षित है।

वहीं दीपक जलाने के लिए सरसों का तेल सबसे लोकप्रिय विकल्प है। ज्योतिषियों का कहना है कि दीया जलाने के लिए सरसों के तेल का प्रयोग करने से शनि से संबंधित दोष दूर होते हैं और रोगों से भी बचाव होता है। हनुमान जी की तस्वीर या मूर्ति के आगे सरसों के तेल का दीपक जलाने से सारे दोष दूर हो जाते हैं और सोया हुआ भाग्य भी जागने लगता है। सरसों के तेल के अलावा देश में नारियल तेल भी काफी लोकप्रिय है। यह खाने के साथ शरीर पर लगाने के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है।

मान्यता है कि पूजा के दीयों में नारियल के तेल का प्रयोग करने से गणेश जी प्रसन्न होते हैं, इसलिए दिवाली के मौके पर नारियल तेल के दीये भी जलाए जा सकते हैं। हालाँकि नीम, अरंडी, चमेली का तेल दीयों को जलाने के लिए कम लोकप्रिय हैं, लेकिन इनका उपयोग किया जा सकता है। कई बार इन्हें अन्य तेलों के साथ मिश्रित किया जाता है।

दीयों को जलाने के लिए मूंगफली का तेल, सूरजमुखी का तेल, पाम ऑयल, वनस्पति तेल, राइस ब्रान तेल, सिंथेटिक तेल, कॉटन बीज का तेल आदि का इस्तेमाल करने से बचें।

ऋग्वेद के अनुसार, दीपक में देवताओं का वास होता है, इसलिए पूजन से पहले दीपक जलाने की परंपरा है। इसके साथ ही किसी भी शुभ कार्य को करने से पूर्व दीप प्रज्वलित करते हैं। शास्त्रों के अनुसार, दीपक को हमेशा भगवान की मूर्ति या तस्वीर के सामने ही प्रज्वलित करना चाहिए। घी का दीपक अपने बाएं हाथ की तरफ रखकर जलाएं और तेल का दीपक हमेशा दाईं ओर रखकर जलाना चाहिए। दीपक की बाती का भी विशेष महत्व है।

घी की बाती जला रहे हैं तो दीपक में रुई की बाती का प्रयोग करना उत्तम माना गया है। वहीं जब तेल का दीपक जलाते हैं तो लाल धागे की बत्ती बनानी चाहिए। दीपक जलाने के बाद उसकी दिशा का विशेष ध्यान रखना चाहिए। इस बात का ध्यान नहीं रखने पर नकारात्मक ऊर्जा में वृद्धि होती है। दीपक को कभी कोने में नहीं रखना चाहिए। दीपक को पश्चिम दिशा में रखने से भी बचें। खंडित दीपक का प्रयोग करने से बचना चाहिए। कहते हैं दीपक जलाते समय शुभ मुहूर्त हो तो माता लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं।

ज्योतिषियों का कहना है कि दिवाली पर माता लक्ष्मी की तस्वीर अथवा मूर्ति के सामने नौ या सात बत्ती का दीपक जलाना शुभ माना जाता है। दिवाली पर मिट्टी के दीये ही जलाने चाहिए। लक्ष्मी प्राप्ति के लिए दीपक सामान्य और गहरा होना चाहिए।

हालाँकि आपको इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि आपकी पूजा या दीपक में इस्तेमाल होने वाला घी या तेल नकली और मिलावटी तो नहीं है।

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