लखनऊ। आज से संसद का मानसून सत्र शुरू हो रहा है। 17 जुलाई से शुरू होने वाला यह सत्र 11 अगस्त तक चलेगा। ऐसा कहा जा रहा है कि केंद्र सरकार इस सत्र में बजट सत्र के लंबित महत्वपूर्ण कामकाज को निपटाने के अलावा राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय सामयिक मामलों के संबन्ध में संसद का समर्थन हासिल करके कानूनों में संशोधन करके कुछ महत्वपूर्ण विधेयकों को आगे बढ़ाने के मकसद से संसद में आने का प्रयास कर रही है।
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ख़बरें आ रही हैं कि विपक्षी पार्टियां इसमें कई मुद्दों को लेकर सरकार को घेरने के लिए तैयार हैं। ऐसा माना जा रहा है कि इस सत्र में भी संसद में हंगामा होने वाला है। 18 विपक्षी दलों ने डोकलाम में चीन के साथ सैन्य विवाद, अमरनाथ यात्रा के तीर्थयात्रियों पर हाल ही में हुए आतंकी हमले के मद्देनजर कश्मीर की स्थिति, बीफ को लेकर हुई हिंसक घटनाओं और किसानों की आत्महत्या समेत कई मुद्दों पर सरकार को घेरने की तैयारी कर ली है। इसे साथ ही विपक्षी पार्टियां राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति पद के लिए सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के उम्मीदवारों के खिलाफ अपने उम्मीदवार खड़े करने के लिए साथ आ गई हैं।
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इतना आएगा खर्च
संसद का मानसून सत्र 17 जुलाई से 11 अगस्त तक चलेगा यानि साप्ताहिक छुट्टियों और राष्ट्रीय अवकाशों को छोड़कर यह सत्र 18 दिन का होगा। आंकड़ों के मुताबिक संसद सत्र में एक मिनट में 29000 रुपये का खर्च आता है। संसद के उच्च सदन यानि राज्यसभा में पांच घंटे और निम्न सदन यानि लोकसभा में छह घंटे काम होता है यानि एक दिन में 11 घंटे।
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इस हिसाब से संसद की एक दिन की कार्यवाही में यानि एक दिन का खर्च 1,91,40,000 आता है। अगर हम पूरे सत्र की बात करें तो 18 दिनों के सत्र में 34,45,20,000 का खर्च आता है। यानि संसद के एक सत्र में लगभग 35 करोड़ रुपये खर्च हो जाते हैं। यह सारे पैसे जनता की कमाई के होते हैं। संसद सत्र का एक दिन भी अगर हंगामे की भेंट चढ़ जाता है तो जनता के लगभग 2 करोड़ रुपये बर्बाद हो जाते हैं।