उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 19 जून को सरकारी अफसरों से साफ़ कहा था कि “हीट वेव को देखते हुए बिना वजह बिजली काटने की कोई ज़रूरत नहीं हैं, अगर बिजली की कमी है भी तो खरीद सकते हैं इसका प्रावधान हैं। ”
दरअसल ये सारी कवायद प्रचंड गर्मी और प्रदेश के बलिया में चंद दिनों में ताबड़तोड़ मौतों के बाद सरकार ने गर्मी से निपटने के लिए किये। मुख्यमंत्री ने अफसरों से ये भी कहा “पीने के पानी की कोई कमी नहीं होनी चाहिए, सभी नगर निकायों और गाँवों के अलावा बाजारों में मुख्य सड़कों पर पीने के पानी का इंजाम होना चाहिए।”
गाँव कनेक्शन की टीम जब ज़मीनी हक़ीक़त जाने के लिए कई ज़िलों में पहुँची तो लोग हैरान परेशान से दिखे।
उत्तर प्रदेश के बलिया जिले में अब तक 68 लोगों की मौत हो गई और 500 से ज्यादा लोग भर्ती हैं, जिला अस्पताल में अभी भी मरीजों का आना जारी है। जल्द ही देखिए पूरी रिपोर्ट #BalliaNews #UttarPradesh @UPGovt
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— GaonConnection (@GaonConnection) June 20, 2023
प्रदेश की राजधानी लखनऊ से महज 28 किलोमीटर की दूरी पर बाराबंकी के बेलहरा ब्लॉक के राहुल सिंह ने गाँव कनेक्शन को बताया कि रोज़ 8 घंटे तक बिजली गुल रहती है।
“ऐसे समय में जब पारा सातवें आसमान पर है बिजली सिर्फ 16 से 17 घंटे रहती है। बिजली काटने का समय भी देखिये सुबह 7 बजे से दोपहर 4 बजे तक गायब रहती है। कभी -कभी तो रात में काट देते हैं जब आप सो रहे होते हैं।”
बेलहरा ब्लॉक की ही ललिता सिंह कहती हैं, “जब बिजली कट जाती है तब पुरुष पेड़ की छाँव में चले जाते हैं, लेकिन हमलोगों को घर के अंदर गरमी में ही रहना पड़ता हैं। ”
उन्नाव ज़िला
उन्नाव के सिंकंदरपुर सरोसी ब्लॉक के हफ़ीज़ाबाद गाँव में हालात अब सुधरे हैं। यहाँ के सजीवन विमल ने कहा कि पिछले दो-तीन दिनों से बिजली ठीक से आनी शुरू तो हुई है, लेकिन पहले तो कभी-कभी दो दिन लगातार गुल रहती थी।
“बिजली आती भी है तो वोल्टेज काफी कम होता है, दोपहर 4 बजे से 6 बजे तक सप्लाई रहती है , फिर रात में बिजली आती है। दोपहर चिलचिलाती गरमी में गुजरती है।” विमल ने बताया।
इस बीच उसी गाँव की रजनी त्रिपाठी ने कहा कि उन्हें बिजली पर अब कोई भरोसा नहीं रहा है, इसीलिए सारा काम दिन में ही निपटा लेती हैं।
गाँव कनेक्शन की टीम जब उनसे शाम 6 बजे मिली तो बिजली 4 बजे से नहीं आ रही थी। वे उस समय परिवार के लिए रात का भोजन तैयार करने के लिए रोटियाँ बना रही थीं।
“गरमी में चूल्हे पर रोटियाँ बनाना सबसे मुश्किल काम है। ” रजनी ने गाँव कनेक्शन से कहा।
उन्नाव के बिछिया ब्लॉक के उमेदखेड़ा की रेखा थारू से जब मुलाक़ात हुई तो वे हाथ का पंखा थामें अपनी झोपड़ी के बाहर बैठीं थीं। उन्होंने बताया कि उनका फोन कल रात से बंद पड़ा है क्योंकि छे घंटे से भी ज़्यादा समय से बिजली नहीं आ रही है। रेखा के चेहरे पर लाल रंग के चकत्ते पड़ गए हैं जिसकी वज़ह वो झुलसा देनी वाली गरमी को बताती हैं।
सुब्बाखेड़ा गाँव की निर्मला देवी दो बच्चों की माँ हैं, गाँव कनेक्शन को उन्होंने बताया कि घर में बिजली नहीं आने के कारण वे बच्चों के साथ आम के पेड़ के नीचे दिन गुजारती हैं।
“बिजली की इतनी किल्ल्त तो कभी नहीं हुई जितनी इस बार हुई है। इस साल कुछ ज़्यादा ही देर तक कटौती हो रही है। आती भी है तो सिर्फ कहने को होती है, पंखा तक राहत नहीं दे पाता है। इन्वर्टर है लेकिन रिचार्च ही नहीं होगा तो चलेगा कहा से ? ” 48 साल की निर्मला से कहा।
तौरा गाँव के 34 साल के अनुज यादव कहते हैं इस गरमी में सिर्फ हाथ का पंखा ही अब सहारा है, सीलिंग पंखे कभी कभार ही अब चल पाते हैं।
“कोविड -19 में नौकरी चली गई थी,अब परिवार के लिए ख़ेती कर रहा हूँ, बारिश के इंतज़ार में हूँ उम्मीद है जल्द गरमी से राहत मिलेगी। ” उन्होंने कहा।
उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (यूपीपीसीएल) के अधीक्षण अभियंता विवेक कुमार ने गाँव कनेक्शन को बताया कि स्थानीय स्तर पर बिजली की ख़राबी के कारण ये समस्या आ रही है।
उन्होंने कहा, “मांग के मुताबिक बिजली की सप्लाई की जा रही है लेकिन लाइनों में खराबी के कारण बिजली नहीं जा रही है, फिर भी हम 16 से 18 घंटे बिजली दे रहे हैं।”
सीतापुर ज़िला
सीतापुर के सीमावर्ती गाँव में रहने वाले 35 साल के विजय कुमार ने गाँव कनेक्शन को बताया कि बिजली सिर्फ चार घंटे दिन और चार घंटे रात में रहती है।
“हम छत पर सोते हैं, मच्छर चैन से सोने नहीं देते हैं, लेकिन मज़बूरी है। बिजली का ठिकाना नहीं है,नीचे कमरे में अब सोने का मतलब नहीं है इतनी गरमी है। बिजली आ भी जाए तो वोल्टेज कम होगा, पंखा तक ठीक से नहीं चलेगा। मोबाईल तो चार्ज ही नहीं रहता है।” विजय ने शिकायत की।
गोंडा ज़िला
गोंडा के नियामतपुर गाँव की धनुषधारी पाण्डे का कहना है कि उन्हें दोपहर में बिजली कटौती का आजतक तर्क समझ नहीं आया।
“इतनी गरमी में हर रोज़ दोपहर में ही बिजली क्यों काटी जाती है ? सिर्फ 16 घंटे हमें बिजली मिलती हैं। ” धनुषधारी नाराज़गी से कहती हैं।
हरदोई ज़िला
हफ़ीज़ुद्दीन ब्लॉक के हरिगाँव के रणजीत सिंह कह्ते हैं इस भीषण गरमी में बिजली कटौती से सबसे ज़्यादा दिक्कत बच्चों और बुजुर्गों को हो रही है। खासकर दोपहर में।
“ये दो वर्ग, बच्चे और बुजुर्ग किसी भी काम से बाहर नहीं जा सकते हैं। घर में बैठे रहना इनकी मज़बूरी है। बच्चे रोते हैं, बुजुर्ग ख़ामोश वक्त गुज़ारते हैं, ये देख कर अच्छा नहीं लगता हैं। ” रणजीत सिंह ने गाँव कनेक्शन से कहा।
(प्रत्यक्ष श्रीवास्तव के साथ उन्नाव से ऐश्वर्या त्रिपाठी, सुमित यादव, बाराबंकी और सीतापुर से वीरेंद्र सिंह और सीतापुर से रामजी मिश्रा की रिपोर्ट )