देश में सेहत को लेकर लोग कुछ गंभीर हो रहे हैं; ये हम नहीं कह रहे है, प्रोटीन उत्पादों की बढ़ोतरी इस बात की तरफ भी इशारा कर रही हैं।
अंडा, माँस और दूध के उत्पादन में पिछले साल की तुलना में बढ़ोतरी से ये अंदाजा लगाया जा रहा है कि बाज़ार में बढ़ती माँग को देखते हुए इसके उत्पादन पर भी सकारात्मक असर होने से इंकार नहीं किया जा सकता है।
इसके उत्पादन में पिछले 5 सालों में 22.81 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई, जो साल 2018-19 में 187.75 मिलियन टन थी।
इसके अलावा, साल 2021-22 के अनुमान से साल 2022-23 के दौरान उत्पादन 3.83 प्रतिशत बढ़ गया है। पहले साल 2018-19 में सालाना वृद्धि दर 6.47 प्रतिशत; वर्ष 2019-20 में 5.69 प्रतिशत; वर्ष 2020-21 में 5.81 प्रतिशत और वर्ष 2021-22 में 5.77 प्रतिशत थी।
साल 2022-23 के दौरान सबसे अधिक दुग्ध उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश था, जिसकी कुल दुग्ध उत्पादन में हिस्सेदारी 15.72 प्रतिशत थी।
इसके बाद राजस्थान (14.44 प्रतिशत), मध्य प्रदेश (8.73 प्रतिशत), गुजरात (7.49 प्रतिशत) और आंध्र प्रदेश (6.70 प्रतिशत) का स्थान था।
वार्षिक वृद्धि दर (एजीआर) के संदर्भ में, पिछले वर्ष की तुलना में सबसे अधिक वार्षिक वृद्धि दर कर्नाटक (8.76 प्रतिशत) में दर्ज किया गया, इसके बाद पश्चिम बंगाल (8.65 प्रतिशत) और उत्तर प्रदेश (6.99 प्रतिशत) का स्थान रहा।
अंडा उत्पादन में हुई 33.31 प्रतिशत की वृद्धि
देश में कुल अंडा उत्पादन 138.38 बिलियन होने का अनुमान है। साल 2018-19 के दौरान 103.80 बिलियन अंडों के उत्पादन के अनुमान की तुलना में वर्ष 2022-23 के दौरान पिछले 5 वर्षों में 33.31 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई।
इसके अलावा, वर्ष 2021-22 की तुलना में वर्ष 2022-23 के दौरान उत्पादन में 6.77 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि हुई है। पूर्व में वर्ष 2018-19 में वार्षिक वृद्धि दर 9.02 प्रतिशत; वर्ष 2019-20 में 10.19 प्रतिशत; वर्ष 2020-21 में 6.70 प्रतिशत और वर्ष 2021-22 में 6.19 प्रतिशत थी।
देश के कुल अंडा उत्पादन में प्रमुख योगदान आंध्र प्रदेश का रहा है, उसकी हिस्सेदारी कुल अंडा उत्पादन में 20.13 प्रतिशत है, इसके बाद तमिलनाडु (15.58 प्रतिशत), तेलंगाना (12.77 प्रतिशत), पश्चिम बंगाल (9.94 प्रतिशत) और कर्नाटक (6.51 प्रतिशत) का स्थान है।
वार्षिक वृद्धि दर (एजीआर) के संदर्भ में, सबसे अधिक वृद्धि दर पश्चिम बंगाल में (20.10 प्रतिशत) दर्ज की गई और उसके बाद सिक्किम (18.93 प्रतिशत) और उत्तर प्रदेश (12.80 प्रतिशत) का स्थान रहा।
माँस उत्पादन में 20.39 प्रतिशत की वृद्धि
साल 2022-23 के दौरान देश में कुल माँस उत्पादन 9.77 मिलियन टन रहने का अनुमान है, जिसमें वर्ष 2018-19 में 8.11 मिलियन टन के अनुमान की तुलना में पिछले 5 वर्षों में 20.39 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है।
वर्ष 2021-22 की तुलना में वर्ष 2022-23 में 5.13 प्रतिशत की वृद्धि हुई। इससे पहले साल 2018-19 में वार्षिक वृद्धि दर 5.99 प्रतिशत; वर्ष 2019-20 में 5.98 प्रतिशत; वर्ष 2020-21 में 2.30 प्रतिशत और वर्ष 2021-22 में 5.62 प्रतिशत थी।
कुल माँस उत्पादन में प्रमुख योगदान 12.20 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ उत्तर प्रदेश का है और इसके बाद पश्चिम बंगाल (11.93 प्रतिशत), महाराष्ट्र (11.50 प्रतिशत), आंध्र प्रदेश (11.20 प्रतिशत) और तेलंगाना (11.06 प्रतिशत) का स्थान है। वार्षिक वृद्धि दर के संदर्भ में, उच्चतम वार्षिक वृद्धि दर (एजीआर) सिक्किम में (63.08 प्रतिशत) दर्ज की गई है, इसके बाद मेघालय (38.34 प्रतिशत) और गोवा (22.98 प्रतिशत) का स्थान है।
ऊन उत्पादन में जम्मू-कश्मीर नंबर वन
साल 2022-23 के दौरान देश में कुल ऊन उत्पादन 33.61 मिलियन किलोग्राम अनुमानित है, जिसमें वर्ष 2018-19 के दौरान 40.42 मिलियन किलोग्राम के अनुमान की तुलना में पिछले 5 वर्षों में 16.84 प्रतिशत की नकारात्मक वृद्धि दर्ज की गई है। हालाँकि, वर्ष 2021-22 की तुलना में 2022-23 में उत्पादन 2.12 प्रतिशत बढ़ गया है। इससे पहले में वर्ष 2018-19 में वार्षिक वृद्धि दर -2.51 प्रतिशत; वर्ष 2019-20 में -9.05 प्रतिशत, वर्ष 2020-21 में -0.46 प्रतिशत और वर्ष 2021-22 में -10.87 प्रतिशत थी।
केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री पुरुषोत्तम रुपाला के मुताबिक कुल ऊन उत्पादन में 47.98 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ राजस्थान का प्रमुख योगदान है, इसके बाद जम्मू-कश्मीर (22.55 प्रतिशत), गुजरात (6.01 प्रतिशत), महाराष्ट्र (4.73 प्रतिशत) और हिमाचल प्रदेश (4.27 प्रतिशत) का स्थान है। वार्षिक वृद्धि दर के संदर्भ में, सबसे अधिक वार्षिक वृद्धि दर अरुणाचल प्रदेश (35.75 प्रतिशत) में दर्ज किया गया है, इसके बाद राजस्थान (6.06 प्रतिशत) और झारखंड (2.36 प्रतिशत) का स्थान है।